भारत-पाक 1965 का युद्ध- जब प्रधानमंत्री ने छोड़ दिया था खाना
लखनऊ। भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध को 50 साल पूरे होने को हैं। ऐसे में एक बार फिर से पाक पर जीत की यादें लोगों के जेहन में ताजा हो गयी हैं। भारतीय सेना जिस तरह से पाक सेना की धज्जियां उड़ा रही थी अगर वही रफ्तार महज दो घंटे और बरकरार रहती तो भारत-पाक के नक्शे की तस्वीर ही कुछ और होती।
दरअसल जिस वक्त भारतीय सेना तेजी से आगे बढ़ रही थी उस वक्त पाक ने अमेरिका की शरण ले ली थी। गौर करने वाली बात यह है कि उस वक्त देश में भुखमरी बड़ी समस्या था। उस दौर में अमेरिका से घटिया क्वालिटी का PL 48 गेंहू आयात होता था। जोकि दिखने में लाल रंग का होता था जिसे अमेरिका में जानवर भी नहीं खाते थे।
उस वक्त शास्त्री जी को अमेरिका से धमकी दी गयी थी अगर युद्ध नहीं रुका तो गेंहूं का आयात बंद कर दिया जाएगा। जिसके बाद तत्कालीन प्रधामंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दो टूक कह दिया था बंद कर दीजिए गेंहूं देना।
शास्त्रीजी के इस दो टूक के बाद कुछ दिनों बाद अमेरिकी अधिकारियों ने बयान दिया कि अगर अमेरिका ने गेंहू देना बंद कर दिया तो भारत के लोग भूखे मर जायेंगे। लेकिन शास्त्रीजी ने इस बयान का और भी करारा जवाब अमेरिका को दिया था।
उन्होने कहा कि हम बिना गेंहू के भूखे मरे या बहुत अधिक खा के मरे, आपको क्या तकलीफ। शास्त्री जी ने कहा कि हम भूखे मारना पसंद होगा बेशर्ते सड़ा हुआ गेंहू खाकर, इसके साथ ही उन्होने अमेरिका से गेंहू लेने से भी साफ इनकार कर दिया था।
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लेकिन जिस वक्त भारत-पाक का युद्ध चल रहा था उस वक्त देश में वित्तीय संकट था। उस वक्त शास्त्री जी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखो लोगो से अपील कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है। ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है, मैं आप सब लोग से अपील करता हूं कि आप लोग फालतू खर्चे बंद करें। जिससे कि घरेलू इंकम में बढ़ोत्तरी हो, या तो सीधे देश की सेना को दान करें।
शास्त्री जी ने लोगों से हफ्ते में एक दिन व्रत भी रखने को कहा, यही नहीं उन्होंने खुद भी हर सोमवार को व्रत रखना शुरु कर दिया था। उनका कहना था कि ऐसा करने से गेहूं की मांग में भी कमी आयेगी।