खाड़ी देशों में काम करने जा रहे हैं, जरा इन आंकड़ों को भी देख लीजिए
नई दिल्ली। विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह जेद्दा में फंसे 10,000 भारतीयों को निकालने के लिए पहुंचे हैं। उन्हें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मुश्किल में फंसे भारतीयों की ओर से आई मदद की अपील के लिए रवाना किया है। इन 10,000 भारतीयों को कई माह से तनख्वाह नहीं मिली है और ये भूखे मरने की कगार तक पहुंच गए हैं। इस संकट ने उस मुसीबत की तरफ हमारा ध्यान दिलाया है जिसे हम चाहे-अनचाहे नजरअंदाज करते आ रहे हैं।
मजबूरी में जाते हैं मुल्क से बाहर
भारत से कई कामगार खाड़ी देशों में मिलने वाली आकर्षक तनख्वाह के लालच में नौकरी के लिए जाते हैं। लेकिन वहां पहुंचने के बाद वह असलियत से रूबरू होते हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो पता लगता है कि खाड़ी देशों में काम कर रहे करीब 87% भारतीय इस समय किसी न किसी उत्पीड़न को झेलने पर मजबूर हैं।
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सरकार ने जारी की है डराने वाली रिपोर्ट
सरकार के मुताबिक छह गल्फ कू-ऑपरेशन कांउसिल यानी जीसीसी के देश सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान, कतर और बहरीन में काम कर रहे भारतीयों को हमेशा उत्पीड़न झेलने को मजबूर होना पड़ता है।
इंडियास्पेंड की ओर से जारी एक रिपोर्ट में इस सच से जुड़े कुछ डरा देने वाले तथ्य दिए गए हैं। एक नजर डालिए कि कैसे नौ खाड़ी देशा में काम और रोजगार के नाम पर भारतीयों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
सबसे ज्यादा उत्पीड़न कतर में
- 20 जुलाई 2016 को लोकसभा में विदेश मंत्रालय की ओर से खाड़ी देशों में मौजूद भारतीयों की बुरी हालत के बारे में बताया गया।
- छह देशों में मौजूद भारतीय दूतावास में करीब 55,199 भारतीयों ने उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है।
- इन 55,199 शिकायतों में सबसे ज्यादा 13,624 शिकायतें कतर में बसे भारतीयों ने दर्ज कराई थी।
- सऊदी अरब से 11,195 और कुवैत से 11,103 भारतीयों ने उनका उत्पीड़न होने की बात कही।
- वहीं मलेशिया से भी 6,346 भारतीयों ने उत्पीड़न की बात दूतावास को बताई थी।
- ओमान से 5,173, यूएई से 4,530, बहरीन से 2,518, इराक से 609 भारतीयों को उत्पीड़त किया गया।
- वहीं जॉर्डन में सबसे कम यानी तीन भारतीयों ने अपने साथ उत्पीड़न की बात कही।
कैसी थीं शिकायतें
- काम करने वाले भारतीयों ने तनख्वाह न मिलने, देर से मिलने या फिर कम मिलने की बात कही।
- कभी-कभी उन्हें ज्यादा देर तक काम करना होता और वह भी बदतर हालात में काम करने को मजबूर हुए।
- शारीरिक शोषण के अलावा उनके वीजा और लेबर कार्ड का रिन्यूल भी नहीं कराया जाता है।
- अगर कभी वह बीमार पड़े तो फिर उनके इलाज के लिए भी पैसे नहीं दिए जाते हैं।
- कांट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी घर आने के लिए एयर टिकट नहीं दिया जाता।
- जबरदस्ती उनका वीजा और पासपोर्ट रख लिया जाता है और उन्हें छुट्टी नहीं मिलती है।
होती जेल भी
- 27 अप्रैल 2016 को लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक खाड़ी देशों मे सबसे ज्यादा भारतीयों को जेल होती है।
- 7,213 भारतीयों को खाड़ी देशों में जेल की सजा सुनाई गई थी।
- सऊदी अरब में सबसे ज्यादा 1,697 भारतीयों को जेल भेजा गया।
- इसके बाद यूनाइटेड अरब एमीरेट्स यानी यूएई में 1,143 भारतीयों को जेल हुई।
- कुवैत या फिर सऊदी अरब में काम करने के खतरे अमेरिका के मुकाबले 10 गुना ज्यादा हैं।
- सऊदी अरब, यूएई, ओमान और कुवैत में 100,000 भारतीय कामगारों में से 78 की मौत हो जाती है।
- औसतन खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों में प्रतिवर्ष 69 की मौत हो जाती है।