भारत के लिये क्यों जरूरी है ज़ोजिला टनल?
नई दिल्ली। भारत में सबसे लंबी टनल कहां है? उत्तर- चेन्नई-नशरी टनल (9 किमी)। आप जानते होंगे कि इससे भी लंबी टनल जम्मू-कश्मीर में बनने जा रही है, जिसका नाम है ज़ोजिला टनल। यह 14.08 किलोमीटर लंबी होगी। और हां, यह टनल एशिया की सबसे लंबी टनल होगी। और इस पर 10050 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
ज़ोजिला से जुड़ी ताज़ा खबर- ज़ोजिला परियोजना से जुड़ी ताज़ा खबर यह है कि जनवरी में इस परियोजना को जो मंजूरी प्रदान की गई थी, उसे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गैरकानूनी करार दिया है। 19 मार्च को दिग्विजय का आरोप है कि नितिन गडकरी ने इस परियोजना में पैसा खाया है और उन्हें सड़क निर्माण एवं परिवहन मंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिये। खैर दिग्विजय सही हैं, या केंद्र, इस पर हम फिर कभी चर्चा करेंगे।
पहले जानिए क्या है ज़ोजिला पास
ज़ोजिला पास बालटाल (सोनमर्ग की ओर) और मातायान (द्रास की ओर) 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ों के बीच से निकलने वाला यह रास्ता करीब 10 किलोमीटर की रेंज में है। इस जगह पर हर साल भारी बर्फबारी के चलते सर्दियों के दिनों में लद्दाख क्षेत्र देश से पूरी तरह कट जाता है। वो भी एक-दो दिन के लिये नहीं पूरे-पूरे पांच से छह महीने के लिये। नवंबर से जून तक हर साल लद्दाख भारत से कटा रहता है। वो लद्दाख जो चीन के बॉर्डर पर है।
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इसे ज़ोजि दर्रा भी कहते हैं। जम्मू-कश्मीर में एक अलग से संगठन है- बोर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन जिसका काम केवल सड़कों पर आने वाले अवरोधों को हटाना होता है। इस संगठन की बीकन फोर्स यूनिट छह महीने तक केवल ज़ोजिला पास पर अलग-अलग जगहों पर बर्फ हटाने का काम करती रहती है और बाकी के छह महीने सड़कों की मरम्मत में बीत जाते हैं।
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इसी कारण भारत सरकार ने ज़ोजिला के पहाड़ों को चीर कर टनल बनाने का फैसला किया है, जिसका कार्य जल्द शुरू होगा। प्रोजेक्ट पास हो गया है, लेनिक विपक्ष विरोध कर रहा है। किसी को हो न हो, लद्दाख के लोगों को इस टनल का बेसब्री से इंतजार है।
इतिहास- पाकिस्तान ने कर लिया था ज़ोजिला पर कब्जा
1947 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध (बंटवारे के वक्त पाक सैनिकों ने भारत पर हमला बोल दिया था। यह भारत-पाक के बीच हुई पहली जंग थी, जिसके बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, लेकिन भारत सरकार के रिकॉर्ड में यह लड़ाई जंग के रूप में शामिल है) के दौरान पाकिस्तानियों ने ज़ोजिला पास पर कब्जा कर लिया था और लद्दाख पर कब्जा करने के लिये आगे बढ़ रहे थे। लेकिन ऑपरेशन बिसोन में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया। आश्चर्य की बात यह है कि समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर तब भारतीय सेना ने तोपों का इस्तेमाल किया था। यह जंग करीब एक साल तक चली थी।
भारत के लिये क्यों जरूरी है ज़ोजिला टनल?
* छह महीने तक 10 किलोमीटर लंबे ज़ोजिला पास के बर्फ से ढके रहने की वजह से 60,000 वर्ग किलोमीटर में फैले लद्दाख के लोग अपने ही देश से कट जाते हैं। बर्फबारी की वजह से सभी प्रकार के विकास कार्य थम जाते हैं। दिल्ली-लखनऊ में जो काम 1 साल में पूरा हो सकता है, उसी काम को लेह-लद्दाख में करने में तीन से चार साल लग जाते हैं। इसलिये यह टनल बहुत जरूरी है।
* लद्दाख, गिलगिट और बाल्टिस्तान क्षेत्रों में चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों के मद्दे नजर ज़ोजिला में टनल बनना बेहद जरूरी है। कहा जाता है कि लद्दाख के अक्सिया-चिन इलाके से होते हुए चीन रेलवे ट्रैक बिछाने की तैयारी में है। यह ट्रैक गिलगिट की शसकुम घाटी (जो पाकिस्तान के कब्जे में है) से होते हुए गुजरेगा। ऐसा हुआ तो भारत के लिये शर्मनाक होगा।
* भारी बर्फबारी और अवलांश गिरने के कारण नवंबर से जून तक हर साल लद्दाख पाकिस्तन और चीन के साये में रहता है। ऐसे में कभी भी ये दोनों देश इन क्षेत्रों पर कब्जा पाने के लिये कुछ भी कर सकते हैं। अगर ऐसा कुछ हुआ, तो वायुसेना तो पहुंच जायेगी, लेकिन थल सेना के तमाम हथियार धरे के धरे रह जायेंगे, क्योंकि वहां तक जाने का कोई रास्ता ही नहीं होगा।
* सरकार ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग पास से लद्दाख तक टनल बनाने का प्रस्ताव रखा और दावा किया कि इससे लद्दाख साल भर तक जुड़ा रहेगा, जबकि वास्तविकता तो यह है कि सर्दियों के दिनों में यहां भी बर्फबारी की वजह से लद्दाख पूरी तरह कट जाता है। यहां लाचोंगला, बरेलाचेयला और तकलांगला की बर्फ को हटाने में समय ज़ोजिला पास को साफ करने से कहीं ज्यादा है।
* 1962 में चीन ने भी लद्दाख के बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर मैकमोहन रेखा पर हमला बोल दिया था। वहीं 1999 में द्रास और बटालिक सेक्टर तक पाकिस्तानी सेना के घुस आने का कारण भी इस इलाके का समस्त भारत से कटा रहना था। ऐसे में सुरक्षा के मद्देनजर यह टनल बेहद जरूरी है।
* अगर यह टनल बनी तो आधुनिक भारत के लिये यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।