भारत की महिला फाइटर पायलट्स की इंस्पीरेशन कल्पना चावला
नई दिल्ली। 18 जून को इंडियन एयर फोर्स में पहली महिला फाइटर पायलट कमीशंड होंगी। इसके साथ ही देश के नाम एक और उपलब्धि दर्ज हो जाएगी। इन फाइटर पायलट्स की प्रेरणा जानते हैं आप कौन हैं? ना तो इनकी प्रेरणा कोई
हॉलीवुड या फिर बॉलीवुड की एक्ट्रेस हैं, न ही कोई महिला सांसद या फिर मंत्री और न ही कोई आइएएस ऑफिसर, इनकी आदर्श हैं कल्पना चावला।
कल्पना अंतरिक्ष में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला थीं और आज हम उनका जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज उनका बर्थडे है।
कल्पना को गुजरे 13 वर्ष पूरे हो गए हैं लेकिन आज तक कोई भी उन्हें भुला नहीं सका है और वह अपने निधन के बाद भी देश की कई लड़कियों की प्रेरणा बनी हुई हैं।
कल्पना का जिक्र आज और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि आज देश उस मुकाम पर पहुंच गया है, जब यहां पर महिलाओं को कॉम्बेट मिशन में शामिल करने की मंजूरी पर बाते होने लगी हैं।
इंडियन एयरफोर्स और इंडियन नेवी तो एक कदम आगे भी बढ़ा चुकी हैं। आज से 13 वर्ष पहले भारत में लड़कियों के लिए स्थितियां इतनी आसान नहीं थीं। निंसंदेह कल्पना ने देश में आने वाले वर्षों की एक तस्वीर की इबारत पेश कर दी थी।
आज जानिए कि आखिर एक अंतरिक्ष यात्री से अलग एक आम लड़की कल्पना चावला की जिंदगी कैसी थी।
हरियाणा में हुआ था जन्म
17 मार्च 1961 को हरियााण के करनाल जिले में रहने वाले बनारसी लाल चावला और संजयोती के एक घर एक बच्ची ने जन्म लिया। पंजाबी हिंदू परिवार में पैदा हुई इस बच्ची को कल्पना नाम दिया गया।
सबसे छोटी सबसे लाड़ली
कल्पना अपने परिवार में सबसे छोटी थीं और उनके साथ चार और भाई बहन थे। प्यार से सब कल्पना को मोंटू कहकर बुलाते थे।
बचपन से था आंखों में एक सपना
करनाल के टैगोर स्कूल में पढ़ने वाली कल्पना बचपन से ही कुछ अलग करने के सपने देखती थी।
1982 में पूरी हुई एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
अपने सपने को सच करने के लिए कल्पना ने जी-जान से कोशिश की और सपने की वजह से वर्ष 1982 में चंडीगढ़ कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
पहुंची अमेरिका
चंडीगढ़ से वर्ष 1982 में कल्पना अमेरिका के लिए रवाना हुईं और यहां पर 1984 में उन्होंने टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की डिग्री ली।
जुड़ गई नासा से
वर्ष 1988 में कल्पना ने नासा के साथ काम करना शुरू कर दिया था। वर्ष 1995 में कल्पना को नासा ने उनकी पहली स्पेस मिशन के लिए चुना। कल्पना ने पहली उड़ाना एसटीएस87 कोलंबिया शटल से भरी थी। यह मिशन 19 नवंबर 1997 को शुरू हुआ और पांच दिसंबर 1997 तक चला था।
कल्पना की पहली अंतरिक्ष यात्रा
अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान कल्पना ने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी के 252 चक्कर पूरी कीं।
कल्पना की आखिरी अंतरिक्ष यात्रा
कल्पना की आखिरी अंतरिक्ष यात्रा 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू हुई थी। यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था। एक फरवरी 2003 को लैंडिंग से पहले ही कोलिंबया एक हादसे का शिकार हो गया था। इस हादसे में सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। इस मिशन के दौरान करीब 80 टेस्ट्स और एक्सपेरीमेंट्स हुए थे।
कौन था कल्पना की प्रेरणा
कल्पना भारत के पहले पायलट और टाटा इंडस्ट्री की शुरुआत करने वाले जेआरडी टाटा को अपना आदर्श मानती थीं और उनसे प्रभावित थीं।