कावेरी विवाद: कोर्ट में याचिका डालकर भारत के चीफ जस्टिस को आरोपी बनाने की मांग
मांड्या। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने के विरोध में शुक्रवार को कर्नाटक बंद रहा। शुक्रवार को ही मांड्या कोर्ट में इस मामले को लेकर एक याचिका डाली गई है जिसमें अन्य के साथ भारत के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर को भी आरोपी बनाए जाने की मांग की गई है।
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याचिका में क्या है
एम डी राजन्ना ने यह याचिका डाली है जिसमें कावेरी मामले हस्तक्षेप करने के लिए भारत के चीफ जस्टिस को आरोपी बनाने की मांग की गई है। इस याचिका में यह कहा गया है कावेरी जल विवाद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अन्य कोर्ट के न्यायिक क्षेत्र के दायरे में नहीं आता।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता एम डी राजन्ना ने यह दलील दी है कि वह मांड्या क्षेत्र का वासी हैं और कावेरी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के उस फेसले से आहत हैं जिसमें कर्नाटक को आदेश दिया गया कि वह तमिलनाडु को कावेरी का पानी दे।
'सुप्रीम कोर्ट का फैसला गैरकानूनी'
याचिका कर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गैरकानूनी है क्योंकि कावेरी विवाद उसके न्यायिक क्षेत्र के दायरे में नहीं आता। उसने दलील दी कि चूंकि जजों ने कानून के विरुद्ध जाकर यह फैसला दिया है इसलिए यह एक तरह का अपराध है।
जस्टिस और सीएम को बनाया आरोपी
याचिकाकर्ता ने भारत के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर के साथ-साथ जस्टिस दीपक मिश्रा और उदय उमेश ललित के खिलाफ की कार्रवाई की मांग की जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कावेरी मामले की सुनवाई की थी। इस याचिका में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को आरोपी बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील किया है कि इस मामले की सुनवाई कर आरोपियों को भारतीय दंड संहिता के धारा 420 के तहद दंडित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बवाल
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के लिए कर्नाटक को दस दिन तक रोज 15,000 क्यूसेक कावेरी का पानी छोड़ने का आदेश दिया था जिसके बाद कर्नाटक में मांड्या के किसानों का गुस्सा भड़क गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कर्नाटक सरकार ने तमिलनाडु को पानी देने का फैसला किया। इसी सिलसिले में शुक्रवार को कर्नाटक बंद का आयोजन किया गया। मांड्या जिला कावेरी जल विवाद के केंद्र में है।
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