जब पाक को आतंकी देश घोषित करते-करते क्लिंटन ने बदल दिया अपना फैसला
वाशिंगटन। एक बार फिर खबर आई है कि अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने के लिए प्रस्ताव पेश कर दिया गया है। यह होगा या नहीं इस बारे में कुछ गारंटी नहीं है क्योंकि एक बार ऐसे ही अमेरिका ने पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करने की पूरी तैयारी कर ली थी और फिर ऐन मौके पर पाक को अपना भरोसमंद साथी बताते हुए अपने ही फैसले से पैर वापस खींच लिए।
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तो आज कश्मीर में न होता आतंकवाद
90 के दशक में भारत के कश्मीर में आतंकवाद ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। जनवरी 1993 में डेमोक्रेटिक पार्टी के बिल क्लिंटन अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता में आए।
आने के पांच माह बाद ही यानी मई 1993 में अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर उसने कश्मीर के आतंकी तत्वों को समर्थन और मदद देनी बंद नहीं की तो फिर उसे एक आतंकी राष्ट्र घोषित कर दिया जाएगा।
उस समय अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया ने लिखा था कि सर्दी के समय में भारत के कश्मीर में पाक की ओर से आतंकी गतिविधियों में काफी तेजी से इजाफा हो जाता है।
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वही पुराने सुर थे पाक के
जब पाक को चेतावनी दी गई तो उस समय पाक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे बाल्ख शेर मजारी ने कहा कि पाक में आतंकियों के लिए कोई जगह नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने अरब से आए आतंकियों को उनके घर वापस लौट जाने को कहा। जैसे आज पाक खुद का बचाव करता है, उस समय भी किया।
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उस समय भी नवाज हुए थे बेदखल
उस समय भी पाक ने कहा कि पाक की सरजमीं पर आकर कोई भी आतंकी किसी आतंकी मकसद को अंजाम नहीं दे सकता है। उस समय भी पाक ने भारत पर उसके घर में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था।
यह वह दौर था जब पाक इस बात पर भरोसा करने लगा था कि शीत युद्ध के बाद अमेरिका का झुकाव भारत की ओर ज्यादा हो गया है। आपको यह बात जानकर और भी हैरानी होगी कि उस समय भी नवाज शरीफ को उनके प्रधानमंत्री पद से बेदखल कर दिया गया था।
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अगर पाक घोषित हो जाता आतंकी देश
अगर उस समय अमेरिका, पाक को आतंकी देश घोषित कर देता तो उसे मिल रही सारी मदद बंद हो जाती जो कि कुछ हद तक परमाणु कार्यक्रम की वजह से रोक दी गई थी।
अमेरिका की ओर से पाक को मिलने वाला 360 मिलियन डॉलर का निवेश बंद हो जाता। यह रकम पाक को मिलने वाले विदेशी निवेश की आधी थी।
साथ ही बाकी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से पाक के खिलाफ वोट करने का आदेश दे दिया जाता। ऐसे में पाक की आर्थिक हालत बद से बदतर हो चुकी होती।
ऐसा नहीं हुआ और फिर जुलाई 1993 में अमेरिका ने अपने सुर बदल लिए। जो अमेरिका पाक को आतंकी देश घोषित करने वाला उसने पाक को अपना भरोसेमंद साबित करार देकर अपने फैसले को वापस ले लिया।