भूवैज्ञानिक बोले- नेपाल में भूकंप के बाद अब बारी भारत की
नई
दिल्ली।
नेपाल
में
शनिवार
को
आए
7.9
तीव्रता
वाले
विनाशकारी
भूकंप
के
बाद
विशेषज्ञों
का
मानना
है
कि
अब
उत्तर
भारत
में
भी
समान
तीव्रता
का
भूकंप
आ
सकता
है।
अहमदाबाद
स्थित
भूकंप
अनुसंधान
संस्थान
के
महानिदेशक
बी.के.
रस्तोगी
ने
फोन
पर
कहा,
"समान
तीव्रता
का
एक
भूकंप
आ
सकता
है।
कश्मीर,
हिमाचल,
पंजाब
और
उत्तराखंड
के
हिमालयी
क्षेत्र
में
यह
भूकंप
आज
या
आज
से
50
साल
बाद
भी
आ
सकता
है।
इन
क्षेत्रों
में
सिस्मिक
गैप
की
पहचान
की
गई
है।"
लंबी अवधि के दौरान टेक्टॉनिक प्लेटों के स्थान बदलने से तनाव बनता है और धरती की सतह पर उसकी प्रतिक्रिया में चट्टानें फट जाती हैं। दबाव बढ़ने के बाद 2000 किलोमीटर लंबी हिमालय श्रंखला के हर 100 किलोमीटर के क्षेत्र में उच्च तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।
रस्तोगी ने कहा, "तनाव का असर हर कहीं होता है। हम नहीं जान सकते कि कहां और कब इसकी तन्यता सीमा समाप्त हो जाएगी। लेकिन हम यह जानते हैं कि यह प्रक्रिया हर कहीं हो रही है।"
उन्होंने कहा, "हिमालय में 20 स्थानों पर उच्च तीव्रता वाले भूकंप की अधिक संभावना होती है और इस बेल्ट में इतनी तीव्रता का भूकंप आने में करीब 200 साल लगता है। काठमांडू से 80 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में इसी केंद्र पर 1833 में 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था।"
एक मिनट तक हिली धरती
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, दिल्ली में शनिवार को छह तीव्रता वाला भूकंप आया था, जो 10 किलोमीटर गहरा था और भूकंप का झटका करीब एक मिनट तक आया।
अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण के मुताबिक, शनिवार के भूकंप का केंद्र काठमांडू से 75 किलोमीटर दूर लामजंग जिले में था।
आईएमडी के वैज्ञानिक पी.आर. वैद्य ने कहा कि नेपाल अल्पाइन-पट्टी पर पड़ता है, जो धरती की सतह पर मौजूद तीन भूकंपीय पट्टियों में से एक है और इस क्षेत्र में दुनिया का 10 फीसदी भूकंप आता है।
यह पट्टी न्यूजीलैंड से होते हुए आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, अंडमान एवं निकोबार द्वीप, जम्मू एवं कश्मीर, अफगानिस्तान, भूमध्य सागर और यूरोप तक फैला हुआ है।
रस्तोगी ने कहा कि भूकंप के केंद्र के आसपास 40 किलोमीटर के दायरे में सर्वाधिक क्षति हुई है और मकान पूरी तरह धाराशायी हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आठ तीव्रता वाले भूकंप के बाद अगले दो दिनों तक झटके आते रहते हैं।
हिमालय का निर्माण
आज से करीब चार करोड़ साल पहले हिमालय आज जहां है, वहां से भारत करीब पांच हजार किलोमीटर दक्षिण में था। धीरे-धीरे एशिया और भारत निकट आए और इससे हिमालय का निर्माण हुआ।
रस्तोगी ने कहा, "महादेशीय चट्टानों का खिसकना सालाना दो सेंटीमीटर की गति से जारी है। आज भारतीय धरती एशिया की धरती पर दबाव डाल रही है, जिससे दबाव पैदा होता है।"
वैद्य के मुताबिक इसी दबाव से भूकंप आते हैं।
भूकंप के कारण भारत में 40 लोगों की जान चली गई है। बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में व्यापक क्षति हुई है।
वैद्य ने कहा कि भूकंप से लोग नहीं मरते हैं। उसके कारण जो हमारे आसपास की संरचनाएं धाराशायी होती हैं, उससे लोग मरते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।