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12 तरीके जिनसे काले धन को तेजी से बनाया जा रहा सफेद

मंदिरों में दान देकर, बैक डेट में एफडी कराकर और गरीबों को लोन देकर ऐसे कुछ तरीकों को अपनाकर लोग 1000 और 500 रुपए के नोट बंद होने के बाद अपने काले धन को सफेद करने में लगे हैं।

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नई दिल्‍ली। करीब 10 दिन हो चुके हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोट को बंद करने का ऐलान किया था। इस ऐलान को काले धन के खिलाफ लड़ाई का अहम हथियार माना गया।

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इसके बाद भी देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने पास मौजूद काले धन को सफेद करने में लगे हुए हैं। जब से पीएम मोदी ने यह ऐलान के बाद से सबसे ज्‍यादा तकलीफ मीडिल क्‍लास को उठानी पड़ी है।

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किसी भी ऐसे इंसान की मौत का मामला सामने ही नहीं आया है जिसके पास काला धन हो। ऐसा इसलिए होता है कि क्‍योंकि ये लोग अपने पास मौजूद काले धन को पहले ही कई तरीकों से सफेद करा लेते हैं।

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आइए आपको उन 12 तरीकों के बारे में बताते हैं जिनके जरिए लोग अपना काला धन सफेद करने में लगे हुए हैं।

मंदिर में दान

मंदिर में दान

ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोग अपने पास रखे काले धन को मंदिरों में मौजूद हुंडी या फिर दान पात्र में डाल रहे हैं। मंदिर का प्रशासन इस रकम को अज्ञात लोगों से प्राप्‍त दान के तौर पर दिख रहा है। इसके बाद वह इस रकम को नए नोटों के साथ बदल कर इसमें से अपना कमीशन रख, बाकी पैसा मालिकों को लौटा दे रहा है। सरकार ने पहले ही इस बाबत साफ कर चुकी है कि मंदिरों से आने वाली हुंडी पर कोई भी सवाल जवाब नहीं किया जाएगा। देश के कई मंदिरों से रिपोर्ट्स आनी शुरू हो गई हैं जिसमें काले धन को सफेद करने का काम जारी है।

बैक डेट में एफडीआई

बैक डेट में एफडीआई

को-ऑपरेटिव बैंकों और इस तरह के माध्‍यम अपना सारा काम मैनुअली करते हैं। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट्स भी आने लगी हैं कि इनके जरिए कई लोग अब बैक डेट में एफडीआई कराने लगे हैं। काले धन के मालिकों ने कई गांव वालों के नाम पर इनका सहारा लेकर बैक डेट में एफडीआई करा डाली हैं और अब नए नोटों के मिलने का इंतजार कर रहे हैं। नॉन-बैंकिंग कुछ वित्‍तीय संस्‍थान जो इस तरह के डिपॉजिट को स्‍वीकार करते हैं, वे भी काले धन को ऐसे ही सफेद करने में लगे हैं। इस तरह के संस्‍थानों पर कई बार मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप लग चुका है।

गरीबों की मदद लेना

गरीबों की मदद लेना

सरकार ने ऐलान किया था कि 2.5 लाख रुपए तक की जमा पर कोई सवाल नहीं किया जाएगा और यह ऐलान ऐसे कई लोगों के लिए बड़ी मदद बन गया। जो लोग लाइन में लगे हैं उनसे मदद ली जाने लगी हैं, खासतौर पर ऐसे लोग जो काफी गरीब हैं और अपनी रोजाना की कमाई से घर चलाते हैं। इन्‍हें सारा पैसा जमा करने को दिया जाता है और फिर इनसे कुछ हिस्‍सा रखने को कहा जाता है।

गरीब लोगों को कर्ज देना

गरीब लोगों को कर्ज देना

ऐसे लोगों को कर्ज देना जिनके बैंकों से होने वाले लेन-देन पर कोई सवाल नहीं उठाता, उनकी भी मदद ली जा रही है। जिनके पास काला धन पड़ा है, वे लोग गरीबों को बिना ब्‍याज पर कर्ज देने को तैयार हो रहे हैं। कई लोगों को भले ही यह कदम असरकारक लगे लेकिन दरअसल यह भी काले धन को सफेद करने का ही एक तरीका है।

जन-धन योजना का सहारा

जन-धन योजना का सहारा

जब से 1000 और 500 रुपए के नोटों को बंद करने का ऐलान हुआ है तब से ही जन-धन योजना के अकाउंट्स में काफी मात्रा में कैश फ्लो देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि दरअसल काला धन ही है जो जन-धन अकाउंट में भेजा जा रहा है। जिन लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं है और उन्‍हें अपने पुराने नोट बदलवाने हैं, अब उनकी मदद ली जा रही है। जन-धन अकाउंट से शायद ही लेन-देन देख गया हो लेकिन अब इन अकाउंट की मदद से भी लोग अपने पास मौजूद काले धन को सफेद कर रहे हैं। सरकार की ओर से कहा गया है कि वह जन-धन अकाउंट्स पर नजर रखेगी।

बैंक नोट माफिया की मदद

बैंक नोट माफिया की मदद

1000 और 500 रुपए का नोट बंद होने के बाद माफिया का एक ग्रुप अचानक से सामने आया। ये ऐसे लोग हैं जो 500 और 1,000 रुपए के नोट को कहीं भी कभी भी 15% 80% प्रतिशत की दर से ले रहे हैं और 100 रुपए के नोट दे रहे हैं। जो लोग पुराने नोटों को इकट्ठा कर रहे हैं उन्‍हें भी काफी बड़ी मात्रा में फायदा हो रहा है।

