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केंद्र सरकार जहां पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश में जुटी है ऐसे में आकाश मिसाइल को लेकर कैग की रिपोर्ट 'मेक इन इंडिया' के लिए बड़ा झटका है।
नई दिल्ली। जमीन से हवा में मार करने वाली एक तिहाई स्वदेशी आकाश मिसाइल शुरूआती जांच में फेल हो गई है। कैग की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में ये कहा है कि युद्ध जैसी किसी भी स्थिति में आकाश मिसाइल का प्रयोग जोखिम भरा हो सकता है। भारतीय वायु सेना ने कैग की रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार किया है।
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केंद्र सरकार जहां पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश में जुटी है ऐसे में आकाश मिसाइल को लेकर कैग की रिपोर्ट 'मेक इन इंडिया' के लिए बड़ा झटका है।संसद को दी गई रिपोर्ट में आकाश मिसाइल में खामियों का जिक्र किया गया है। आकाश सरकार द्वारा संचालित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा विकसित किया गया था। लेखा परीक्षक का कहना है 'निर्माता को 3,600 करोड़ रुपए दिए गए हैं, छह मिसाइल साइटों पर कोई भी मिसाइल प्रणाली स्थापित नहीं की गई है, भले ही अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के बाद से सात साल हो गए हों।
आकाश और इसके नए संस्करण, आकाश एमके -2, एक मध्यम दूरी की सतह से हवा वाली मिसाइल प्रणाली है जो कि दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को 18-30 किमी की दूरी पर अवरोध करने के लिए डिजाइन की गई है। भारतीय वायु सेना, आकाश द्वारा बड़े पैमाने पर परीक्षण किया गया, जिसे पहली बार दिसंबर 2008 में सौंप दिया गया था, इसे एक स्वदेशी प्रणाली के रूप में देखा गया था और 2010 में, अतिरिक्त छह स्क्वाड्रनों का आदेश दिया गया था।आकाश मिसाइलें 6 से 18 महीनों के विलंब के बाद अप्रैल 2014 और जून 2016 के बीच वायु सेना के ठिकानों को दी गई थी, लेकिन मिसाइलों की गुणवत्ता में कमी महसूस हुई थी। लेखा परीक्षक के मुताबिक, "नवंबर 2014 तक प्राप्त 80 मिसाइलों में से, 20 मिसाइलों को अप्रैल-नवंबर 2014 के दौरान निकाल दिया गया था। इनमें से 6 मिसाइलें, अर्थात 30 प्रतिशत, परीक्षा में विफल रही हैं।"
इससे पहले भारतीय सेना ने और स्वदेशी 'आकाश मिसाइल' को अपने बेड़े में शामिल करने से इनकार कर दिया था। आकाश की जगह सेना अपने बेड़े में जमीन से हवा में मार करने वाले इजराइल के मिसाइल सिस्टम को अपनाने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना ने कहा था कि दो रेजिमेंट आकाश मिसाइल के बाद और मिसाइल सेना में शामिल नहीं की जाएंगी। गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय नौसेना ने स्वदेशी मिसाइल में समस्याएं आने की वजह से अपनाने से मना कर दिया दिया था। सेना ने रूस, इजरायल और स्वीडन के मिसाइल सिस्टम का ट्रायल किया था, जिसमें से इजरायल के Spyder QR-SAMs को सलेक्ट किया गया है।आकाश हर मौमस में एयर डिफेंस करने का मिसाइल सिस्टम है। इससे 30 किलोमीटर दूर 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया जा सकता है।