परिवारों में प्रेम नहीं झगड़ा कराते हैं अमर, ये रहे सबूत
लखनऊ। इन दिनों समाजवादी पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। चाचा बनाम भतीजा की लड़ाई में निशाना बने हैं एक बार फिर से मुलायम प्रिय अमर सिंह। सीएम अखिलेश यादव के बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने भी खुले तौर पर अमर सिंह को इस विवाद के लिए जिम्मेदार ठहाराया है।
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हालांकि अपने चुटिले अंदाज और कटाक्ष करने वाले गुण के लिए लोकप्रिय अमर सिंह ने अखिलेश को अपना लाडला बेटा बोलकर विवाद को शांत करने की कोशिश भी की थी लेकिन जो बातें मुंह से निकल चुकी हैं उन्हें भला वापस कैसे लिया जा सकता है।
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वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है कि अमर सिंह पर परिवार तोड़ने का आरोप लगा है। इतिहास गवाह है कि अमर सिंह इस तरह के आरोपों से पहले भी दो-चार हो चुके हैं, उनके बारे में तो कहा ही जाता है कि जहां पड़े अमर के पांव, वहां पड़ जाती है रिश्तों में दरार...
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ऐसा क्यों कहा जाता है..आईये जानते हैं विस्तार से...
राज बब्बर को बाहर किया
एक वक्त था जब राज बब्बर सपा पार्टी में बहुत बड़ा चेहरा हुआ करते थे, आज कांग्रेस के स्टार नेता और यूपी में कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाले राजबब्बर ने अमर सिंह को दलाल कहकर संबोधित किया था क्योंकि अमर सिंह के प्रेम में पड़कर मुलायम ने उनके प्रति कड़ा रूख अपना लिया था जिसके कारण राजबब्बर ने दुखी मन से सपा परिवार को छोड़ा था, वो परिवार जो कभी उनकी पहचान हुआ करता था। पार्टी छोड़ने के बाद राज बब्बर ने सारा दोष अमर सिंह पर मढ़ा था।
अंबानी परिवार में बंटवारा
ठाकुर अमर सिंह खुद को धीरूभाई अंबानी का सगा बताते थे, ऐसा कहा जाता है कि इनके कारण ही मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच में झगड़े होने लगे। अमर सिंह ने पेट्रोलियम कारोबार के बंटवारे में अंबानी के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। अनिल अंबानी को मुलायम के करीब लाने का श्रेय और दादरी और रोजा में पॉवर प्लांट की डील का क्रेडिट अमर सिंह को ही जाता था लेकिन सपा के करीब लाते-लाते अनिल को अमर सिंह ने मुकेश से काफी दूर कर दिया था लेकिन कहते हैं ना ब्लड इस थिकर दैन वाटर.. और काफी कड़वाहट के बाद अनिल-मुकेश को समझ आया और दोनों में समझौता हो गया और दोनों ने अमर सिंह को अपने कुनबे से बाहर कर दिया। दोनों ने झगड़े के पीछे कारण अमर सिंह को ही ठहराया।
अमिताभ का घर तोड़ने की कोशिश
सबको पता है कि अमिताभ के मुश्किल दिनों में अमर सिंह ने ही उनकी मदद की थी। शायद अमर सिंह ना होते तो अमिताभ कभी वापस अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते लेकिन इस एहसान के बदले अमर सिंह को जो अमिताभ से चाहिए था वो मिला नहीं। साल 2010 में जब अमर सिंह सपा से निकाले गए तो उन्हें पूरी उम्मीद थी कि अमिताभ की पत्नी और सपा सांसद जया बच्चन उनका पूरा साथ देगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तब अमर सिंह ने अमिताभ और जया के रिश्तों को लेकर काफी कुछ कहा था, अगर उनकी सारी बातें सही मान ली जाती तो शायद हिंदी सिनेमा का ये आदर्श कपल अमिताभ-जया आज साथ नहीं होते।
अखिलेश और प्रतीक के बीच में दूरियां
मुलायम के दोनों बेटे अखिलेश और प्रतीक के बीच की दूरियों का कारण भी अमर सिंह ही कहे जाते हैं। कहा जाता है कि दोनों के मिजाज में काफी अंतर है और इस अंतर को दूर करने के बजाय उसे बढ़ाने का काम अमर सिंह करते आये हैं और इसी वजह से किसी भी सार्वजनिक मंच पर अखिलेश अपने छोटे भाई प्रतीक की ना तो बात करते हैं और ना ही जिक्र। अखिलेश के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो अमर सिंह से भी बातें नहीं करते।
शिवपाल के पीछे अमर सिंह का दिमाग
अमर सिंह की वापसी शिवपाल खेमे के कारण हुई थी लेकिन वापसी के बाद अमर सिंह को पार्टी में वो जगह नहीं मिली जो उनकी पहले हुआ करती थी। उन्होंने दो-तीन बार दबी जुबान में ये बातें कही भी। रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव के बयानों से तो लग रहा है कि शिवपाल यादव को भड़काने का काम अमर सिंह ने ही किया है इसलिए शिवपाल के बोल भले ही उनके हों लेकिन वो जो कुछ भी जहर उगल रहे हैं उसके पीछे अमर सिंह का ही दिमाग है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भी अमर सिंह ने ये बयान देकर पार्टी के अंदर ही लॉबिंग करने की कोशिश की थी कि पार्टी के अंदर बलराम यादव, शिवपाल यादव और मेरा अपमान किया जा रहा है।