एडवांस में सैलरी देना

एडवांस में सैलरी देना

गुजरात में कुछ बिजनेसमेन ने ओपेन सैलरी अकाउंट्स खुलवाए हैं और इनमें 30 दिसंबर से पहले पुराने नोटों को डिपॉजिट कराया जा रहा है। इसके बाद आसानी से नए नोट लिए जा रहे हैं जिन पर इनकम टैक्‍स विभाग की भी नजर नहीं जा रही है। वहीं कुछ ने अपने स्‍टाफ को एडवांस सैलरी भी देनी शुरू कर दी है।

ट्रेन टिकट पहले बुक कराना और फिर कैंसिल

ट्रेन टिकट पहले बुक कराना और फिर कैंसिल

24 नवंबर तक ट्रेन की टिकट बुक कराने में पुराने नोटों को स्‍वीकार किया जाएगा। जब से सरकार ने इसकी घोषणा की तब से महंगी ट्रेनों की टिकट बुक कराने और फिर उसे कैंसिल कराने में तेजी देखी गई। इसके बाद रिफंड में उन्‍हें नोट मिलने लगे थे। फर्स्‍ट एसी की महंगी टिकटों की बुकिंग में कई गुना इजाफा देखा गया। इसका ही नतीजा था कि रेलवे को घोषणा करनी पड़ी कि रिफंड अब कैश में नहीं दिया जाएगा और वह सीधे अकाउंट में आएगा। इस तरह की बुकिंग के लिए एजेंट्स की मदद ली जा रही थी।

प्रोफेशनल मनी लॉन्ड्रिंग फर्म की मदद

प्रोफेशनल मनी लॉन्ड्रिंग फर्म की मदद

कई चार्टेड एकाउंटेंट्स की मांग में भी एकदम से इजाफा देखा गया। कोलकाता और देश के दूसरे हिस्‍सों में कई चार्टेड एकाउंटेंट्स इस तरह की कंपनियां चलाते हैं जो काले धन को बिना टैक्‍स के सफेद करने का काम बखूबी जानते हैं। इस तरह की कंपनियों को शार्ट-टर्म फंड्स की जरूरत होती है और ये ऐसे लोगों की तलाश में रहती हैं जिनके पास काला धन हो और जिसे ठिकाने लगाने की जरूरत होती है। बैक डेट में कोई भी लेन-देन दिखाना इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं होती और ऐसे में 30 दिसंबर तक ऐसी कंपनियों को सांस लेने की फुर्सत नहीं है।

 सोने की खरीद

सोने की खरीद

बाजार में सोने की कीमतें बढ़ने की खबरें पीएम मोदी के ऐलान के बाद आई थीं। कई काला धन मालिक इस ऐलान के होते ही बाजार भागे और उन्‍होंने आधी रात तक सोने में भारी खरीदारी की। ऐसी भी रिपोर्ट्स थीं कि सोने की बिक्री को बैक डेट का दिखाया गया था। ज्‍वैलर्स ने खुश होकर आधी रात में हाई प्रीमियम पर सोना बेचा। कुछ दुकानों पर मांग इतनी ज्‍यादा थी कि खरीदार इस बात पर लड़ रहे थे कि सोना पहले कौन खरीदेगा। अब सरकार ने टॉप ज्‍वैलर्स को विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद सोने के लेन-देन का विवरण देने को कहा है।

किसानों का सहारा

किसानों का सहारा

कृषि से होने वाली आय पर कोई इनकम टैक्‍स नहीं लगता है। ऐसे में किसान काला धन मालिकों की मदद के लिए बड़ा सहारा बनकर उभरे हैं। मंडी में बिक्री के बाद उसे अपनी फसल पर आसान कैश मिल सकता है। विमुद्रीकरण के पहले जो भी फसल पैदा हुई उसे मंडी में बेचा जा रहा है और इसमें काला धन मालिकों को बड़ी मदद मिल रही है। किसानों को पुराने नोट दिए जा रहे हैं और उन्‍हें नए नोटों से इन्‍हें बदलने के लिए कहा जा रहा है। इसके एवज में उन्‍हें दोगुना दाम भी मिल रहा है। एक वेबसाइट के मुताबिक इस वर्ष कृषि से होने वाली आय देश में पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी ज्‍यादा होने वाली है।

राजनीतिक पार्टियों का सहारा

राजनीतिक पार्टियों का सहारा

काला धन मालिकों की मदद के लिए राजनीतिक पार्टियां भी एक बड़ा सहारा हैं। राजनीतिक पार्टियां 20,000 रुपए तक का अनुदान ले सकती हैं और इतने दान पर उन्‍हें नहीं बताना होता है कि पैसा किसने दिया।पैन नंबर की भी जरूरत नहीं होती है और ऐसे में यह सबसे आसान तरीका बन गया है। कोई भी राजनीतिक पार्टी कह सकती है कि उसने रकम को विमुद्रीकरण से पहले पुराने नोटों में लिया था और 30 दिसंबर तक उसे नए नोट में बदलने की मांग कर सकती है।

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English summary
From giving donations to temples to giving loans to farmer, take a look on 12 ways Indians are converting black money into white.
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