लीची की मिठास ने मुजफ्फरपुर को बनाया बिहार की अघोषित राजधानी
पटना। बिहार की राजधानी तो पटना है लेकिन शायद आपको मालूम नहीं होगा कि लीची के कारण मुजफ्फरपुर राज्य की अघोषित राजधानी है। मुजफ्फरपुर बिहार ही नहीं पूरे विश्व में लीची को लेकर मशहूर है। यहां की लीची देश-दुनिया के लगभग सभी भागों में जाती है। और गर्मी के महीनों में लोगों के खास पसंदीदा फल में लीची सबसे प्रचलित है। जिसे हर राज्य के लोग बड़े चाव से खाते हैं।
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मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ-साथ अन्य वीआईपी लोगों को भी जिला प्रशासन के द्वारा गिफ्ट के रूप में भेजी जाती है।
कैसा होता है लीची का फल और पेड़
आपको बताते चलें की जुलाई से अक्टूबर के महीने में अपनी अलग पहचान और स्वाद से लोगों की पहली पसंद बनने वाली लीची का पेड़ सदाबहार होता है। जिसकी ऊंचाई मध्यम होती है।
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पूर्णतः पकने के बाद लीची का रंग गुलाबी और लाल हो जाता है। लीची के अंदर दूधिया सफेद भाग विटामिन सी से युक्त होता है।
लीची में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम के साथ-साथ प्रोटीन खनिज पदार्थ फास्फोरस आदि पाए जाते हैं। जिसके वजह से इसका उपयोग स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., रस, लीची नट इत्यादि बनाने में किया जाता है। वहीं बच्चों के लिए इसका ज्यादा सेवन स्वास्थ के लिए हानिकारक भी हो सकता है।
देहरादून में भी होती है खेती
आपको बताते चलें की लीची की खेती बिहार के मुजफ्फरपुर के साथ-साथ देहरादून, उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र और झारखंड में भी की जाती है। लेकिन वहां विशिष्ट जलवायु नहीं होने के कारण इसके फल छोटे होते हैं। गुणवत्ता के आधार पर अभी तक मुजफ्फरपुर की लीची का स्थान सबसे प्रमुख है।
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क्या फर्क है शाही और चाइना लीची में?
मुजफ्फरपुर में दो तरह की लीची पैदा होती है। जिसमें शाही लीची सबसे मशहूर है। शाही लीची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चाइना लीची के मुकाबले काफी बड़ी होती है और सबसे पहले पककर तैयार हो जाती है। हालांकि गर्म हवाओं और नमी नहीं होने के कारण शाही लीची का फल अकसर फट जाता है। ऐसे में वो चाइना लीची के आकार से थोड़ा छोटा होता है।
वहीं चायना लीची मे फल फटने का खतरा नहीं रहता है। आम के महीने में चाइना लीची पूर्णतः पककर तैयार होती है। यह शाही लीची के मुकाबले अत्यधिक मीठी होती है।