UP Assembly Election 2017: माया की मायावी कोशिशों पर सबकी नजर!
लखनऊ। सूबे में सियासी सरगर्मियां लगातार बढ़ रही हैं। और वजह है सियासी पार्टियों के अलग-अलग दांव। भाजपा की तिरंगा यात्रा की बात की जाए या फिर सपा में कौमी एकता दल के विलय को लेकर पनपे विवाद की।
शीला ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया अब यूपी करने आईं हैं: माया
कांग्रेस ने काशी में कमाल की कोशिशें की तो दयाशंकर मामले के बाद बसपा को भी संजीवनी मिल गई, हालांकि दयाशंकर की मां, बहन, बेटी पर अभद्र टिप्पणी करके बसपा एक सींखचे में भी फंसती नजर आई लेकिन माया पर की गई अभद्र टिप्पणी के बाद दलितों में सक्रियता नजर आई।
माया का चुनावी कैंपेन
और झुकाव माया के खेमे में हो गया। बहरहाल मायावती ने आगरा के कोठी मीना बाजार मैदान में आज आयोजित रैली से चुनावी कैंपेन की शुरूआत कर दी है। जिस पर सभी दलों की निगाहें टिकी हुई हैं।
'ताज' नगरी से बसपा की हुंकार
माया मजबूत भी हैं और कमजोर भी। लेकिन डैमेज कंट्रोल के लिए बसपा की ओर से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। आज बसपा की ओर से आगरा में रैली आयोजित की गई। जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'बीजेपी के कारण व्यापारियों की हालत खराब है।
जिसने दिल्ली को गंदा कर दिया, उसे कांग्रेस ने यूपी में सीएम कैंडिडेट बना दिया
बीजेपी पूंजीपतियों के लिए ही काम कर रही है।' वहीं दूसरी ओर मायावती ने दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित पर कमेंट करते हुए कहा, 'जिसने दिल्ली को गंदा कर दिया, उसे कांग्रेस ने यूपी में सीएम कैंडिडेट बना दिया।'
बुआ का रिश्ता न बनाएं सीएम
उन्होंने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, सपा सरकार बनने से गुंंडों-बदमाशों के हौसले बढ़ गए हैं, इसी वजह से हत्या, डकैती जैसी घटनाएं यूपी में हो रही हैं। यहां की 22 करोड़ जनता का जीवन व्यतीत करना मुश्किल हो गया है। 'सपा की ड्रामेबाजी से हम लोगों को सावधान रहना है। मुलायम सिंह ने मुझ पर हमला करवाया था, इसलिए अखिलेश हमसे बुआ का रिश्ता न बनाएं।'
दलितों को एकजुट करने में जुटीं मायावती
माना जा रहा है कि बसपा के एक्शन प्लान के मुताबिक हर हफ्ते एक रैली का आयोजन होगा। और ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने की कोशिश की जाएगी। जिसकी मदद से बसपा सुप्रीमो मायावती डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास करेंगी। साथ ही उनकी यह कोशिश होगी कि किसी भी तरीके से बसपा के वोटबैंक को फिर से एकजुट किया जा सके। पर, इस वोटबैंक का ध्रुवीकरण करने के लिए भाजपा क्या नयी रणनीति अपनाती है ये देखना दिलचस्प होगा।