आधार मामले पर SC का सवाल,अगर एप्पल जैसी कंपनियों को जानकारी दे सकते हैं तो सरकार को क्यों नहीं?
जब आप एप्पल जैसी प्राइवेट कंपनियों को अपना पर्सनल डाटा दे देते हैं तो सरकार को ये जानकारी देने में क्या आपत्ति है।
नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकारों ने आधार को तमाम सरकारी योजनाओं से जोड़ दिया है और कई सरकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने जा रही है। लोगों के लिए आधार अनिवार्य हो गया है। आधार की अनिवार्यता को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में 22 याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के सामने नया सवाल खड़ा कर दिया है।
राइट टू प्राइवेसी के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों की बेंच ने कहा कि निजता का अधिकार ऐसा अधिकार नहीं हो सकता जो पूरी तरह मिले। कोर्ट ने कहा कि सरकार के पास कुछ शक्ति होनी चाहिए कि वह इस पर तर्कसंगत बंदिश लगा सके। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल करते हुए कहा कि जब आप एप्पल जैसी प्राइवेट कंपनियों को अपना पर्सनल डाटा दे देते हैं तो सरकार को ये जानकारी देने में क्या आपत्ति है। मोबाइल कंपनियों को ये जानकारी देने में आपको कोई दिक्कत नहीं तो फिर सरकार को देने पर क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सवाल किया कि आप प्राइवेट पार्टियों को अपनी जानकारी सरेंडर कर देते हैं, लेकिन जब जानकारी सरकार मांग रही है तो रोक लगाने की मांग की जा रही है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप जैसे ही आईपैड या आईफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको अपने फिंगर प्रिंट देने पड़ते हैं।
कोर्ट के इस सवाल पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निजी कंपनियों के साथ मेरा करार है और उल्लंघन होने पर वो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन सरकार के साथ ऐसा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 9 जजों की बनाई गई पीठ दो दिन तक मामले से जुड़े सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद आधार का भविष्य तय करेगी।