छत्तीसगढ़ में मिला दुर्लभ प्रजाति का सांप
छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में वैज्ञानिकों बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों को यहां एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को पकड़ने में सफलता मिली है। सांपों के सर्वे का जिम्मा संभाले नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी द्वारा जारी की गई सर्वे में वैज्ञानिकों ने इस बात का खुलासा किया है। सोसायटी ने राजनांदगांव के बाघ नदी के किनारे यह सांप पकड़ा है। इस सांप को हरा ढोरिया यानी ग्रीन कीलबैक नाम से जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ में पकड़े गए इस सर्प की लंबाई 13 इंच है। सोसायटी ने वन्य जीव सप्ताह के दौरान प्रदेश के दो जिलों राजनांदगांव और दुर्ग में सर्वे में इसे पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। सोसायटी के उपाध्यक्ष सूरज और सचिव मोइज अहमद को दो अक्टूबर को यह सफलता हाथ लगी। सोसायटी के सचिव मोइज अहमद के अनुसार, सर्प विशेषज्ञों के लिए यह खुशी की बात है। सर्वे के दौरान 9 सांप मिले थे और सर्वे शुरू हुआ है, इस दौरान यह हरा ढोरिया मिल गया, जो सर्प विशेषज्ञों और वाइल्ड लाइफ स्पेशियालिस्टों के अध्ययन के लिए प्रदेश की ओर अपना ध्यान खींचेगा।
राजनांदगांव के बाघ नदी के किनारे मिले ग्रीन कीलबैक यानी हरा ढोरिया को वन विभाग के माध्यम से डीएनए सैंपल टेस्टिंग के लिए भिजवाने की तैयारी की भी जानकारी मिली है। बताया जाता है कि यह सांप पड़ोसी राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, ओडिशा में पाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह पहली बार मिला है। सर्प विशेषज्ञों की मानें तो यह सांप हरी घास या फिर झाड़ियों में पाया जाता है। फुर्तीले होने की वजह से तुरंत गायब भी हो जाता है। अपने भोजन यानी मेंढक व चूहे को पकड़ने के लिए शाम होते ही सक्रिय हो जाता है।