सीबीआई का खुलासा, 13 कंपनियों ने करीब 2300 करोड़ भेजे विदेश, एफआईआर दर्ज
सीबीआई की तरफ से की गई एफआईआर के मुताबिक स्टेल्कोन इंफ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड और उसके समूह की 12 अन्य कंपनियों इस पूरे खेल में शामिल थी।
नई दिल्ली। सीबीआई ने 13 ऐसी कंपनियों को पकड़ा है जो फर्जी तरीके से पैसों को विदेश भेजने का काम करती थी। सीबीआई ने मुंबई की 13 कंपनियों और अज्ञात बैंक कर्मचारियों के खिलाफ गैर-कानूनी रूप से 2252 करोड़ रुपये विदेश भेजने का मामला दर्ज किया है। इनमे से ज्यादातर कंपनिया मुंबई में एक कमरे के दफ्तर से चलाई जा रही थी। इन कंपनियों में टैक्स कंसल्टेंसी और मार्केट रिसर्च संस्था भी शामिल है।
इन सभी कंपनियों ने अगस्त 2015 से फरवरी 2016 के बीच पहले गलत आयात दिखाया फिर पैसों को विदेश भेजा। सीबीआई के मुताबिक इन कंपनियों ने अज्ञात बैंककर्मियों के साथ मिलकर कारोबार की आड़ में काला धन को सफेद करने का काम किया।
सीबीआई की तरफ से की गई एफआईआर के मुताबिक स्टेल्कोन इंफ्राटेल प्राइवेट लिमिटेड और उसके समूह की 12 अन्य कंपनियों इस पूरे खेल में शामिल थी। इन कंपनियों ने पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, कॉर्पोरेशन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और एक्सिस बैंक में आयात के जाली बिल बनाकर विदेश स्थित बैंकों में रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर के माध्यम से पैसे भेजे।
जिन 13 कंपनियों की जांच सीबीआई कर रही है उसमे अपोला एंटरप्राइजेज, कुंदन ट्रेडिंग, डिजनी इंटरनेशनल, अनिक ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड, लुबिज इंटरप्राइजेज, पवन इंटरप्राइजेज,लेमन ट्रेडिंग, पैडिलाइट ट्रेडर्स, फाइन टच इंपलेक्स,अजूर इंटरप्राइजेज,सीबर्ड इंटरप्राइजेज, आईकॉनिक इंटरप्राइजेज शामिल है।
रजिस्टार ऑफ कंपनीज के मुताबिक स्टेलकोन इंफ्राटेल 2013 में बनी थी। इसकी अधिकृत कैपिटल और पेड अप कैपिटल दोनों ही एक लाख रुपये थे। आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक कंपनी कानून, अकाउटिंग, ऑडिटिंग टैक्स कंसल्टेंसी और मार्केट रिसर्च का काम करती है। सीबीआई की शुरुआती जांच के अनुसार ऐसा लग रहा है कि इस काले से उजले के खेल में बैंक भी शामिल थे। क्योंकि बैंकों ने कंपनियों के बिलों और जरुरी दस्तावेजों की जांच ठीक तरीके से नहीं की है।{promotion-urls}