सावधान: 30 प्रतिशत स्कूली बच्चे हो रहे हैं साइबर क्राइम के शिकार
नई दिल्ली। आज जमाना 4G का है, आज बच्चे आंख खोलते ही कंप्यूटर औऱ मोबाइल फोन से परीचित होते हैं इसलिए अधिकांश घरों के बच्चों के पास आपको इंटरनेट सुविधा देखने को मिल रही है, लेकिन जहां यह आगे बढ़ने की कहानी कहती है वहीं दूसरी ओर यह अभिभावकों के लिए सजग रहने वाली भी बातें हैं क्योंकि अगर अभिभावक या पैरेंटस इस मामले में सजग नहीं रहेंगे तो इसका परिणाम काफी हानिकारक हो सकता है।
यूनीनॉर के एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि भारत में 30 प्रतिशत स्कूली बच्चे साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं। इस स्टडी में कहा गया है कि भारत में स्कूल जाने वाले लगभग 30 फीसदी बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन इन 30 प्रतिशत बच्चे रोज ना रोज साइबर क्राइम जैसे, साइबर बदमाशी, साइबर स्टॉकिंग, मानहानि और हैकिंग जैसी चीजों का सामना करते हैं। यह अध्ययन यूनीनॉर ने सात राज्यों के 29 स्कूलों में किया जिसमें लगभग 10,500 छात्रों ने भाग लिया।
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आपको बता दें कि 2013 की शुरुआत में टेलीनॉर समूह और बॉस्टन परामर्श समूह के एक अध्ययन में बताया गया था कि 2017 तक भारत के 13.4 करोड़ बच्चे इंटरनेट पर सक्रिय हो जाएंगे, जबकि 2012 में यह संख्या 3.95 करोड़ थी। यह अध्ययन 12 देशों में कराया गया था, जिसमें बताया गया था कि भारतीय बच्चे सबसे बुरे जोखिम का सामना करे रहे हैं।
अध्ययन में खुलासा हुआ था कि 34 फीसदी बच्चे अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में अपने माता-पिता से कभी कभार ही बात करते हैं इसके पीछे कारण या तो मां-बाप का अत्यधिक बिजी होना है या फिर बच्चों का मां-बाप से डर है।
34 फीसदी बच्चे अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में बात नहीं करते
अध्ययन के परिणामों के आधार पर यूनीनॉर ने वेब-वॉइस कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य बच्चों में इंटरनेट संबंधी खतरों के खिलाफ सतर्कता लाना है। वेब-वॉइस के द्वारा यूनिनॉर नए उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षित रखना चाहता है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मार्च से लेकर अभी तक 15,000 छात्रों को शिक्षित किया जा चुका है। इसलिए मार्डन मां-बाप से निवेदन हैं कि वो अपने बच्चे की हर गतिविधी पर नजर रखे और उसे सही और गलत का अच्छे ढंग से पाठ पढ़ाये।