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कैसे पड़ा देश का नाम भारत जानिये तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर

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[अंकुर सिंह]। भारत का इतिहास सदियों से काफी गौरवशाली रहा है। लेकिन भारत के सांस्कृतिक इतिहास से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जिनकी आज भी कई लोगों को जानकारी नहीं है। भारत का नाम प्राचीन वर्षों में भारतवर्ष था इसके पीछे की वजहों के बारे में भी कम ही लोगों को ज्ञान है।[संविधान से बड़ा कद हो गया था इंतिरा गांधी का]

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प्राचीन वर्ष में भारत का नाम जंबूद्वीप था

आपको यह सुनकर भी थोड़ा आश्चर्य होगा कि एक समय में भारत नाम जम्बूदीप था। बहुत लोगों का मानना है कि महाभारत में एक कुरूवंश में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा लेकिन इसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के चलते इस तर्क को काफी बल नहीं मिलता।

हजारों साल पहले लिखा गया वायु पुराण पेश करता है तथ्य

वहीं अगर हम अपने पुराणों पर नजर डालें तो साक्ष्यों के साथ इस बात की पुष्टि होती है कि कैसे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। वायु पुराण का ये श्लोक इस बात की पुष्टि करता है कि हिमालय पर्वत से दक्षिण का वर्ष अर्थात क्षेत्र भारतवर्ष है।

हिमालयं दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत्। तस्मात्तद्भारतं वर्ष तस्य नाम्ना बिदुर्बुधा: ।

सात महाद्वीप की खोज भारत में हजारों साल पहले हो गयी थी

प्राचीन काल में पृथ्वी को सात भूभागों यानि महाद्वीपों में बांटा गया था। लेकिन ये सातों नाम कहां से आये और कैसी इसकी संरचना को पुराणों बताया गया कभी भी इसका शोध नहीं हुआ। लेकिन अगर पुराणों पर नजर डालें तो जम्बूदीप इस शोध की पूरी कहानी बयान करता है। जम्बूदीप का अर्थ होता है समग्र द्वीप।

भारत के प्राचीन धर्म ग्रंथों में हर जगह जम्बूदीप का उल्लेख आता है। इसके पीछे की अहम वजह ये है कि उस वक्त सिर्फ एक द्वीप था और वायु पुराण इस बारे में पूरी व्याख्या तथ्यों के आधार पर करता है।

त्रेता युग में देश का नाम भारतवर्ष पड़ा था

वायु पुराण के अनुसार त्रेता युग के प्रारंभ में स्वंयभू मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने भरत खंड को बसाया था। लेकिन राजा प्रियव्रत के कोई भी पुत्र नहीं था लिहाजा उन्होंने अपनी पुत्री के पुत्र अग्नींध्र को गोद ले लिया था जिसका लड़का नाभि था।

नाभि की एक पत्नी मेरू देवी से जो पुत्र पैदा हुआ उसका नाम ऋषभ था और ऋषभ के पुत्र का नाम भरत था और भरत के नाम पर ही देश का नाम भारतवर्ष पड़ा था। उस वक्त राजा प्रियव्रत ने अपनी कन्या के दस पुत्रों में से सात पुत्रों को पूरी धरती के सातों महाद्वीपों का अलग-अलग राजा नियुक्त किया था।

आपको बता दें कि पुराणों में राजा का अर्थ उस समय धर्म, और न्यायशील राज्य के संस्थापक के रूप में लिया जाता था। इस तरह राजा प्रियव्रत ने जम्बू द्वीप का शासक अग्नींध्र को बनाया था। इसके बाद राजा भरत ने जो अपना राज्य अपने पुत्र को दिया वही भारतवर्ष कहलाया। आपको बता दें कि भारतवर्ष का अर्थ होता है राजा भरत का क्षेत्र और राजा भरत के पुत्र का नाम सुमति था।

वायु पुराण जम्बूद्वीप की पूरी तरह से करता है व्याख्या

सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)

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English summary
Know the history how our country got the name Bharat with evidence. Seven continents were dicscovered way back in India proves Vedas and Puran.
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