क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

15 वर्ष पहले हुई एक सीक्रेट सर्जिकल स्‍ट्राइक जिसके बारे में कोई नहीं जानता

दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव कारगिल युद्ध से कम नहीं था। पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकवादियों के खात्‍मे के लिए हुई थी सर्जिकल स्‍ट्राइक जो आज तक है सीक्रेट।

Google Oneindia News

नई दिल्‍ली। हाल ही में गणतंत्र दिवस के मौके पर इंडियन आर्मी के उन 19 बहादुर जाबांजों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्‍मानित किया गया जिन्‍होंने 29 सितंबर 2016 का पीओके में एक सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था। लेकिन करीब 15 वर्ष पहले एक ऐसी सर्जिकल स्‍ट्राइक हुई जिसे आज तक सीक्रेट रख गया और जिसमें शामिल कमांडोज को सीक्रेट मिशन होने की वजह से कोई पदक भी नहीं दिया जा सका।

31 जुलाई को शुरू हुआ मिशन

हफिगंटन पोस्‍ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्जिकल स्‍ट्राइक को 31 जुलाई 2002 में इंडियन एयरफोर्स ने अंजाम दिया था। इस सर्जिकल स्‍ट्राइक में इंडियन एयरफोर्स ने एलओसी पर मौजूद पाकिस्‍तानी आतंकवादियों के कैंपों को तबाह कर दिया था। 13 दिसंबर 2001 को देश की संसद पर पाकिस्‍तान से आए आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच हालात 1999 की जंग कारगिल की ही तरह हो गए थे। हमले के बाद दोनों देशों की सेनाएं लाइन ऑफ कंट्रोल पर मौजूद थीं। पाकिस्‍तान की ओर से लगातार फायरिंग हो रही थी और लग रहा था कि एक बार फिर युद्ध होगा। बॉर्डर पर बैलेस्टिक मिसाइलें तक तैनात हो चुकी थीं। भारत की ओर से उस समय 'ऑपरेशन पराक्रम' लॉन्‍च हुआ और सेनाओं को एलओसी की तरफ भेजा जाने लगा।

 आईएएफ के पायलट को मिले आदेश

आईएएफ के पायलट को मिले आदेश

31 जुलाई 2002 को देर रात करीब दो बजे इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के पायलट 29 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजीव मिश्रा को ऑर्डर मिले कि उन्‍हें तुरंत अंबाला एयरफोर्स स्‍टेशन से श्रीनगर निकलना है। वह जगुआर फाइटर जेट उड़ाते थे लेकिन उस दिन उन्‍हें ट्रांसपोट एयरक्राफ्ट से श्रीनगर जाना था। आपको बता दें कि उस समय आईएएफ के पास इजरायल से लेसर गाइडेंट सिस्‍टम मिल चुका था। इस टेक्‍नोलॉजी की मदद से फाइटर पायलट किसी भी टारगेट को सही तरीके से निशाना बना सकने में सक्षम हो सके थे।

क्‍यों चुना गया फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा को

क्‍यों चुना गया फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा को

फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा को इस टेक्‍नोलॉजी के प्रयोग में सबसे तेज माना जाता था। उस समय तक उन्‍हें भी नहीं मालूम था कि आखिर हो क्‍या रहा है। जब वह एयरक्राफ्ट में पहुंचे तो उनके दो साथी भी वहां पर मौजूद थे। इसी समय आईएएफ की स्‍ट्राइक सेल के सदस्‍यों की ओर से उन्‍हें ब्रीफ किया गया। उन्‍हें बताया गया कि एलओसी पर मौजूद पाकिस्‍तान के कैंपों को उन्‍हें 'लाइट अप' करना है।

क्‍या होता है लाइट अप

क्‍या होता है लाइट अप

'लाइट अप' मिलिट्री टर्म है जिसका मतलब है लेसर गाइडेंस सिस्‍टम की मदद से टारगेट को नष्‍ट करना। मिश्रा और उनके दोनों साथियों को समझ आ गया कि उन्‍हें फाइटर जेट्स को लॉक करके पाक कैंपों को नष्‍ट करना है। पहले सर्जिकल स्‍ट्राइक के लिए इंडियन आर्मी को भेजने की योजना थी लेकिन उस समय के आर्मी चीफ जनरल सुंदराजन पद्मनाभन से सलाह मशविरा करके तय हुआ कि ग्राउंड फोर्स की जगह स्‍पेशल फोर्सेज को भेजा जाएगा लेकिन इससे पहले आईएएफ वहां पर जाकर पाकिस्‍तानी ठिकानों को कमजोर करेगी।

कौन-कौन से फाइटर जेट्स

कौन-कौन से फाइटर जेट्स

इस सीक्रेट सर्जिकल स्‍ट्राइक के लिए रूस में बने मिग-21, फ्रेंच फाइटर जेट मिराज-2000 और ब्रिटिश फाइटर जेट जगुआर को फॉरवर्ड बेस पर भेजा गया। श्रीनगर से इन फाइटर जेट्स को टेक ऑफ करना था और वेस्‍टर्न बॉर्डर पर सभी फॉरवर्ड एयरबेस को पा‍क की ओर से किसी भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा गया था।

