समुद्री रास्ते से घुसने की फिराक रखने वाले आतंकियों को मार गिराने का माद्दा रखती हैं ये 4 लड़कियां
एझिमाला।
चार
दिसंबर
को
देश
का
43वां
नौसेना
दिवस
था
और
इस
मौके
पर
देश
ने
समंदर
के
बहादुरों
को
सलाम
किया।
पिछले
दिनों
केरल
के
एझिमाला
स्थित
इंडियन
नेवल
एकेडमी
की
पासिंग
आउट
परेड
का
भी
आयोजन
हुआ।
सबकी नजरें सफेद यूनिफार्म में तैयार समंदर के सिपाहियों पर ठिठक जा रही थीं। इन सिपाहियों में चार लड़कियां भी थीं जिन्होंने इस बात को साबित कर दिया कि अब लड़कियों के कोई भी जहान मुश्किल नहीं है।
कड़ी मेहनत से मिली है यूनिफॉर्म
वह भी हर मुश्किल का सामना करती हुई हर लक्ष्य को हासिल कर सकती हैं। वनइंडिया ने इस खास मौके पर इन खास जांबाजों से बात की। एसएसबी परीक्षा में सफल होने के बाद इन चारों को आईएनए में ग्रेजुएशन के लिए दाखिला मिला था।
छह माह की कड़ी ट्रेनिंग के बाद ही इन चारों को वह सफेद यूनिफॉर्म मिल सकी जिसका सपना हर कोई देखता है। आईएनए के कमांडेंट वाइस एडमिरल अजित कुमार पी कहते हैं कि यह एकेडमी के लिए एक गौरवशाली पल है और अब यह चारों लड़कियां आईएनए के नाम का रोशन करेंगी जहां भी रहेंगी।
पिता की यूनिफॉर्म से मिली प्रेरणा
नई दिल्ली के प्रीतमपुरा स्थित केंद्रीय विद्यालय से अपनी शिक्षा हासिल करने वाली अनुराधा खास्सा अब सब-लेफ्टिनेंट बन गई हैं। उनके पिता इंडियन एयर फोर्स मे हैं। आईएनए में आने से पहले अनुराधा ने बीकॉम की पढ़ाई तो पूरी की ही साथ ही एमबीए भी कंप्लीट किया।
अनुराधा कहती हैं, 'मैं हमेशा अपने पिता की यूनिफॉर्म को देखकर प्रेरणा लेती थी और हमेशा उनके पदचिन्हों पर चलना चाहती थी। बचपन में मुझे अपने पिता की कैप काफी पसंद थी। मैंने अपनी मां से वादा किया था कि एक दिन मैं भी उन्हें ऐसी एक ऑफिशियल कैप दूंगी।' अनुराधा की मानें तो आप जब तक खुद को चुनौतियों के लिए तैयार नहीं करते आपको अपनी सीमाओं का पता नहीं लग सकता है। अनुराधा की पोस्टिंग मुंबई में आईएनएस हमला पर हुई है।
बचपन में समंदर से हुआ प्यार
हरियाणा के पानीपात की रहने वाली असिस्टेंट कमांडेंट शिल्पा मलिक को क्लास 3 से ही होवरक्राफ्ट से खासा लगाव था। उनके पिता इंडियन कोस्ट गार्ड से रिटायर हुए हैं और वह ही उनके असली रोल मॉडल हैं।
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बीटेक करने के बाद शिल्पा आईएनए पहुंचीं। शिल्पा ने विशाखापट्टनम के केंद्रीय विद्यालय से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। पिता की वजह से उन्हें देश की अलग-अलग जगहों पर जाने और उन्हें जानने का मौका मिला।
जब उनके पिता तमिलनाडु में पोस्टेड थे तो वह शिल्पा को एक बार होवरक्राफ्ट पर लेकर गए थे। तब से ही समंदर की लहरें और समंदर शिल्पा को भाने लगे थे। फिलहाल शिल्पा की पोस्टिंग गुजरात में आईएनएस वालसुरा पर हुई है।
सीनियर्स बदल सकते हैं जिंदगी
दिल्ली की रहने वाली इप्शिता गुप्ता जो अब असिस्टेंट कमांडेंट हैं, कहती हैं कि उनके जन्म से ही उनका नेवी और नीले रंग के साथ एक रिश्ता रहा है। इप्शिका ने अपनी पढ़ाई हिंडन के एयरफोर्स से पूरी की।
उनका जन्म मिलिट्री हॉस्टिपल में हुआ और फिर एयरफोर्स स्कूल ने उनकी जिंदगी में एक नया रंग भरा। उनके पिता एयरफोर्स को अभी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इप्शिता की मानें तो पिता की सर्विस की वजह से उन्हें हर बार नए स्कूल में जाने का मौका मिलता और वह नए दोस्त बनातीं।
इप्शिता को बैडमिंटन खेलना काफी पसंद है। वह अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने सीनियर्स को देती हैं जिन्होंने उन्हें खुद के अंदर एक नया इंसान तराशने में मदद की। इप्शिका की मानें तो अगर आपको सीनियर्स अच्छे मिलते हैं तो फिर आपकी जिंदगी अलग तरह से ही आगे बढ़ती है। आईएनए आने से पहले इप्शिता ने फिजिक्स से एमएससी की पढ़ाई पूरी की।
चुनौतियों से है लगाव
नागपुर की रहने वाली देवयानी सर्राफ अब असिस्टेंट कमांडेंट हैं। देवयानी को जिंदगी में चुनौतियों का सामना करना काफी पसंद है। देवयानी के परिवार में कोई भी आर्म्ड फोर्सेज में नहीं है और ना ही उनका इससे कभी कोई नाता रहा।
सोमालवर के सरकारी स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाली देवयानी के पिता एक जियोलॉजिस्ट हैं। देवयानी मुंबई घूमने गई थीं और यहीं पर उन्हें कोस्ट गार्ड और नेवी से प्यार हो गया।
आईएनए में आने से पहले देवयानी ने आर्किटेक्ट में ग्रेजुएशन किया है। देवयानी कहती हैं कि आईएनए में लड़के और लड़की के बीच कोई भेदभाव नहीं होता है। दोनों के लिए एक जैसी ही ट्रेनिंग है और यह बात काफी हद तक प्रेरित करने वाली है।