क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मेरठ का कब्रिस्तान- खामोश इधर सो रहे हैं गोरे सैनिक

Google Oneindia News

दिल्ली/मेरठ(विवेक शुक्ला) पश्चिम उत्तर प्रदेश के खास शहर मेरठ के पुलिस लाइन के बेहद करीब है ईसाई कब्रिस्तान। इधर आने पर शांत रहिए। ये कहते है मेरठ के पत्रकार बी.त्यागी। इधर तेज-तेज बोलने से बचना चाहिए। इधर 1857 की क्रांति के दौरान मारे गए बहुत से अंग्रेज सैनिकों की कब्रें हैं। ये कब्रिस्तान 23 एकड़ में फैला हुआ है। यानी कि बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है।

अतिक्रमण होना तय

इसके आसपास अब लोगों के घर हैं। कहने वाले कहते हैं कि आने वाले सालों में इस कब्रिस्तान का भी अतिक्रमण होना तय है। क्रबिस्तान के अंदर जंगली पेड़-पौधे लगे हुए हैं। बहुत सारे पीपल और आम के पेड़ भी इधर आप देख सकते हैं।

स्थानीय ईसाई देखते

इस कब्रिस्तान को कुछ स्थानीय ईसाई देखते हैं। स्थानीय प्रशासन इसे कतई मेनटेन नहीं करता। मेरठ के एक प्रमुख ईसाई आशीष मेथ्यूज कहते हैं कि एक दौर में मेरठ में ईसाइयों की आबादी मजे की थी। तब इस कब्रिस्तान को मेनटेन करने के लिए पैसा एकत्र करने में दिक्कत नहीं होती थी। पर अब हालात बदल गए हैं। यहां के बहुत से ईसाई परिवार दिल्ली या नोएडा चले गए। इसलिए इसकी देखरेख में दिक्कत तो होती है।

आते ब्रिटेन के टुरिस्ट

अब यहां पर कभी-कभार ब्रिटेन के टुरिस्ट भी आ जाते हैं। वे इसके अंदर की कब्रों को देखते हैं। उनकी तस्वीरें लेते हैं। स्थानीय मेरठवासियों के लिए ये एक सामान्य कब्रिस्तान है। पर ये बात नहीं है। ये 1857 के बाद बना।

चिर निंद्रा में

इस कब्रिस्तान में बनी कई कब्रों पर उन लोगों के नाम पढ़े जा सकते हैं,जो चिर निद्रा में हैं। जैसे डेविड बून, एरिक एंडरसन, शिमाऊ जार्ज वगैरह। कभी सोचिए कि इनका संबंध ब्रिटेन के किस शहर या परिवार से रहा होगा । और कुदरत के खेल को देखिए कि इनका अंत कहां हुआ।

बहुत से कब्रिस्तान

मेरठ के वरिष्ठ पत्रकार संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि दिल्ली और मेरठ के बीच में बहुत से कब्रिस्तान होते थे जो गोरों ने बनवाए थे। एक कब्रिस्तान गाजियाबाद में हिंडन नदी के पास भी था। अब उसे भू-माफिया खा गया है। दिल्ली में निक्लसन कब्रिस्तान में तो अनेक 1857 की जंग में मारे गए गोरों की कब्रें हैं।

English summary
Meerut Cemetery has a very rich history. Many whites who were killed in the 1857 uprising were buried here. The local Christian community look after the cemetery.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X