महिलाओं को क्यों होती है श्मशान घाट जाने की मनाही?
पटना (मुकुंद सिंह)। जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो सभी दुखी होते हैं। मरने वाले व्यक्ति के दुनिया से चले जाने के ग़म में आंसू बहाते हैं। आंसू बहाते हुए पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को देखा जाता है। महिलाएं जो अपने खास के मरने के गम ने सबसे ज्यादा आंसू बहाती हैं। पर जब अंतिम संस्कार होता है, तो वहां महिलाएं नहीं जाती हैं। आखिरकार ऐसा क्यों होता है? क्या कारण हैं कि महिलाओं को श्मशान न तक जाने की मनाही है? चलिये जानने की कोशिश करते हैं यहां।
बनारस जंक्शन: शिव के सेना के बलशाली सैनिक हैं 'नागा'
आगे की बात करने से पहले हम बताना चाहेंगे कि आजकल के नए युग में लोग इन सभी बातों पर विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन जो विश्वास करते हैं, उन्हीं के लिये यह जानकारी हम दे रहे हैं।
सबसे पहला कारण
जब भी किसी व्यक्ति की मौत होती है तो शव के घर से निकलते ही पूरे घर आंगन को साफ सुथरा करते हुए धोया जाता है। फिर खाने पीने के सामान तैयार किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि घर में कोई नकारात्मक शक्ति नहीं रहसके। इन्हीं सभी कामों को करने के लिए महिलाओं का घर में रहना जरूरी है।
दूसरा कारण
शमशान से लौटने के बाद पुरुषों के पैर धुलाने तथा स्नान कराने के लिए घर में महिला पहले से ही साफ सुथरी और शुद्ध हो जाती हैं।
तीसरा कारण
इस पर ज्यादातर लोग विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन जो सुपरनेचुरल पावर पर विश्वास करते हैं, उनके अनुसार श्मशान में आत्माओं का वास होता है। और इन भटकती आत्माओं तथा भूत प्रेतों से महिलाओं में सबसे ज्यादा खतरा होता है। ऐसा कहा जाता है कि बुरी आत्मायें वर्जिन महिलाओं को निशाना बनाती हैं। यूं कहे की जो महिलाएं शारीरिक रुप से शुद्ध और पवित्र रहती हैं उन पर सुपरनेचुरल पावर का प्रहार जल्दी होता है।
चौथा कारण
हिंदू रीति रिवाजों के अंतर्गत अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले परिवार के सदस्ययों को अपने बाल मुंडवाने होते हैं। इस प्रथा से महिलाएं दूर रहें इसलिये उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं है।
पांचवां कारण
लड़कियों का दिल लड़कों की अपेक्षा कम कठोर होता है। कहा जाता है कि अगर कोई श्मशान घाट पर रोता है तो मरने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती।अगर इस कार्य में महिलाएं शामिल होगी तो निश्चित ही रोएंगी इसलिए भी इन्हें अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है।