इतिहास के पन्नों से- जनसंघ के जन्म की दास्तां
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) राजधानी के कनाट प्लेस से पांच मिनट की दूरी पर रघुमल गर्ल्स स्कूल का भारतीय जनसंघ से गहरा संबंध रहा है। जनसंघ को आप कह सकते भारतीय जनता पार्टी का मूल चेहरा। इसी स्कूल में 21 अक्तूबर 1951 को जनसंघ की एक सम्मेलन में स्थापना हुई थी।
सम्मेलन में श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, मौली चंद शर्मा, बलरोज मधोक जैसे नेता मौजूद थे। यही जनसंघ 1977 में मिल गई थी जनता पार्टी से। आप इस स्कूल में जाएं तो अब भी स्कूल के बहुत से अध्यापक आपको गर्व के साथ बताते हैं कि जनसंघ की स्थापना इधर ही हुई थी।
राजनीतिक दल
तब तय हुआ था कि जनसंघ राजनीतिक दल के रूप में काम करेगी। ये राष्ट्रवादी विचारधारा पर चलेगी। ये स्कूल राजा बाजार नाम के इलाके में है।
क्नाट प्लेस से सटा
आप इसे क्नाट प्लेस से बेहद सटा हुआ इलाका कह सकते हैं। आर्य समाज का ये बेहतर कन्याओं का स्कूल माना जाता है। हर साल इधर बोर्ड की परीक्षाओं के रिजल्ट शानदार आते हैं।
पहला लोकसभा चुनाव
1951 में स्थापना के अगले ही साल यानी 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में जनसंघ ने हिस्सा लिया और तीन सीटें जीतीं भी। दिल्ली जनसंघ से जुड़े रहे प्रदीप गुप्ता कहते हैं ये अफसोस की बात है कि जिस शहर में जनसंघ की स्थापना हुई वहीं अब भारतीय जनता पार्टी कमजोर पड़ती जा रही है। उसने बीता विधानसभा चुनाव हार गई। एक जमाने में दिल्ली जमसंघ और उसके बाद भाजपा का गढ़ होती थी।
जबरदस्त उत्साह
जनसंघ के पहले सम्मेलन में भाजपा नेता विजय कुमार मल्होत्रा भी थे। वे तब युवक थे। उन्होंने एक बार इस लेखक को बताया था कि जनसंघ के पहले सम्मेलन में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान समेत देशभर से प्रतिनिधि आए थे। जबरदस्त उत्साह था।
हालांकि अफसोस इस बात का होता है कि रघुमल स्कूल के बाहर इस तरह का कोई पत्थर नहीं लगा जो बताए कि इसका इतिहास क्या है। यानी बताए कि किस तरह से ये स्कूल जनसंघ से जुड़ा रहा है।