अब्दुल कलाम चाहते थे कि कानून का सम्मान करें नेता, अपनी आखिरी किताब में लिखा था ये
उन्होंने अपनी आखिरी किताब में नेताओं द्वारा कानून तोड़ना, सत्ता का दुरुपयोग करना, अप्रासंगिक और पुराने कानून और हिंसा के जरिए असहिष्णुता का इजहार ऐसे मुद्दे थे, जिन पर उन्होंने चिंता जताई थी।
नई दिल्ली। भारत के पूर्व राष्ट्रपति और विख्यात वैज्ञानिक स्वर्गीय ए पी जे अब्दुल कलाम ने अपनी आखिरी किताब में कुछ चिंताएं जाहिर की थीं। वह चाहते थे कि भारत के नेता कानून का सम्मान करें। उन्होंने अपनी आखिरी किताब में नेताओं द्वारा कानून तोड़ना, सत्ता का दुरुपयोग करना, अप्रासंगिक और पुराने कानून और हिंसा के जरिए असहिष्णुता का इजहार ऐसे मुद्दे थे, जिन पर उन्होंने चिंता जताई थी।
अब्दुल कलाम ने अपनी मौत से करीब चार महीने पहले ही मार्च 2015 में अपनी किताब 'पाथवेज टू ग्रेटनेस' लिखकर तैयार कर ली थी। इस किताब में अब्दुल कलाम ने इंसानों की जिंदगी बेतहर बनाने के लिए कई चीजों का उल्लेख किया है। इस किताब को हार्परकॉलिन्स इंडिया ने प्रकाशित किया है और अगले ही महीने से ये किताब बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने लिखा था कि देश के नेताओं के को एक स्पष्ट दृष्टि और विकास की राजनीति करके समाज में एक मिसाल कायम करनी चाहिए। ये भी पढ़ें- 2010 के बाद इस साल मारे गए सबसे ज्यादा आतंकी, लेकिन जवानों की शहादत भी नहीं हुई कम
कलाम ने किताब में लिखा है कि देश के नेताओं को कानून व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपनी ताकत का इस्तेमाल देश को बनाने में करें ना कि इस बिगाड़ने में। वह चाहते थे कि कानून को और अधिक सरल बनाया जाए और अप्रासंगिक व पुराने कानूनों को एक निश्चित अवधि के साथ समाप्त कर दिया जाए। वह ऐसा सिस्टम चाहते थे, जिसमें न्याय तेजी से और निष्पक्षता से मिल सके। उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र को अच्छे से चलाने के लिए समाज में विचारों की एकता लिए लोगों को काम करने की जरूरत है। ये भी पढ़ें- प्रदूषण से भारत में हर मिनट मरते हैं दो लोग, ये रहा सबूत