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सपा दंगल: 'जलवा कायम, नाम मुलायम'...क्या सच में अब बीती बात?

इतिहास साक्षी है कि मुलायम सिंह की एक पहचान मौकापरस्त नेता की रही है इसलिए आज समय उनसे अपना हिसाब ले रहा है।

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लखनऊ। यूपी से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में एक नारा काफी लोकप्रिय है..'जलवा कायम, नाम मुलायम'... लेकिन क्या सच में अब ये वाजिब है...क्योंकि बीते तीन दिनों के अंदर से जिस तरह से सपा परिवार का झगड़ा लोगों के सामने आया है उससे तो यही लगता है कि मुलायम का जलवा अब नहीं चलने वाला...।

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राजनीति की तुलना रेत के पानी से की जाती है

लेकिन राजनीति की तुलना रेत के पानी से की जाती है, यानी कि अक्सर यहां जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखाई नहीं देता।शिवपाल भाई के प्रेम में सपा को बचाने का जिम्मा उठाने वाले मुलायम सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो कब, क्या करेंगे इस बारे में उनके साए को भी मालूम नहीं होता।

किसी से भी समझौता करने के लिए मशहूर मुलायम

अपने सियासी फायदे के लिए किसी से भी समझौता करने के लिए मशहूर मुलायम के बारे में कुछ भी कहना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए उन्हीं के घटक दलों में से कहा जा रहा है कि सपा के अंदर परिवार का झगड़ा एक लिखी हुई नाटक की कहानी है, अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ये तो कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन इतना तय है कि आज यूपी के सबसे बड़े सियासी दल का मुखिया अपनों के बीच ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।

पुत्र अखिलेश यादव ने खड़ी की मुसीबत

ये समस्या उन्हीं के लाडले पुत्र अखिलेश यादव के कारण पैदा हुई है, मुलायम और अखिलेश की लड़ाई में कौन जीतेगा या कौन हारेगा ये तो आने वाले चंद लम्हों में तय हो जाएगा लेकिन इसमें हार जरूर भावनाओं और प्रेम की होगी, ये तय है।

खास बातें...जो मुलायम के बारे में जानना जरूरी है..

  • मीडिया तंत्र कहता है कि इतिहास गवाह है कि फायदे कि लिए मुलायम कभी भी कोई भी समझौता कर लेते हैं।
  • इतिहास साक्षी है कि मुलायम सिंह की एक पहचान मौकापरस्त नेता की भी रही है इसलिए आज समय उनसे अपना हिसाब ले रहा है।
  • चरण सिंह से लेकर वीपी सिंह तक, चंद्रशेखर से लेकर फिर अजीत सिंह तक, या राजीव गांधी से लेकर मायावती तक, मुलायम ने हर किसी के साथ अपने नफे को देखते हुए दोस्ती की और फिर तोड़ दी।
  • 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाने के बाद वे उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बड़े नेता बने, लोग उन्हें मौलाना मुलायम और मुल्ला मुलायम कहलाने लगे।
जलवा कायम रहता है या फिर खत्म हो जाता है
इसलिए अब हर किसी की नजर मुलायम सिंह के चाल पर ही है, क्योंकि ये चाल ही उनके जलवे और राजनीति के बीच की दीवार को खत्म करेगी, देखते हैं जलवा कायम रहता है या फिर खत्म हो जाता है।
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English summary
Uttar Pradesh Chief Minister Akhilesh Yadav after being named as the new head of the Samajwadi Party at the National Executive meet on Sunday is going to stake his claim before the Election Commission to the party symbol.
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