आसान नहीं था मिशन

आसान नहीं था मिशन

उसी समय फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा को टारगेट्स को 'लाइट अप' का आदेश मिला। आज इस काम को और ज्‍यादा एडवांस्‍ड टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग करके आसानी से अंजाम दिया जा सकता है लेकिन उस समय यह काफी मुश्किल था। तीन लोगों की टीम जिसे फ्लाइट लेंफ्टिनेंट मिश्रा लीड कर रहे थे उन पर इस सर्जिकल स्‍ट्राइक का जिम्‍मा था।

30 मिनट के बाद मिला ग्रीन सिग्‍नल

30 मिनट के बाद मिला ग्रीन सिग्‍नल

31 जुलाई को सीनियर ऑफिसर्स ने श्रीनगर में और ज्‍यादा डिटेल्‍स के लिए आखिरी मीटिंग की। केंद्र सरकार और दिल्‍ली में सभी अधिकारियों को इंतजाम के फाइनल होने के बाद जानकारी दी गई। टीम को इंतजार करने को कहा गया। करीब 30 मिनट यानी आधे घंटे के बाद दिल्‍ली की ओर से ग्रीन सिग्‍नल आया।

एक अगस्‍त को मिशन शुरू

एक अगस्‍त को मिशन शुरू

इसके बाद टीम को एक अगस्‍त को श्रीनगर से एयरलिफ्ट किया गया। इन्‍हें सिंगल इंजन वाले चीता हेलीकॉप्‍टर में बैठाया गया जिसके दरवाजे हटा दिए गए थे। जब हेलीकॉप्‍टर एलओसी के पास पहुंचा तो पाक की ओर से जारी धमाकों की आवाज को साफ सुना जा सकता था। एलओसी पर एक बीएसएफ पोस्‍ट के करीब ही टीम ने छलांग लगाई। हेलीकॉप्‍टर से उनके हथियारों को गिराया गया। इसके बाद टीम के सदस्‍यों को तुरंत ही किसी गड्ढे में छिपना था।

 किसी भी पल हो सकता था दुश्‍मन का हमला

किसी भी पल हो सकता था दुश्‍मन का हमला

पाक के ठिकाने नीचे की तरफ थे और पत्‍तों से ढके हुए थे और ऐसे में उन्‍हें दूर से निशाना बनाना काफी मुश्किल था। टीम को आगे बढ़ना लेकिन उनके पास हमले से बचने के लिए किसी तरह को कोई बॉर्डी आर्मर नहीं था। अगर वह बीएसएफ की पोस्‍ट से भी आगे बढ़ते तो एक मिनट के अंदर निशाना बन सकते थे क्‍योंकि हेलीकॉप्‍टर के मूवमेंट ने पाक पोस्ट्स को अलर्ट कर दिया था।

 चढ़नी पड़ी पहाड़‍ियां

चढ़नी पड़ी पहाड़‍ियां

टारगेट को ठीक से पहचान कर ही मिशन को पूरा किया जा सकता था। किसी तरह से टीम में शामिल तीन में से दो लोगों को बीएसएफ से बॉडी ऑर्मर मिल गए। इस सर्जिकल स्‍ट्राइक से पहले इंडियन आर्मी ने पाक के घुसपैठियों को ढेर किया था और उनका खून वहीं पर पड़ा हुआ था। आईएएफ की टीम को तीन पहाड़‍ियों पर चढ़ना था और इसके बाद ही वह टारगेट को डेजीगनेट कर सकते थे।

 कई मुश्किलों के बावजूद सफलता

कई मुश्किलों के बावजूद सफलता

किसी तरह से कई कोशिशों के बाद वह अपने टारगेट्स के करीब पहुंचे और लेसर गाइडेंस सिस्‍टम से उन्‍हें डेजीगनेट किया। एक बार उनका काम हो जाने के बाद वह उन पोस्‍ट्स पर वापस आ गए जिसे आर्मी और बीएसएफ की पोस्‍ट एक साथ मैनेज कर रही थी। जब फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा अपनी टीम के साथ एक अंधेरे बंकर में इंतजार कर रहे थे इंडियन आर्मी की स्‍पेशल फोर्सेज ने पोस्‍ट की ओर आना शुरू कर दिया।

मौसम खराब बना बैड न्‍यूज

मौसम खराब बना बैड न्‍यूज

पाक की ओर हैवी फायरिंग जारी थी। बंकर में सिर्फ एक लालटेन जल रही थी और वह भी काले कागज से लिपटी थी और एक चारपाई के नीचे रखी थी। दो अगस्‍त को आईएएफ की टीम और स्पेशल फोर्सेज के कमांडो इंतजार कर रहे थे और तभी मौसम खराब होने की खबर आई। ऐसी हालत में जेट्स उड़ान नहीं भर सकते थे। आखिरी वार को दो बार रोका गया।

 लेकिन हुआ आखिरी वार

लेकिन हुआ आखिरी वार

दो अगस्‍त को दोपहर 1:30 बजे फाइटर जेट्स ने टेक ऑफ किया और फिर आखिरी हमला शुरू हुआ। मिराज-2000 सीमा पर आए उन्‍होंने लेसर बीम को लॉक किया और कुपवाड़ा के केल एरिया में पाक के बंकर्स पर बम गिराए।फ्लाइट लेफ्टिनेंट मिश्रा विंग कमांडर होकर एयरफोर्स से रिटायर हो चुके हैं और आज एक कमर्शियल पायलट हैं।

Comments
English summary
In the year 2002 during a standoff between India and Pakistan, Indian Air Force fighter jet hit Pakistan in a surgical strike.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X