तब 26/11 अब 13/11 आतंक का चेहरा बदला, हालात नहीं
मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमलों 26/11 की एक और बरसी मना रहा है। इन हमलों में 164 लोगों की जान चली गई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन हमलों की ही तर्ज पर हाल ही में आतंकियों ने फ्रांस की राजधानी पेरिस को दहलाया।
आतंकी हमले अब कहीं भी मुमकिन
आज दुनिया के सामने आईएसआईएस सबसे खतरनाक आतंकी संगठन के तौर पर उभरकर सामने आया है। पेरिस में हुए आतंकी हमले यह संदेश देने के लिए काफी हैं कि दुनिया का कोई भी शहर कभी आतंकी हमलों का शिकार बन सकता है।
एक सुनियोजित तरीके हुए हुए पेरिस आतंकी हमलों में करीब 132 लोगों की मौत हो गई थी। इन हमलों के साथ ही साफ हो गया था कि आईएसआईएस आने वाले कुछ वर्षों तक दुनिया को परेशान करता रहेगा।
मुंबई में था लश्कर
पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इस बात में भी कोई शक नहीं है कि यह संगठन भी काफी खतरनाक है।
वहीं इस संगठन ने भी अब दुनिया के कई देशों में अपने जड़ें फैला ली हैं। लश्कर ने हमलों के लिए साजिद मीर जैसे ऑपरेटिव को शामिल किया। लश्कर की योजना इन हमलों के बाद दुनिया पर राज करने के अपने सपने को पूरा करने की ओर कदम बढ़ाना था।
हमलों के बाद संगठन पर बने दबाव की वजह से ऐसा नहीं हो सका। आईएसआई उस समय लश्कर की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी।
आईएसआई हमेशा से ही लश्कर को भारत के खिलाफ कश्मीर की लड़ाई में आगे रखना चाहती है। लश्कर अफगानिस्तान में तालिबान के लिए भी एक बड़ा सपोर्ट सिस्टम है।
आईएसआईएस के लिए मुश्किल लश्कर का साथ
आईएसआईएस, लश्कर की तरह किसी की ओर से नियंत्रित होने वाली संस्था नहीं है। यह संगठन अपने ही सिंद्धातों पर काम करता है।
जिस तरह से दुनिया भर के युवा आईएसआईएस में शामिल होने के लिए आगे आ रहे हैं, उससे साफ है कि यह संगठन अनुमान से कहीं गुना खतरनाक बनता जा रहा है।
इस विषय पर हमेशा से ही बहस होती रहती है कि क्या आतंकी संगठन एक साथ आकर दुनिया के सामने बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।
फिलहाल भविष्य में लश्कर और आईएसआईएस के साथ आने की कोई संभावना नहीं है। लश्कर एक कट्टरवादी सोच वाला संगठन है जो आईएसआई के लिए समर्पित है।
अल कायदा से हाथ मिला सकता है आईएसआईएस
हालांकि इस बात की संभावनाएं काफी हैं कि आईएसआईएस और अलकायदा हाथ मिला सकते हैं। यहां यह बात याद रखनी होगी कि आईएसआईएस अल कायदा का ही हिस्सा रहा है।
वर्तमान परिस्थितियों पर अगर नजर डाली जाए तो अगर हवाई हमलों में आईएसआईए कमजोर हुआ तो कई देशों में इसके लिए सुरक्षित स्थान मौजूद हैं। यह संगठन अल कायदा का समर्थन ले सकता है।
सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अगर आईएसआईएस प्रमुख अबु बकर अल बगदादी की मौत होने पर अलकायदा और आईएसआईएस के साथ होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। बगदादी की मौत के बाद संगठन नेतृत्व की कमी से जूझने को मजबूर होगा।
अगर यह दोनों संगठन साथ आए तो फिर समस्यांए और भी बढ़ जाएंगी। अलकायदा यमन, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में काफी मजबूत है आईएसआईएस की मदद से इस संगठन को बहुत बड़ा फायदा होगा।