खतरे में 'सरकार': वो 12 वजहें जो नीतीश-लालू को साथ रहने नहीं देंगी
अभी तक तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार की बातों और बयानों को जवाब नहीं देते थे लेकिन अब उन्होंने इशारो- इशारों में जवाब देना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली। बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच टकराव की खबरें मीडिया की सुर्खिया बनी हुई हैं, लेकिन ना लालू यादव और ना ही नीतीश कुमार किसी तरह के टकराव की बात को स्वीकार कर रहे हैं। ये दोनों बड़े नेता महागठबंधन को अटूट बता रहे हैं इसके पीछे दोनों नेताओं की अपनी मजबूरियां हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक बिहार में सरकार चला रही महागठबंधन में जबर्दस्त तकरार चल रहा है। समय -समय पर ये तकरार नेताओं की जुबान पर भी आ जाती है। हम आपको बता रहे हैं वो 12 वजहें जो बताती हैं कि नीतीश कुमार और लालू यादव लंबे वक्त तक साथ नहीं रहने वाले हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में राहें जुदा
बिहार सरकार में नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टी भले ही साथ हो लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में दोनों की राहें अलग हैं। नीतीश एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के समर्थन में हैं तो लालू यादव ने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन दिया है।
आरजेडी नेताओं के अनाप-शनाप बयान
राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा था ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश ने ठगा नहीं, लेकिन ठगने वाले को जनता खुद सबक सिखा देगी। वहीं दूसरी ओर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह गाहे-बगाहे सीएम नीतीश को लेकर कोई न कोई बयान देते रहते हैं।वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के मसले पर लालू ने कहा था कि नीतीश कुमार मीरा कुमार को समर्थन नहीं कर ऐतिहासिक भूल करने जा रहे हैं तो इसका जवाब देते हुए नीतीश ने भी कहा था कि कर लेने दीजिए ये ऐतिहासिक भूल।
लालू के बेटे तेजस्वी के तल्ख तेवर
बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अब अपने बॉस नीतीश कुमार के खिलाफ बड़ी -बड़ी बयानबाजी करने लगे हैं। बीते दिनों में तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था मैदान में उतरने से पहले कैसे कोई कह सकता है कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा, हमारी लड़ाई विचारधारा से है।
तेजस्वी ने दिया नीतीश को जवाब
अभी तक तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार की बातों और बयानों को जवाब नहीं देते थे लेकिन अब उन्होंने इशारो- इशारों में जवाब देना शुरू कर दिया है। तेजस्वी ने अपने 'दिल की बात' कार्यक्रम में नीतीश कुमार का नाम तो नहीं लिया था लेकिन इशारों-इशारों में उन्हें 'आत्मकेंद्रित' और 'अवसरवादी' बताया था।
टूट जाएगा महागठबंधन, तेजस्वी बनेंगे विपक्ष के नेता?
राष्ट्रपति चुनाव में गणित बैठाने का सियासी असर बिहार की राजनीति पर गहराई से पड़ा है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे और बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री डरेंगे नहीं, अब उन्होंने लड़ने का मन बना लिया है। अपने पिता की हो रही जगहंसाई से परेशान तेजस्वी ने आर-पार की लड़ाई का मूड बना लिया है। सूत्रों पर भरोसा करें तो वो बिहार सरकार गिरने की स्थिति में विपक्ष के नेता हो सकते है वो इसके लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।
एक्शन मोड में जेडीयू
तेजस्वी के छुपे हुए हमले को जेडीयू गंभीरता से ले रही है। बिहार जदयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने तेजस्वी यादव के बयान के बाद महागठबंधन के भविष्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। वशिष्ठ नारायण सिंह ने द टेलीग्राफ से कहा कि जदयू ने तेजस्वी के बयान को बहुत गंभीरता से लिया है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि अभी तक पार्टी स्तर पर ऐसे बयान आ रहे थे लेकिन अब सरकार में शामिल लोग ऐसे बयान जारी कर रहे हैं तो ये खतरे की घंटी बजने जैसा है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि राज्य के डिप्टी-सीएम से उन्हें ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी
लालू की मुश्किलों से बेपरवाह नीतीश
