छत्तीसगढ़ में एक मंदिर ऐसा जहां होती है कुत्ते की पूजा
रायपुर।
छत्तीसगढ़
के
राजनंदगांव
में
एक
विशेष
तरह
का
मंदिर
है,
यह
मंदिर
किसी
देवी-देवता
का
नहीं
बल्कि
कुत्ते
का
है।
मंदिर
में
एक
कुत्ते
की
प्रतिमा
स्थापित
है।
मंदिर
से
जुड़ी
यह
मान्यता
है
कि
इसके
प्रदक्षिणा
से
कुकुर
खांसी
व
कुत्ते
के
काटने
से
कोई
रोग
नहीं
होता।
'कुकुरदेव
मंदिर'
राजनंदगांव
के
बालोद
से
छह
किलोमीटर
दूर
मालीघोरी
खपरी
गांव
में
है।
[अजब
गजब
खबरें]
यह मंदिर दरअसल भैरव स्मारक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के शिखर के चारों ओर दीवार पर नागों का अंकन किया गया है। इस मंदिर का निर्माण हालांकि फणी नागवंशी शासकों द्वारा 14वीं-15 वीं शताब्दी में कराया गया था। इस मंदिर के प्रांगण में स्पष्ट लिपियुक्त शिलालेख भी है, जिस पर बंजारों की बस्ती, चांद-सूरज और तारों की आकृति बनी हुई है। राम लक्ष्मण और शत्रुघ्न की प्रतिमा भी रखी गई है। मंदिर के प्रांगण में कुत्ते की प्रतिमा भी स्थापित है।
कभी बंजारों की बस्ती हुआ करती थी
जनश्रुति के अनुसार, कभी यहां बंजारों की बस्ती थी। मालीघोरी नाम के बंजारे के पास एक पालतू कुत्ता था। अकाल पड़ने के कारण बंजारे को अपने प्रिय कुत्ते को मालगुजार के पास गिरवी रखना पड़ा। इसी बीच, मालगुजार के घर चोरी हो गई। कुत्ते ने चोरों को मालगुजार के घर से चोरी का माल समीप के तालाब में छुपाते देख लिया था। सुबह कुत्ता मालगुजार को चोरी का सामान छुपाए स्थान पर ले गया और मालगुजार को चोरी का सामान भी मिल गया।
कुत्ते की वफादारी की वजह से की जाती है पूजा
कुत्ते की वफादारी से अवगत होते ही उसने सारा विवरण एक कागज में लिखकर उसके गले में बांध दिया और असली मालिक के पास जाने के लिए उसे मुक्त कर दिया। अपने कुत्ते को मालगुजार के घर से लौटकर आया देखकर बंजारे ने डंडे से पीट-पीटकर कुत्ते को मार डाला।
कुत्ते के मरने के बाद उसके गले में बंधे पत्र को देखकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और बंजारे ने अपने प्रिय स्वामी भक्त कुत्ते की याद में मंदिर प्रांगण में ही कुकुर समाधि बनवा दी। बाद में किसी ने कुत्ते की मूर्ति भी स्थापित कर दी। आज भी यह स्थान कुकुरदेव मंदिर के नाम से विख्यात है।
इस मंदिर में वैसे लोग भी आते हैं, जिन्हें कुत्ते ने काट लिया हो। यहां हालांकि किसी का इलाज तो नहीं होता, लेकिन ऐसा विश्वास है कि यहां आने से वह व्यक्ति ठीक हो जाता है। 'कुकुरदेव मंदिर' का बोर्ड देखकर कौतूहलवश भी लोग यहां आते हैं। उचित रखरखाव के अभाव में यह मंदिर हालांकि जर्जर होता जा रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।