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पुराने नोटों की ईटें बनाकर भरे जाते हैं गड्ढे, जानिए नष्ट करने की पूरी प्रक्रिया

बाजार से जो नोट वापस आते हैं उन्‍हें इतने महीन टुकड़ों में काटा जाता है ताकि इसे कभी दोबारा ना जोड़ा जा सके। इसके बाद इन कतरनों को ह्यूमिडिफायर में डाल दिया जाता है।

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नई दिल्‍ली। 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद हर तरफ अफरा-तफरी है। लोगों के दिलो-दिमाग में हजारों सवाल हैं। कुछ सवाल ऐसे कि उनके पास जो 500 और 1000 के नोट हैं उन्‍हें कैसे बदला जाए या फिर एक बार वो कितना कैश बैंक से बदल सकते हैं। लेकिन इन सबसे बड़ा एक सवाल ऐसा है जिसे लेकर चर्चाएं तेज हैं। वो ये कि कागज में तब्‍दील हो चुकी देश की 85 फीसदी करेंसी का अब क्‍या होगा? सरकार इन नोटों को वापस लेकर उनका क्‍या करेगी?

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What will RBI do with the old Rs 500, 1,000 notes

इस सवाल का जवाब देने से पहले ये बता दें कि देश में इस समय 500 के कुल 1570 करोड़ नोट प्रचलन में हैं। वहीं 1000 के 632.6 करोड़ नोट बाजार में हैं। सरकार जितने नोट बाजार से लेती है उसे नष्‍ट कर दिया जाता है। आपको शायद नोटों को नष्‍ट करने का तरीका पता ना हो। तो आज आपको विस्‍तार से बताते हैं पूरी प्रकिया-

नोटो को काटकर ह्यूमिडिफायर में डाल दिया जाता है

अंग्रेजी अखबर इकॉनामिक टाइम्स की खबर के मुताबिक बाजार से जो नोट वापस आते हैं उन्‍हें इतने महीन टुकड़ों में काटा जाता है ताकि इसे कभी दोबारा ना जोड़ा जा सके। इसके बाद इन कतरनों को ह्यूमिडिफायर में डाल दिया जाता है।

नोट बदलने में कस्टमर्स से लेकर बैंक स्टाफ तक है कंफ्यूज नोट बदलने में कस्टमर्स से लेकर बैंक स्टाफ तक है कंफ्यूज

कतरनों को ईंट के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देता है ह्यूमिडिफायर

नोट के कतरन को ह्यूमिडिफायर ईंट के छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देता है। आरबीआई के एक आला अधिकारी ने बताया कि इन टुकड़ों को कांट्रैक्टर्स को दे दिया जाएगा जो इनका उपयोग गड्ढे भरने में करेंगे। सुनने में यह आपको अजीब जरूर लगेगा लेकिन नोटों से गड्ढे भरने की यह परंपरा पुरानी रही है। इससे पहले वर्ष 1978 में जो नोट वापस लिए गए थे उन्‍हें भी कुछ इसी तरह नष्‍ट किया गया था।

इंग्‍लैंड में नोट जलाकर तापते हैं हाथ

दुनिया के अलग-अलग देशों में नोटों को नष्‍ट करने का अलग-अलग तरीका है। बात अगर इंग्‍लैंड की करें तो यहां अमान्‍य घोषित किए गए नोटों को काटकर जलाया जाता है। नोटों के कतरनों को सर्दियों के मौसम में इमारतों को गर्म करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

इंग्लैंड का फेडरल बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड तो 1990 तक बाजार से वापस ली गई नकदी को जलाकर बैंक की इमारत में गर्मी की व्यवस्‍था करता था। हालांकि 2000 के बाद ऐसी नकदी को रिसाइक्लिंग के लिए उपयोग में लाया जाने लगा। जिसमें ऐसे नोटों को जमीन में दबाकर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता। बाद में उसका इस्तेमाल खाद के तौर पर किया जाता था।

अमेरिका में बनता है सजावटी सामान

अमेरिका का फेडरल रिजर्व बैंक भी भारत के रिजर्व बैंक की तरह वापस ली गई नकदी की महीन कटाई करता है। इसके बाद उन्हें नवीन स्मृति चिन्ह के रूप में संरक्षित कर लिया जाता है। जिसे लोग शौक से अपने घरों में सजाकर रखते हैं।

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English summary
With the Rs 500 and 1,000 notes no longer legal tender, it would be interesting to find out what happens to the old notes.
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