सर्वे: दूसरे बच्चे के जन्म को लेकर क्या कहती हैं कामकाजी भारतीय महिलाएं
यह सर्वे एक बच्चे वाली 1,500 वर्किंग मदर्स के बीच किया गया। जिसमें महिलाओं से दूसरे बच्चे के बारे में पूछा गया।
नई दिल्ली। कामकाजी महिलाओं के लिए बच्चों की परवरिश एक मुश्किल काम माना जाता है। ऐसे में घरेलू महिलाओं के मुकाबलें कामकाजी महिलाएं गर्भवती होने में भी टाइम लेती हैं। अब एक सर्वे कहता है कि कामकाजी महिलाएं एक बच्चा तो चाहती हैं लेकिन दूसरा बच्चा वो नहीं चाहतीं।
शहरी कामकाजी महिलाओं पर सर्वे
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने अपनी एक रिसर्च में पाया है कि भारत में कामकाजी, खासकर शहरों में रहने वालीं महिलाएं, दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं हैं। रिसर्च में नौकरीपेशा महिलाओं ने इसके पीछे बच्चे की परवरिश के लिए समय ना दे पाने, मंहगाई और एकल परिवारों को इसकी वजह बताया।
नौकरी में रुकावट भी वजह
रिसर्च में बड़ी तादाद में महिलाओं ने कहा है कि वह दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं हैं। इसकी एक बड़ी वजह बच्चे के जन्म के समय नौकरी से लंबी छुट्टी भी है। काफी महिलाओं ने मैटरनिटी लीव क असर नौकरी में उनके प्रमोशन पर पड़ सकता है।
बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए
रिसर्च में महिलाओं ने ये भी कहा कि दूसरा बच्चा ना चाहने की वजह पहले बच्चे पर ज्यादा ध्यान देना है। वह अपना ध्यान ज्यादा बांटना नहीं चाहते हैं इसलिए वह दूसरा बच्चा नहीं चाहते हैं।
बड़े शहरों में किया गया सर्वे
एसोचैम ने यह रिसर्च हैदराबाद, कोलकाता, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्लीऔर मुंबई समेत देश के दस बड़े और अपेक्षाकृत विकसित माने जाने वाले शहरों शहरों में किया है। यह सर्वे एक बच्चे वाली 1,500 वर्किंग मदर्स के बीच किया गया।
{promotion-urls}