मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को आया गुस्सा, कहा- पार्टी अध्यक्ष को झाड़ू मारने के लिये नहीं रखा है
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर सडकों पर आ गई है।
शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई एक बार फिर सडकों पर आ गई है। सुक्खू जहां अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं वहीं वीरभद्र सिंह सुक्खू की बात सुनने तक को तैयार नहीं है। जिससे चुनाव की दहलीज पर खड़ी पार्टी में एक नया विवाद रूप लेता जा रहा है। दोनों नेताओं में चल रही कशमकश के बीच मंगलवार को सोलन दौरे पर गये सीएम वीरभद्र सिंह को पत्रकारों के सवालों पर गुस्सा आ गया। उन्होंने अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू पर हमला बोलते हुये कहा कि उन्हें पार्टी में झाड़ू लगाने के लिये नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी में अनुशासन बनाना पार्टी अध्यक्ष का काम है। उन्हें देखना चाहिये कि वह अपना दायित्व निभा भी रहे हैं कि नहीं।
वीरभद्र सिंह एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं। उनका राजनिति से सन्यास लेने की कोई योजना नहीं है। भले ही उनके विरोधी उनकी उम्र का हवाला देकर उन्हें सक्रिय राजनिति से दूर करने का ताना बाना बुन रहे हों। वीरभद्र सिंह आज भी अपने आपको चुस्त दुरूस्त मानते हैं व कहते हैं कि अभी उनका मन राजनिति छोडने का नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस साल के अंत तक होने वाले हिमाचल विधानसभा के चुनाव उनकी जिंदगी के आखिरी चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि ये उनके राजनीतिक जीवन का आखिरी चुनाव होगा। इसके बाद वो कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे।
उन्होंने दावा किया कि वही प्रदेश कांग्रेस के नेता हैं और अगला चुनाव उनके ही नेतृत्व में लड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि चंद लोग हैं, जो भाजपा की गोद में बैठकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। बावजूद इसके पार्टी एकजुट है और नुकसान पहुंचाने वालों को जल्द काबू कर लिया जाएगा। हर पार्टी में एक-दो काली भेड़ें होती हैं। कांग्रेस में भी कुछ काली भेड़ें हैं जिनका पता लगाकर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। उन्होंने माना कि प्रदेश कांग्रेस संगठन का सरकार से कोई तालमेल नहीं है। वहीं कांग्रेसी विधायकों की ओर से प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हाईकमान को लिखे पत्र को मुख्यमंत्री ने बकवास बताया और कहा कि ऐसा नहीं हुआ है। वहीं कुछ विधायकों के भाजपा में जाने की चर्चा को भाजपा का चुनावी प्रोपोगैंडा बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा स्पष्ट किया कि प्रदेश में नए जिले बनाने की कोई संभावना नहीं है। इस बारे में सोशल मीडिया पर सिर्फ अफवाहें फैलाई जा रही है। सरकार अपने खर्चे कम करने की कोशिश कर रही है ताकि लोगों का पैसा ज्यादा से ज्यादा प्रदेश के विकास पर खर्च हो सके। नए जिले बनाने से खर्चे बढ़ेंगे ऐसे में यह कदम उठाना तर्कसंगत नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कोटखाई मामले का इस्तेमाल अपनी राजनीति को चमकाने के लिए कर रही है। पुलिस ने निष्पक्ष जांच की और लोगों की भावनाओं को देखते हुए मेरे ही कहने पर ये मामला सीबीआई को सौंपा गया। भाजपा नेता इस मसले के बहाने प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बिगाडऩे की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने मिडिया पर आरोप लगाया कि तीसा मामले को मिडिया ने बढ़ा चढ़ा कर पेश किया।