कोटखाई कांड पर लोगों में जबरदस्त गुस्सा, फेसबुक पर पूछे गए ऐसे-ऐसे सवाल?
उन्होंने आगे लिखा है कि पीड़िता ही नहीं हम हर हिमाचलवासी की रूह तक कांप रही है, आक्रोश को हवा न देकर दबंगों को दबोचें अनर्थ होने से बचाएं।
शिमला। शिमला के कोटखाई में स्कूली छात्रा से गैंगरेप व मर्डर के मामले में प्रदेश सरकार व पुलिस की मुशिकलें बढ़ने लगी हैं। गुरुवार को डीजीपी सोमेश गोयल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आई है। उससे लोगों में गुस्सा साफ देखा जा सकता है। जो आने वाले दिनों में एक बड़े अंदोलन का स्पष्ट संकेत है।
डीजीपी के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कोटखाई से लेकर शिमला तक एक बार फिर लोग सड़कों पर उतरे और कैंडल मार्च निकाला और मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं। उन्हें अब हिमाचल की पुलिस पर भरोसा नहीं रहा। लोग सड़कों पर हैं और सोशल मीडिया के फेसबुक, ट्विटर व व्हाट्सएप अंदोलन के मैदान में तबदील होते नजर आ रहे हैं लेकिन पुलिस अपनी पीठ खुद ही थपथपाकर उन प्रयासों की वाहवाही लूटने का प्रयास कर रही है। जिसे लोग मनगढ़ंत झूठी व प्रायोजित कहानी करार दे रहे हैं। बहरहाल रेप और हत्या का मामला आरोपी आशीष को अतिरिक्त न्यायिक दंड अधिकारी के समक्ष पेश किया। आरोपी को कोर्ट ने 5 दिन की रिमांड पर भेजा जा चुका है।
उधर एसआईटी जांच के विरेाध में लोग सोशल मीडिया में उतर आए हैं और पुलिस जांच को सिरे से खारिज कर रहे हैं। अपने फेसबुक पोस्ट में भाजपा उपाध्यक्ष गणेश दत्त ने लिखा है कि कोटखाई की घटना को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है। ये किसी खास को बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। ध्यान रखना खून किसी को माफ नहीं करता ये ईश्वर का नियम है। उन्होंने आगे कहा है कि नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार, हत्या के मामले को गलत दिशा में मोड़ा जा रहा है। पूरे मामले की सीबीआई जांच हो ताकी हत्यारे पकड़े जाएं।
कोटखाई के रहने वाले तनुज सिंह चौहान ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि मामले में पैसा काम कर गया। शिमला के महाशय कपि कुमार सूद ने पूछा है कि क्या हम सहमत हैं कि कोटखाई की छात्रा के कातिल यही लोग हैं या रुतबे रसूख वाले मुजरिम जांच को भटकाने में सफल रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया है कि हमें सीबीआई जांच से परहेज क्यों है भला। उन्होंने इस मामले में सीएम वीरभद्र सिंह के बयान पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि कोटखाई के लोग जरुरत से ज्यादा होशियार हैं। उन्होंने कहा है कि हिमाचल पुलिस काबिल है, होनहार है इस में कोइ शक नहीं लेकिन सीबीआई स्थानीय राजनीतिक व रईसों से प्रभावित नहीं होती मैं ऐसा मानता हूं। उन्होंने आगे लिखा है कि पीड़िता ही नहीं हम हर हिमाचलवासी की रूह तक कांप रही है, आक्रोश को हवा न देकर दबंगों को दबोचें अनर्थ होने से बचाएं।
पीके चौहान लिखते हैं कि मामले से लोग वाकिफ हैं। इसे होने नही देंगे उनके परिजनों को तो खुद आगे आकर उनको फांसी देने की अपील करनी चाहिए। ऐसी औलाद से तो बेऔलाद ही अच्छा है। रोहड़ू के रहने वाले नरेंद्र चौहान ने अपने फेसबुक पोस्ट में प्रदेश के डीजीपी सोमेश गोयल व एसआईटी चीफ आईजीपी लॉ एंड ऑर्डर जहूर जैदी से मुखातिब होते हुए लिखा है कि मेरे इस पोस्ट के खिलाफ कानून की कोई धारा मेरे गिरेबान तक पंहुचती हो तो जरूर पंहुचे लेकिन जब तक कोटखाई कांड की निष्पक्ष जांच या संतोषजनक परिणाम नहीं मिल जाते मैं सवाल उठाता रहूंगा।
पुलिस की ओर दिए गए तथ्यों को सिरे से नकारते हुए पीके चौहान ने लिखा है कि पीड़िता के साथ बलात्कार पांच लोगों ने उसी जगह किया जहां उस मासूम का शव मिला था। अगर ये कहानी सही है तो प्रदेशवासियों को ये भी बताएं कि स्कूल से उस स्पॉट की दूरी कितनी है जहां से पीड़िता का शव बरामद हुआ था। उन्होंने लिखा है कि अगर गाड़ी में लिफ्ट ली तो गाड़ी से स्थान पर पंहुचने में कितना समय लगा होगा। उन्होंने लिखा है कि मुझे स्कूल के पास से स्पॉट तक पंहुचने में दस मिनट लगे अगर शक है तो मैं दोबारा आपके साथ चलने को तैयार हूं। चार बजे भी अगर पीड़िता ने गाड़ी में लिफ्ट ली तो ज्यादा से ज्यादा आरोपियों के साथ उस स्थान तक पहुचनें में आधा घंटा लगा होगा। उन्होंने आगे लिखा है कि चलिए मान लेते हैं पांच बज गए होगें। तो श्रीमान जी पांच बजे आज कल कितना उजाला होता है ये भी ख्याल करिए। चलिए उजाला था या अंधेरा अगर ये भी मायने नहीं रखता तो जनाब जरा सपॉट को फिर से एक बार देख लीजिए फोटो डाल रहा हूं।
उन्होंने बड़ा सवाल ये उठाया कि शव को दो दिनों में जंगली जानवरों ने क्यों नहीं नोचा। मंगलवार को जिन तीन लोगों को आप बड़े फिल्मी अंदाज में सबसे पहले हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर उड़न छू हुए उसकी वजह क्या थी। क्या नेपाली मजदूरों के लिए कोई भी स्थानीय व्यक्ति पुलिस के चंगुल में फंसना चाहेगा। यही नहीं अभी ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब मिलना लाजमी है आपके लिए भी और हमारे लिए भी। मसलन पीड़िता की गुम हुई जुराब कहां है?
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