हेरात में भारतीय के अपहरण पीछे लश्कर-ए-तैयबा, नरेंद्र मोदी के सामने बड़ी चुनौती!
एलेक्सिस हेरात में समाज सेवा के कामों से जुड़े हुए थे। वह अभी कहां हैं इस बारे में कोई भी जानकारी हाथ नहीं लग सकी है। बुधवार को इकोनॉमिक टाइम्स के हवाले से यह खबर जारी की गई है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में भारत आए थे तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि 23 मई को हेरात स्थित इंडियन कांसुलेट पर जो हमला हुआ था, उसमें लश्कर का हाथ था।
नरेंद्र मोदी के लिए यह घटना विदेश नीति के तौर पर उनकी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की आईएसआई अफगानिस्तान में काफी तेजी से सक्रिय हो चुकी है।
कई विशेषज्ञ इस बात को भी मानते हैं कि आतंकियों की योजना अफगानिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों से सांठ-गांठ कर भारतीय प्रभाव कम करने और वहां से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने के मकसद से अंजाम दी गई है।
सोमवार को विदेशी मंत्री सुषमा स्वराज ने इस सिलसिले में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी।
भारत में अफगानिस्तान की राजदूत शाइदा अब्दली ने कहा था कि हेरात में इंडियन कांसुलेट पर हमला करके वहां के अधिकारियों के अपहरण के साथ ही लश्कर भारत में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को प्रभावित करना
चाहता था। उस समय तो लश्कर अपने मंसूबों को अंजाम नहीं दे सका लेकिन वह सोमवार को शायद अपने मंसूबों में कामयाब हो गया।
एलेक्सिस के अपहरण की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने भी नहीं ली है लेकिन शक की सुई लश्कर की ओर इशारा करती है। लश्कर ने ईरान के रास्ते अफगानिस्तान में अपना गढ़ बना डाला है।
विदेश मंत्रालय की ओर से एलेक्सिस का पता लगाने और उनकी जान बचाने के सभी प्रयास तेज कर दिए गए हैं। इसके लिए मंत्रालय अफगान पुलिस की मदद ले रहा है।
नवंबर 2005 के बाद से यह पहली घटना है जब किसी भारतीय का अफगानिस्तान में अपहरण कर लिया गया हो। उस वर्ष 36 वर्षीय रामाकुट्टी मनियाप्पन, जो कि बॉर्डर रोड ऑर्गनाइेशन यानी बीआरओ के साथ बतौर ड्राइवर
जुड़े हुए थे, का अपहरण कर आतंकियों ने उनका सिर काट दिया था। इसी तरह से वर्ष 2003 में रोड प्रोजेक्ट के साथ जुड़े दो इंजीनियरों का भी अपहरण कर लिया गया था लेकिन बाद में वह रिहा हो गए थे।
केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिस तरह से एलेक्सिस का अपहरण किया गया है, उससे तो यह लश्कर का ही काम लगता है। इसके साथ ही इसमें तालिबान का हाथ होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
अपहरण की इस घटना को इंटेलीजेंस को मिली उन जानकारियों के बाद अंजाम दिया गया है जिसमें भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई थी।
एक सरकारी अधिकारी ने मीडिया रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि इस अपहरण में लश्कर का ही हाथ हैं। इससे पहले पूर्व सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने प्रधानमंत्री को अफगानिस्तान में मौजूद सारी परिस्थितियों के बारे में जानकारी दी थी।