आतंकवाद के खिलाफ कैसे लड़ी इजरायल ने अपनी लड़ाई
येरुशलम। जब-जब दुनिया में या भारत पर कोई बड़ा आतंकी हमला होता है तो इजरायल का जिक्र जरूर आता है। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश है जिसके पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का ऐसा अनुभव रहा है जैसा इजरायल के पास है। इजरायल 50 के दशक से ही आतंकवाद का सामना करता आया है और आज आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इसने भारत और यहां तक कि अमेरिका के सामने एक उदाहरण पेश किया है।
विरोध के बावजूद इजरायल मजबूत
कई संगठनों ने इजरायल के वजूद और फिलीस्तीन के खिलाफ उसकी नीतियों का विरोध किया लेकिन इजरायल ने कभी किसी की परवाह नहीं की।
फिलीस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा की तर्ज पर ही इजरायल की जगह यहां पर इस्लामिक फिलीस्तीन देश की स्थापना के मकसद से आतंकवाद को बढ़ाना शुरू किया।
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कॉर बॉम्बिंग से लेकर हाइजैकिंग तक
अरब देशों के बीच इजरायल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के मकसद से इसने अपना एजेंडा शुरू किया था। इजरायल ने कई खतरनाक आतंकी हमलों का सामना किया, कार बॉम्बिंग, आत्मघाती हमले, हाइजैंकिंग और कई आतंकी संंगठनों की ओर से ऐसी कई आतंकी घटनाओं को झेला है।
आतंकी संगठनों में शामिल जासूस
आतंकी हमलों का जवाब देने के लिए इजरायल सरकार ने इंटेलीजेंस इकट्ठा करना शुरू किया और सुरक्षा तंत्र को स्थापित किया।
13 दिसंबर 1949 को इजरायल ने इंटेलीजेंस एजेंसी मोसाद की स्थापना हुई थी। मोसाद ने संदिग्ध आतंकियों और आतंकी संगठनों से जुड़ी कई फाइलें तैयार की।
इसने अपने एजेंट्स को आतंकी संगठनों में शामिल कराया ताकि आतंकी संगठनों से जुड़ी जानकारियां हासिल हो सकें।
मोसाद ने आतंकी संगठनों के नेताओं की हत्याओं और आतंकी संगठनों पर हमलों जैसी रणनीतियों को भी अपनाया। इनकी आलोचनाओं के बावजूद इजरायल की सरकार ने अपने कदम पीछे नहीं खीचें।
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इजरायल की एयरलाइन में सफर आसान नहीं
इजरायल की सरकारी एयरलाइन ईआई-एआई में सवार होने से पहले हर यात्री को कई स्तर की सिक्योरिटी जांच से गुजरना पड़ता है।
एजेंट्स हर सूटकेस के अंदर तक जांच करते हैं, हर यात्री के पास मौजूद हर सामान की जांच होती है और व्यक्तिगत तौर पर उनकी सुरक्षा जांच की जाती है।
एजेंट्स हर यात्री से पूछते हैं कि क्या उसने कभी पहले इजरायल की यात्रा की है, वह यात्री कहां जा रहा है, इजरायल के बाद वह कहां जाएगा और उसका बैग किसने पैक किया है।
यात्री की जरा सी भी घबराहट उसे परेशानी में डाल सकती है और उससे और ज्यादा सवाल पूछे जा सकते हैं।
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30 मिनट तक जांच
यात्रियों को कभी-कभी उनके साथी यात्री से अलग कर उनसे सवाल किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में 30 मिनट लगते हैं और इसके बाद भी कभी-कभी यात्रियों को दोबारा सवाल-जवाब के लिए बुला लिया जाता है।
इजरायल के सिक्योरिटी एजेंट्स ने हर यात्री की प्रोफाइलिंग शुरू की। हर यात्री को इंटरपोल के जरिए चेक किया जाता कि क्या उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड तो नहीं है।
किसी खास देश की यात्रा कर रहे यात्री को और ज्यादा करीबी जांच से गुजरना पड़ता है। अरब और कुछ और देशों के यात्री गहन पूछताछ और विस्तृत जांच से गुजरते हैं।
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दोबारा चेक होता है सामान
फ्लाइट
के
टेक-ऑफ
करने
से
पहले
सारे
सामान
को
यात्रियों
के
साथ
दोबारा
चेक
किया
जाता
है।
सामान
सिर्फ
एक्स-रे
और
मेटल
डिक्टेटर्स
से
ही
नहीं
गुजरता
है
बल्कि
इसे
एक
डि-कंप्रेसन
चैंबर
में
रखा
जाता
है
ताकि
अगर
कोई
बम
हो
तो
उसका
पता
लग
सके।
फ्लाइट में अंडर-कवर एजेंट्स
हर फ्लाइट में हथियारों से लैस, अंडरकवर इजरायली सिक्योरिटी एजेंट्स होते हैं। इन्हें हाइजैकर्स से निबटने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है। एक बार पायलट कॉकपिट में गया तो फिर कॉकपिट का दरवाजा लॉक हो जाता है। इजरायल ने काफी पैसा खर्च कर अपने सुरक्षाकर्मियों को टेक्नोलॉजी और बेहतर ट्रेनिंग से लैस किया है।
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अलर्ट के बाद क्या होता है
इजरायल में जब किसी संदिग्ध आतंकी या फिर अपराधी को लेकर अलर्ट जारी होता है, तो उसे गिरफ्तार किया जाता है। अगर गिरफ्तारी नहीं होती तो फिर उसके हर कदम पर नजर रखी जाती है।
उसके परिवारवालों से पूछताछ होती है। यहां तक कि जिस जगह पर हमले की संभावना होती है वहां पर ट्रूप्स को तुरंत डेप्लॉय किया जाता है।
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संदिग्ध हमलावरों की हत्या
जब हमलावरों को गिरफ्तार किया जाता है तोर कभी-कभी उन्हें मार दिया जाता है तो माना जाता है कि ऐसा करने से आगे आने वाले समय में हमलावरों को डराया जा सकता है।
तेल अवीव की एक पॉश मार्केट में जब कुछ वर्षों पहले फायरिंग की घटना हुई तो सेना ने एक अभियान चलाया। इसमें 20 ऐसी जगहों को चुना गया जहां पर घरों में कार्ल गुस्ताव जैसी सबमशीन जैसी बंदूके थीं। पिछले दो वर्षों में इजरायल में हथियारों के उत्पादन में कई गुना इजाफा हुआ है।