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90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं नहीं चाहती तलाक-तलाक-तलाक

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नयी दिल्ली। मुस्लिम समाज में तलाक आम बात होती है। तीन बार तलाक बोलकर पति-पत्नी के रिश्ते खत्म हो जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि 90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं इस तरह से तलाक के खिलाफ है। वो नहीं चाहती है बस तलाक-तलाक-तलाक बोलकर रिश्ते खत्म कर लिए जाए।

muslin women

एक सर्वे के मुताबिक ज्यादतर मुस्लिम महिलाओं ने तीन बार तलाक बोलकर लेने की परंपरा के खिलाफ अपना मत दिया है। देश की 92 फीसदी मुस्लिम महिलाओं का मानना है कि तीन बार तलाक बोलने से रिश्ता खत्म होने का नियम एक तरफा है और इस पर रोक लगनी चाहिए।

आपको बता दें कि एक गैरसरकारी संस्था भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने देश में 4710 मुस्लिम महिलाओं की राय जानी। सर्वे के दौरान शादी, तलाक, एक से ज्यादा शादी, घरेलू हिंसा और शरिया अदालतों पर महिलाओं ने खुलकर अपनी राय जाहिर की।

इस सर्वे के मुताबिक 55 फीसदी औरतों की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई और 44 फीसदी महिलाओं के पास अपना निकाहनामा तक नहीं है। जबकि 53.2 फीसदी मुस्लिम महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं। सर्वे के मुताबिक 40 फीसदी औरतों को 1000 से भी कम मेहर मिली, जबकि 44 फीसदी को तो मेहर की रकम मिली ही नहीं। सर्वे में शामिल 525 तलाकशुदा महिलाओं में से 65.9 फीसदी का जुबानी तलाक हुआ जबकि 78 फीसदी का एकतरफा तरीके से तलाक हुआ।

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English summary
In a first of its kind study, the women have unequivocally voiced their dissent against the discriminatory practice of triple talaq with 92.1% seeking its ban.
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