बहादुर बहू उर्वशी को मिला ससुर का साथ, बुखार ने गिरा दी अहम की दीवारें
गुड़गांव। दो महीने पहले फेसबुक की एक पोस्ट से चर्चा में आई उर्वशी को उनकी बहादुरी के लिए हर किसी ने सराहा, सिर्फ उनके ससुर को छोड़कर। अब आखिरकार उर्वशी के ससुर ने भी उनके काम को सराहा है।
उर्वशी यादव गुड़गांव के सेक्टर 14 में ठेले पर छोले कुल्चे बेचती हैं। वो चर्चा में तब आई जब कुछ दिन पहले उनकी कहानी एक फेसबुक यूजर ने बताई। उनकी ये पोस्ट वायरल हो गई और मीडिया का ध्यान भी उर्वशी की तरफ गया।
उर्वशी गुड़गांव में अपने दो बच्चों और पति के साथ रहती हैं। उनकी जिंदगी में तब तूफान आ गया जब एक दुर्घटना में उनके पति बुरी तरह घायल हो गए। इस चोट की वजह से उनकी नौकरी चली गई।
दो बच्चों की परवरिश और परिवार का खर्च चलाने के लिए उर्वशी ने छोले-कुल्चे का ठेला लगाने की बात कही तो एयर फोर्स से रिटायर उनके ससुर एन. के. यादव आग-बबूला हो गए। उर्वशी नहीं मानीं और उन्होंने काम शुरू दिया। उर्वशी का छोले-कुल्चे का काम तो चल निकला लेकिन उनको ससुर का साथ नहीं मिला।
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उर्वशी के ससुर एन. के. यादव को लगता था कि उनकी बहू जो काम कर रही है, वो उनके परिवार की प्रतिष्ठा के खिलाफ है। उर्वशी के काम को बुरा कहने वाले उनके ससुर भी बहू की बहादुरी के आगे झुक गए।
उर्वशी को वायरल हुआ तो ससुर एन. के. यादव ने अहम को किनारे कर बहू के छोले-कुल्चे के ठेले का रुख किया। उर्वशी के जिस फैसले से नाराज होकर एन. के. यादव ने उनसे मुंह फेर लिया था, आज उन्हें उससे कोई परेशानी नहीं है। वो रोज अपनी बहू के ठेले पर जाते हैं और काम में हाथ बटाते हैं।
एन. के. यादव का कहना है कि मेरी बहू ने एक बहुत ही बहादुरी भरा फैसल किया। वो अपनी हिम्मत के दम पर आगे बढ़ना चाहती है, ऐसे में बीमारी उसके सपने में रुकवट नहीं बननी चाहिए। इसीलिए मैं उसके काम में हाथ बटा रहा हूं।