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रियो ओलंपिक: पूरे सोने का नहीं होता गोल्ड मेडल, जानिए कितनी होती है कीमत!

By Rajeevkumar Singh
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रियो। जब आप सुनते हैं कि ओलंपिक में किसी खिलाड़ी को गोल्ड मेडल मिला तो आप ये सोचते होंगे कि इस मेडल से खिलाड़ी जीत की खुशी के साथ-साथ बहुत सारा सोना पाकर मालामाल हो गया होगा।

लेकिन आप जब जानेंगे कि गोल्ड मेडल में सोना कितना है तो हैरान रह जाएंगे। आइए, ओलंपिक में टॉप तीन पोजिशन पाने वाले खिलाड़ियों को दिए जाने वाले गोल्ड, सिल्वर और ब्रोंज मेडल के रहस्यों से आपको परिचित करवाते हैं।

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rio olympic medals value

गोल्ड मेडल में सोना महज 1 फीसदी

ओलंपिक गोल्ड मेडल में महज 1 प्रतिशत सोना होता है। इसके अलावा उसमें 92.5 प्रतिशत चांदी और 6.5 प्रतिशत तांबा होता है। इस गोल्ड मेडल का मूल्य महज लगभग 38,000 रुपए होता है। अगर गोल्ड मेडल में 100 प्रतिशत सोना होता तो उसकी कीमत लगभग 15 लाख रुपए होती।

सिल्वर मेडल में पूरी तरह चांदी नहीं

ओलंपिक के सिल्वर मेडल में 100 प्रतिशत चांदी नहीं होता। इसमें 92.5 प्रतिशत सिल्वर और 7.5 प्रतिशत तांबा होता है। इसका मूल्य लगभग 22000 रुपए होता है।

ब्रोंज मेडल में क्या-क्या रहता है

ओलंपिक के ब्रोंज मेडल में 97 प्रतिशत तांबा, 2.5 प्रतिशत जस्ता और 0.5 प्रतिशत टिन होता है। इसका वैल्यू महज 315 रुपए के आसपास होता है।

olympic gold medal

रियो में कितने मेडल

रियो ओलंपिक के लिए 2488 मेडल का निर्माण हुआ जिसमें 812 गोल्ड, 812 सिल्वर और 864 ब्रोंज मेडल हैं। इन मेडल्स का व्यास 85 मिलीमीटर और वजन 500 ग्राम है। इस बार के मेडल्स अब तक हुए ओलंपिक में सबसे ज्यादा भारी हैं। इसमें ब्राजील की मिंट कंपनी ने बनाया है।

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क्या हमेशा ओलंपिक में मेडल मिलते रहे हैं

ओलंपिक में शुरू से मेडल नहीं दिए जा रहे हैं। प्राचीन काल के ओलंपिक खेलों में खिलाड़ियों को जीत पर जैतून की शाखाओं और पत्तियों से बने पुष्पचक्र दिए जाते थे। दुनिया में पहला आधुनिक ओलंपिक 1896 में ग्रीस के एथेंस में हुआ। लेकिन यहां विनर को रजत पदक और जैतून का पुष्पचक्र दिया गया। दूसरे पोजिशन पर रहने वाले खिलाड़ी को तांबे का मेडल और तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को कांस्य पदक दिया गया। 1900 के गेम्स में जीतने वालों को कप और ट्राफी दिए गए। ओलंपिक को आयोजित करने वाले मेजबान देश यह तय करते थे कि खिलाड़ियों को पुरस्कार में क्या देना है।

sindhu silver medal

1904 के ओलंपिक गेम्स से जीतने वालों को गोल्ड, दूसरे स्थान पर रहने वाले को सिल्वर और तीसरे पोजिशन वाले खिलाड़ी को ब्रोंज मेडल दिए जाने लगे। इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने 1896 और 1900 के ओलंपिक में जीते हुए खिलाड़ियों को भी बाद में मेडल देकर सम्मानित किया। 1904 से 1912 तक हुए ओलंपिक गेम्स में गोल्ड मेडल में 100 प्रतिशत सोना होता था। लेकिन इसके बाद इसमें सिल्वर और कॉपर की मिलावट की जाने लगी।

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क्या खिलाड़ियों को सिर्फ मेडल ही मिलता है

स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक के अलावा पहले से आठवें स्थान तक के सभी एथलीटों ओलंपिक डिप्लोमा प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। जितने एथलीट ओलंपिक में भाग लेते हैं उनको भाग लेने के लिए पार्टिसिपेशन मेडल्स और डिप्लोमा दिए जाते हैं।

sakshi bronze medal

सिर्फ गोल्ड, सिल्वर या ब्रोंज ही क्यों?

ब्रह्मांड में हल्के तत्व ज्यादा मात्रा में हैं लेकिन जैसे-जैसे उनका भार बढ़ता है वैसे वैसे उनकी मात्रा और उपलब्धता भी कम होती जाती है। जो तत्व पीरियोडिक टेबल में क्रम में जितना नीचे है उतना ही वह दुर्लभ है। तत्वों के पीरियोडिक टेबल में हल्के तत्वों को ऊपर रखा गया है जबकि भारी और दुर्लभ तत्वों को नीचे।

periodic table

ओलंपिक गेम्स में मेडल्स के तीनों तत्व पीरियोडिक टेबल के एक ही कॉलम नीचे से ऊपर उसी क्रम में हैं जिस क्रम में तीनों पोजिशन हासिल करने वाले को दिया जाता है। दुर्लभ तत्व गोल्ड (Au), उसके बाद सिल्वर (Ag) और सबसे ऊपर और हल्का कॉपर(Cu)। ब्रोंज मेडल में 97 प्रतिशत कॉपर होता है।

आधुनिक मेडल कैसे बने

1904 से पहली बार ओलंपिक में तीनों मेडल्स दिए जाने लगे। इन मेडल के डिजाइन को बदलने का प्रयास 1928 में किया गया। मेडल के एक साइड में एक देवी का चित्र था जिनके एक हाथ में जीत के प्रतीक के तौर पर ताड़ के पेड़ की शाखा थी। देवी के दूसरे हाथ में जीतने वाले का क्राउन था। इसी मेडल के दूसरी साइड में ओलंपिक चैंपियन के साथ उसकी जीत का जश्न मनाती भीड़ थी और बैकग्राउंड में स्टेडियम था।

2004 में मेडल में देवी और स्टेडियम के चित्र में सुधार किया गया। 1960 के ओलंपिक में ऐसे मेडल्स बने जिनको खिलाड़ियों को गले में पहनाया जा सका।

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English summary
When any athlete in Olympic games won gold medal, you may have thought that winner got so much gold. This is not truth. Know all about Olympic medals.
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