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..जिस पालने ने बचाई 100 से ज्यादा कन्याएं

By Ians Hindi
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उदयपुर। राजस्थान में बेटी के रूप में जन्म लेना शायद अभी भी एक अभिशाप है। करीब तीन साल पहले राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में कंटीली झाड़ियों में मिली खून से लथपथ राधा को देखकर सबको यही महसूस हुआ।

Girl child

वह नवजात राधा आज बेहद चुलबुली और प्यारी बच्ची है। उसकी खुशकिस्मती ने उसकी जान बचा ली। स्वतंत्र आंकड़ों के अनुसार, राज्य में रोजाना ऐसे कई मामले सामने आते हैं।

राधा खुशकिस्मत थी। वह गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) मां भगवती विकास संस्थान द्वारा चलाए जा रहे 'महेश आश्रम' के पालने द्वारा बचाई गई 110 बच्चियों में से एक है। इस आश्रम की स्थापना वर्ष 2007 में लावारिस नवजात शिशुओं के लिए उदयपुर जिले में की गई।

मां भगवती विकास संस्थान के संस्थापक देवेंद्र अग्रवाल ने बताया, "राजस्थान में कन्या शिशु होना एक अभिशाप है। नवजात बच्ची को कुत्तों के नोंचने के लिए लावारिस छोड़ दिया गया था।"

उन्होंने कहा, "हमें तीन साल पहले रात में राधा के बारे में एक कॉल आई थी। वह झाड़ियों में लावारिस पड़ी थी। हम मौके पर पहुंचे और उसे अस्पताल ले गए। कुछ महीनों के इलाज के बाद उसकी जान बच गई।"

राजस्थान नवजात कन्याओं की हत्या के मामले में कुख्यात है। यहां लिंगानुपात 1,000 लड़कों पर 883 लड़कियों का है।

इस लिंगानुपात के बीच बढ़ती खाई से चिंतित मां भगवती विकास संस्था ने अनचाहे शिशुओं, विशेषकर कन्या शिशुओं के लिए एक आश्रम की स्थापना की। इस आश्रम ने 110 में से 94 बच्चों को गोद लिया गया है, जबकि बाकी बचे 16 बच्चों की देखभाल आश्रम कर रहा है।

महेश आश्रम में काम करने वाले विकास शुक्ला ने बताया, "हमारे पास शिशुओं के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं हैं। आप जाइए और देखिए कि सरकारी अस्पतालों में क्या सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।"

आश्रम का पूरा परिसर सीसीटीवी सर्विलांस की जद में है और यहां एक दुरुस्त अग्निशमन प्रणाली भी है।

वर्ष 2006 में उदयपुर में कन्या भ्रूणहत्या की मानो एक लहर सी चल पड़ी थी, जिसने देवेंद्र को हिलाकर रख दिया। उन्होंने कन्याओं की मदद करने के लिए अपना मार्केटिंग करियर छोड़ दिया।

देवेंद्र ने कहा, "पता नहीं मुझे क्या सूझी कि मैंने लावारिस नवजात बच्चों को बचाने की ठान ली। मैंने अपने घर की दहलीज पर एक पालना लगाया और एक माह के अंदर ऐसे तीन लावारिस बच्चों को उसमें पाला।"

उन्होंने बताया, "मैं वर्ष 2007 में महेश आश्रम खोलने में सफल रहा और वहां भी एक पालना लगाया। तब से लेकर आज तक हम 120 कन्या शिशुओं में से 110 को बचाने में सफल रहे हैं।"

देवेंद्र ने अफसोस जताते हुए कहा, "मैं चाहता हूं कि मेरे सभी बच्चों (महेश आश्रम के) को उनका घर मिल जाए, लेकिन कुछ दंपति उन्हें नाजायज समझकर गोद नहीं लेते।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
NGO 'Mahesh Ashram' in Rajasthan setting new examples by saving abandoned girls.
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