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क्या होता अगर देश में नहीं होती नरेंद्र मोदी की लहर?

By Ajay
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जिस बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में किसी राजनेता को अंदर घुसने से पहले वाइस चांसलर की इजाजत लेनी होती थी, जिस वाराणसी में भगवा वस्त्रों में कभी सिर्फ पंडों का झुंड ही दिखाई देता था, वह बनारस इस वक्त नरेंद्र मोदी की लहर में गोते लगा रहा है। मोदी गंगा आरती और बेनियाबाग में जनसभा कर पायें या नहीं, प्रधानमंत्री बन पाायेंगे या नहीं, अगर बने तो विकास कर पायेंगे या नहीं, यह सब भविष्य के गर्भ में है, लेकिन अगर वर्तमान की बात करें तो जो लहर देश में चल रही है उसके लिये हमें भाजपा और मोदी को धन्यवाद देना चाहिये!

ऐसा इसलिये क्योंकि अगर मोदी की लहर नहीं होती, तो सवा सौ करोड़ की आबादी वाला यह देश निराशा की गर्त में चला गया होता, आधे से ज्यादा लोग फ्रस्टेट हो चुके होते। सुनने में यह बात बहुत हलकी लग रही है। इसकी गहरायी को समझना है तो पांच मिनट के लिये आंख बंद कीजिये और नरेंद्र मोदी का नाम जहन से निकाल दीजिये और फिर देख‍िये वर्तमान भारत आपको कैसा दिखाई देता है।

आंख बंद कर अपने देश को मोदी की लहर से कोसों दूर ले जाने पर आपको सबसे पहले कांग्रेस पार्टी का वो शासन दिखाई देगा, जिसने आपको महंगाई के बोझ तले दबा दिया। वो शासन दिखाई देगा जिसने घोटालों का रिकॉर्ड बनाया। वह देश दिखाई देगा जिसका प्रधानमंत्री एक रोबोट है, वह देश दिखाई देगा, जिसके प्रधानमंत्री की बेटी तक को पिता के रोबोट की तरह काम करने पर बहुत तकलीफ हुई। व‍ह बेटी जिसके प्रधानमंत्री पिता की इंसल्ट युवा सांसद ने ऑर्डिनेंस फाड़ कर की और वो चुपचाप देखती रही। वह कांग्रेस शासन दिखाई देगा, जिसके पास 10 साल बाद भी कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसके आधार पर वोट मांग सके।

आंख बंद करने पर आपको वो कांग्रेस दिखाई देगी जो 10 साल शासन करने के बाद भी यही कह रही है कि हम देश के किसानों को, गरीबों को, महिलाओं को, पिछड़ों को, सशक्त बनायेंगे (10 साल से क्या किया कुछ नहीं पता)।

दिखी थी उम्मीद की किरण

अरविंद केजरीवाल ने जब अन्ना हजारे के साथ मिलकर जंतर-मंतर पर आंदोलन किया और फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया, तब पूरे देश को एक उम्मीद की किरण दिखाई दी लेकिन पद छोड़ने के बाद वह उम्मीद भी टूट गई। इस टूटी हुई उम्मीद वाले भारत के बारे में आगे सोचने पर आपको मायावती, मुलायम सिंह जैसे नेता दिखाई देंगे, जो देश को जाति और धर्म के आधार पर बांटने को तुले हैं।

पश्च‍िम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में जयाललिता अपने राजनीतिक पैंतरें आजमाने में जुटी हुई हैं। महाराष्ट्र में श‍िवसेना और मनसे क्षेत्रवाद की राजनीति कर रही हैं। वहीं अन्य राज्यों में कांग्रेस और यहां तक भाजपा का भी हाल एक जैसा ही है। इन सबके बीच अगर मोदी की लहर नहीं होती, तो वोटर एक असहाय व्यक्त‍ि के रूप में खड़ा होता, क्योंकि सारे विकल्प यहां तक भाजपा भी उसकी नजर में स्तरहीन होते। ऐसा होने पर उसे सिर्फ नोटा का ही विकल्प दिखाई देता! और उस बटन को दबाते ही वह वोटर निराशा की गर्त में चला जाता।

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English summary
Varanasi is now floating in Narendra Modi wave which has actually saved the country from depression. Just imagine Present India without Modi Wave.
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