भारत को धमकी देने से पहले इन तीन लड़ाइयों को याद रखे पाकिस्तान
वर्ष 1965, 1971 और फिर 1999 में कारगिल की जंग में करारी हार मिलने के बाद भी पाकिस्तान, भारत को सबक सिखाने की धमकी से बाज नहीं आता है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को धमकी दी है कि अगर इंडियन आर्मी ने उनके किसी सैनिक को मारा तो वह भारत के तीन सैनिकों को मारेंगे।
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इससे अलग पाक ने भारत को 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर मजा चखाने की योजना तैयार की है। इससे पहले पाकिस्तान के तीनों सेना प्रमुखों ने भारत को धमकी दी है।
पढ़ें-पाक
आर्मी
चीफ
ने
भारत
को
धमकाया,
जानिए
उनकी
सेना
की
हैसियत
पहले
आर्मी
चीफ
राहील
शरीफ
ने
कहा
कि
भारत
को
सबक
सिखाने
क
लिए
पाक
की
सेना
तैयार
है।
आर्मी
चीफ
जनरल
राहील
शरीफ
से
पहले
पाक
एयर
फोर्स
और
पाक
नेवी
चीफ
ने
भी
भारत
को
इसी
अंदाज
में
धमकाया।
पढ़ें-1965 की जंग में जब लाहौर तक पहुंच गई थी इंडियन आर्मी
हर बार धमकी देने वाला पाकिस्तान हमेशा भूल जाता है कि पिछली तीन जंग में भारत ने उसका क्या हाल किया है।
वर्ष 1965, 1971 और फिर 1999 में हुई कारगिल की जंग में भारत ने पाक को धूल चटाई है। आइए आपको बताते हैं तीनों ही जंग में कैसे भारत ने पाक को शिकस्त दी है।
65 की शिकस्त को मानता ही नहीं पाक
वर्ष 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच पहली जंग छिड़ी। अप्रैल 1965 में शुरू हुई इस जंग को कश्मीर की दूसरी जंग के नाम से भी जानते हैं। कश्मीर विवाद से अलग गुजरात में मौजूद कच्छ के रन की सीमा भी उस समय विवादित थी। इस सीमा पर पाक ने जनवरी 65 से गश्त शुरू की थी।
भारत को उकसाने की कोशिशें
इसके बाद यहां पर एक के बाद एक दोनों देशों के बीच आठ अप्रैल से पोस्ट्स को विवाद शुरू हो गया। 20 मार्च 1965 में पाक ने जान बूझकर कर कच्छ में भारत को उकसाना शुरू कर दिया। शुरुआत में तो सिर्फ बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ ही शामिल थी लेकिन बाद में इंडियन आर्मी को भी शामिल होना पड़ा।
गफलत में था पाकिस्तान
एक जून 1965 को उस समय ब्रिटिश पीएम हैरॉल्ड विल्सन ने भारत-पाक के बीच लड़ाई रुकवा कर दोनों के बीच एक न्यूट्रल कोर्ट की शुरुआत कर दी। फैसले से पहले ही ब्रिटेन ने करीब 900 वर्ग किमी की जमीन पाक को दे दी। पाक ने इसे अपनी सफलता समझा और फिर भारत पर हमले को अंजाम दिया।
लाहौर तक पहुंची इंडियन आर्मी
पांच अगस्त 1965 को पाक ने अपने 26,000 से 30,000 सैनिकों को कश्मीर की स्थानीय लोगों के कपड़ों में एलओसी पार कर कश्मीर में दाखिल करा दिया। दोनों देशों के बीच जंग की शुरुआत हुई। पाक भले ही इस जंग में अपनी शिकस्त ना माने लेकिन हकीकत यह है कि इंडियन आर्मी लाहौर तक पहुंच गई थी।
क्यों शुरू हुई 71 की जंग
वर्ष 1971 की जंग भारत और पाक की सेनाओं के बीच टकराव का नतीजा था। मार्च 1971 में पाकिस्तानी तानाशाह याहिया खान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों और उनकी मांगों को कुचलने का आदेश दिया। यह पूर्वी पाकिस्तान वही हिस्सा है जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जानते हैं।
इंदिरा हुईं पाक से परेशान
याहिया खान के आदेश के बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत की ओर भागने लगे। उस समय देश की कमान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथ थी। बांग्लादेश से इतनी बड़ी संख्या में शरणार्थियों को आता देख सरकार चिंतित हो गई। इंदिरा ने एक इमरजेंसी मीटिंग बुलवाई जिसमें उस समय इंडियन आर्मी के चीफ फील्डमार्शल सैम मॉनेकशॉ भी शामिल थे।
मॉनेक शॉ की बात मानी इंदिरा ने
इंदिरा ने मॉनेकशॉ को बांग्लादेश में सेना भेजने के लिए कहा जिसके लिए वह तैयार नहीं थे। दोनों के बीच कुछ तनातनी हुई और आखिर में इंदिरा को मॉनेकशॉ की बात माननी पड़ी। तीन दिसंबर को इंदिरा गांधी कोलकाता में एक रैली कर रही थी। ईस्टर्न कमान के कमांडर इन चीफ जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा इंदिरा के पास पहुंचे। उन्होंने पीएम को बताया कि पाक के जेट्स ने भारत के पठानकोट, अमृतसर, जोधपुर, अवंतीपुर, अंबाला, आगरा और कई एयरबेस पर बमबारी शुरू कर दी है।
71 की जंग में 93,000 पाक सैनिक बंदी
तीन दिसंबर को ही इंदिरा दिल्ली पहुंची और फिर युद्ध का ऐलान हुआ। 14 दिन का चलने के बाद भारत ने 93,000 पाकिस्तानियों जिसमें पाक सैनिक भी शामिल थे, उन्हें बंदी बना लिया था। इस पूरे युद्ध को ऑपरेशन विजय नाम दिया था। भारत को एक और जीत मिली और पाक को एक और हार का सामना करना पड़ा।
99 की कारगिल की जंग
कारगिल युद्ध की स्क्रिप्ट शायद पाकिस्तान तभी से ही लिखने लगा था जब उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई लाहौर बस सेवा के साथ पाक को शांति का पाठ पढ़ाने पहुंचे थे। फरवरी में लाहौर बस यात्रा के बाद मई में युद्ध का आगाज हो गया था। पाकिस्तान ने एक बार फिर से भारत की पींठ में छुरा भोंका था।
क्यों हुई थी कारगिल की जंग
अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने 1972 के शिमला समझौते का पालन करते हुए कारगिल की कई पोस्ट्स से सेना हटा ली थी। इसका फायदा पाकिस्तान के तब के आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने उठाया। युद्ध शुरू होने के कुछ हफ्तों पहले मुशर्रफ हेलीकॉप्टर से मश्कोह घाटी तक पहुंच गए। मई 1999 के मध्य से इस युद्ध का आगाज हुआ। इंडियन आर्मी ने इस युद्ध में अपने 527 सैनिक गंवाए थे।