जानिए क्या है हर वर्ष होने वाला सशस्त्र सेना झंडा दिवस
वर्ष 1949 में हर वर्ष सात दिसंबर को सेनाओं और सैनिकों को सम्मान देने के मकसद से शुरू हुई थी सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने की परंपरा।
नई दिल्ली। सात दिसंबर यानी आज भारत की सेनाओं के लिए एक और अहम दिन है। इस दिन पर पूरा देश आर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे या सशस्त्र सेना झंडा दिवस के जरिए उन्हें याद करता है। ऑर्म्ड फोर्सेज फ्लैग डे की शुरुआत वर्ष 1949 में हुई थी और इसका मकसद सेनाओं को उनका सही सम्मान देना था।
इकट्ठा होता है फंड भी
हर वर्ष इस दिन के जरिए उन जवानों, एयरमेन, और नाविकों को याद किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए। सात दिसंबर 1949 से हर वर्ष इसी तारीख पर इसे मनाना एक परंपरा है। इस दिन के जरिए सैनिकों के कल्याण के लिए फंड भी इकट्ठा किया जाता है। एक नजर डालिए कि इस दिन की अहमियत दरअसल क्या है।
क्यों हुई शुरुआत
- सन 1947 को मिली आजादी के बाद सरकार के सामने सैनिकों के रख-रखाव के लिए जरूरी पैसे की कमी आई।
- 28 अगस्त 1949को रक्षा मंत्री के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई।
- इस कमेटी की ओर से हर वर्ष सात दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का आइडिया दिया गया।
- झंडा दिवस के जरिए लोगों में छोटे-छोटे झंडे दिए जाते और उनके बदले डोनेशन ली जाती।
- आम नागरिकों में सैनिकों के परिवारों के देखभाल की जिम्मेदारी की भावना को पैदा करना इसके अहम मकसद में से था।
- झंडा दिवस वह एक दिन है जब आप सैनिकों और उनके परिवारों वालों के कल्याण के लिए 10 रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक दे सकते हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सैनिकों के योगदान और उनकी कोशिशों को सामने लाया जाता है।
- देश में केंद्रीय सैनिक बोर्ड के तहत इस फंड को इकट्ठा किया जाता है और इसकी देखरेख होती है।
- केंद्रीय सैनिक बोर्ड भी रक्षा मंत्रालय का ही एक हिस्सा है।
क्या कहा था पंडित नेहरु ने
सात दिसंबर 1954 को उस समय के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इस दिन पर एक खास बात कही थी।
पंडित नेहरु ने कहा था, 'कुछ हफ्तों पहले मैंने भारत और चीन के बॉर्डर का दौरान किया। मैं सेना के अधिकारियों और जवानों से मिला जो वहां पर अंतराष्ट्रीय मिशन से जुड़े हुए थे। मुझे उन्हें देखकर एक अजीब सा रोमांच पैदा हुआ जब मैंने देखा कि वह कैसे अपने अच्छे काम को एक ऐसी जगह पर अंजाम दे रहे हैं जो घर से काफी दूर और सूनसान है।'
उन्होंने आगे कहा, 'इससे भी ज्यादा मुझे यह देखकर काफी अच्छा लगा कि सैनिक आम जनता के बीच भी काफी लोकप्रिय थे। मुझे उम्मीद है कि देशवासी उनसे कुछ सीखेंगे और उनकी प्रशंसा करेंगे। फ्लैग डे फंड में योगदान देना भी उनकी इसी प्रशंसा का एक हिस्सा है।'