लालू यादव और उनका परिवार मुश्किलों से घिरता जा रहा है। छापे के बाद लालू परिवार को कई नोटिस भी मिले है। इन सब से बेपरवाह नीतीश कुमार सादगी से बिहार सरकार चला रहे हैं तो उधर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी लालू यादव और उनके परिवार पर लगातार खुलासे कर रहे है। ऐसे में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या नीतीश लालू का साथ छोड़ने वाले हैं।
बीजेपी से नहीं है एलर्जी
नीतीश कुमार को बीजेपी से कोई एलर्जी नहीं है वो बीजेपी के साथ बिहार में लंबे समय तक सरकार चला चुके हैं। कयासों का बाजार इसलिए गर्म है क्योंकि बीजेपी हमेशा से कहती रही है कि अगर नीतीश कुमार लालू का साथ छोड़ते हैं को वो उनका समर्थन करेगी। हाल के दिनों में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की कई मुलाकातें भी हुई है। वही खबर ये भी है कि जानबूझकर बीजेपी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर ऐसा नाम दिया जिसका विरोध नीतीश कुमार ना कर पाएं और उसका असर बिहार में महागठबंधन की सरकार पर पड़े।
लालू की जगहंसाई से परेशान तेजस्वी
तेजस्वी यादव को पिता की वजह से उप मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। इस बात का बार-बार जिक्र किया जाता है। बातें ये भी हो रही है कि लालू यादव अपने बच्चों को राजनीति में सेट करने के लिए नीतीश कुमार के हर हमले को बर्दाश्त कर रहे हैं। इसी बीच अंदर की खबर है कि अपने पिता की हो रही जगहंसाई से तेजस्वी परेशान है। और अब वो लालू की तरह मंझा हुआ राजनेता बनना चाहते हैं। इसलिए तेजस्वी विपक्ष में बैठने पर भी विचार कर रहे है। अगर ऐसा होता है तो आरजेडी की 80 और कांग्रेस की 27 सीटों के साथ वो बिहार में विपक्ष के नेता बन सकते हैं।
मोदी सरकार पर नहीं साधा निशाना
नीतीश कुमार और बीजेपी के नजदीक आने की बात एक बार फिर से शुरू हो गई है। इसके पीछे वजह भी है केंद्र सरकार के तीन साल पूरे होने पर पूरा विपक्ष केंद्र सरकार को निशाने पर ले रहा है। बिहार में उनके साथ सरकार चला रही पार्टी आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मोदी सरकार के कार्यों को बेकार बताया है। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अभी तक मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद कुछ भी नहीं कहा है। नीतीश ने जीएसटी पर भी केंद्र सरकार को समर्थन दिया है।
नीतीश का कांग्रेस पर वार
लालू प्रसाद यादव की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद)की ओर से बीजेपी हटाओ, देश बचाओ रैली पर बिहार में महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने टिप्पणी की है। पटना में एक प्रेस वार्ता के दौरान नीतीश ने कांग्रेस पर भी करार प्रहार किया।नीतीश ने बिहार में अपने सहयोगी दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर करारा हमला करते हुए कहा है कि हम किसी के पिछलग्गू नहीं हैं। जो होना होगा सो होगा। हमारा एक ही सिद्धांत है, हमारा सिद्धांत अटल है।नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कहा कि विपक्ष ने राष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने को लेकर उनकी पार्टी को विश्वास में नहीं लिया। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस को जिम्मेदार कहा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सबको साथ लेकर नहीं चल रही है। नीतीश ने कहा कि संघ मुक्त भारत बिना पूरे विपक्ष को विश्वास में लिए नहीं फलीभूत हो सकता। कांग्रेस अकेले ही विपक्ष में दरार की जिम्मेदार है। नीतीश ने कहा कि हमारी छोटी से क्षेत्रीय पार्टी है इसलिए हम 2019 के रेस में नहीं है। उन्होंने कहा कि वो पीएम चेहरे की रेस में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके मन में ऐसी कोई इच्छा नहीं है। नीतीश कुमार ने 2019 के लिए विपक्ष के विकल्प पर भी जोर दिया
बिहार का सियासी गणित
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरुरत होगी।इस समय जेडीयू के 71, आरजेडी के 80 जबकि कांग्रेस के 27 विधायकों वाली महागठबंधन सरकार चल रही है।अगर नीतीश आरजेडी से नाता तोड़कर एनडीए में जाते हैं तो कांग्रेस के 27 विधायक भी सरकार से हट जाएंगे। ऐसे में नीतीश को सरकार बचाने के लिए 51 और विधायकों की जरूरत होगी। विधानसभा में बीजेपी के पास 53 विधायक हैं ये अगर नीतीश के साथ आ जाए तो नीतीश की सरकार को कोई खतरा नहीं है।