पुण्यतिथि विशेष: इंदिरा गांधी के सीने में दागी गईं थीं 31 गोलियां
नई दिल्ली। आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 30 वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन साल 1984 में इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षक ने गोली मार दी थी। आज सुबह ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने इंदिरा के समाधि स्थल शक्ति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
आपको बता दें कि विकिपीडिया के मुताबिक पंडित नेहरू और कमला नेहरू की इकलौती पुत्री इंदिरा जी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इन्दिरा को उनका 'गांधी' उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। इंदिरा जी ने अपनी शिक्षा शान्तिनिकेतन से पूरी की। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे 'प्रियदर्शिनी' नाम दिया था।
केवल इंदिरा का अक्स होना प्रियंका के लिए काफी नहीं!
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।
टैगोर ने ही इंदिरा को 'प्रियदर्शिनी' नाम दिया था
श्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कॉंग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया।
इंदिरा गांधी के सीने में दागी गईं थीं 31 गोलियां
उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।
पुण्यतिथि पर विशेष: इंदिरा को था मौत का आभास!
इंदिरा जी को आधुनिकता को बढ़ावा देने वाली प्रगतिशील महिला कहा जाता है। कहा जाता है कि जिस समय इंदिरा गांधी पर उनके अंगरक्षकों ने 31 गोलियां दागी थी। गोली लगने के बाद इंदिरा को उनके निजी सचिन आर के धवन और बहू सोनिया गांधी घायल अवस्था में एम्स लेकर भागे थे।
डॉक्टरों ने इंदिरा को 88 बोतल खून चढ़ाया था
रास्ते में इंदिरा गांधी का सिर सोनिया की गोद में ही था। अस्पताल के डॉक्टरों ने इंदिरा को 88 बोतल खून( ओ निगेटिव) चढ़ाकर बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन किसी के सामने ना झुकने वाली इंदिरा ने मौत के सामने अपने घुटने टेक दिये।