नोटबंदी के बाद वो 5 बातें जो आपको जरूर जाननी चाहिए
पुराने नोटों की जगह 500 और 2000 रुपये के नए नोट भी जारी कर दिए गए हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर इन पुराने नोटों का होगा क्या?
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों में 500 और 1000 रुपये के नोट लगातार जमा कराए जा रहे हैं। बैंकों में पुराने नोट जमा कराने की आखिरी तारीख 30 दिसंबर है। सरकार ने छूट कुछ जगहों पर पुराने नोट लिए जाने की छूट भी दे रखी है। पुराने नोटों की जगह 500 और 2000 रुपये के नए नोट भी जारी कर दिए गए हैं लेकिन सवाल ये है कि आखिर इन पुराने नोटों का होगा क्या?
1. कई जगहों पर अभी भी लिए जा रहे हैं पुराने नोट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के करीब 23 अरब नोट जमा होंगे। देशभर के बैंकों में ये नोट जमा हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों, रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर, एयरपोर्ट और सरकारी मेडिकल स्टोर पर भी पुराने नोट लिए जा रहे हैं।
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2. माउंट एवरेस्ट से भी ऊंचा हो सकता है पिरामिड
इन सभी नोटों को अगर इकट्ठा किया जाए और बंडलों को एक-दूसरे के ऊपर रखा जाए तो इससे बनने वाले पिरामिड की ऊंचाई दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट से भी 300 गुना ज्यादा होगी। एवरेस्ट की समुद्र तल से ऊंचाई 8848 मीटर है।
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3. जमीन में दबा दिए जाएंगे नोट
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने जानकारी दी है कि पुराने नोटों को जमीन में गड्ढा करके दबा दिया जाता है या फिर उसे ऐसे मैटीरियल में तब्दील कर दिया जाता है जिसका इस्तेमाल इंडस्ट्रीज और फैक्ट्रियों में आग जलाने के लिए किया जाता है।
4. बैंकों में जमा हो सकते हैं 15 लाख करोड़
अनुमान लगाया जा रहा है कि 15 लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा होने की उम्मीद है। सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, नोटबंदी की घोषणा होने के बाद शुरुआती 10 दिन में 6 लाख करोड़ रुपये जमा हुए थे। माना जा रहा है कि करीब 5 लाख करोड़ रुपये जो कि अवैध और गैरकानूनी पैसा है वह दबा रहेगा।
5. हर साल नोट छापने में 40 करोड़ डॉलर खर्च करता है RBI
ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि करीब 27 बिलियन डॉलर बैंक नोट के साथ एशियाई देश विश्व में सबसे आगे हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर यूरोपीय देश आते हैं और तीसरे स्थान पर अफ्रीका और मिडिल ईस्ट के देश हैं। 125 करोड़ आबादी के साथ बैंक नोट्स रखने में विश्वस्तर पर भारत का हिस्सा करीब 1.5 फीसदी है। आरबीआई हर साल नोट छापने में 40 करोड़ डॉलर खर्च करता है।