सर्जिकल स्ट्राइक की हीरो इंडियन आर्मी की 'घातक' सेना
नई दिल्ली। एलओसी पार कर पीओके स्थित सर्जिकल स्ट्राइक को तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन हर कोई इसके बारे में अभी तक बातें कर रहा है। इस सर्जिकल स्ट्राइक को इंडियन आर्मी की नंबर चार और नंबर नौ घातक प्लाटून ने अंजाम दिया।
क्यों बनाई गई घातक प्लाटून
इंडियन आर्मी आतंकवाद और चरमपंथ से कुशलता से निबट सके, इसके लिए सरकार ने इंफ्रेंटी को और असरदार बनाने के लिए ही घातक प्लाटून को तैयार किया। सर्जिकल स्ट्राइक को इसी घातक प्लाटून ने अंजाम दिया और सुनिश्चित किया कि किसी भी तरह से आतंकी सेना पर भारी न पड़ें।
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क्या है घातक फोर्स
घातक प्लाटून या घातक कमांडोज स्पेशल ऑपरेशंस को अंजाम देने वाली इंफ्रेंटी प्लाटून होती है। इंडियन आर्मी की हर इंफ्रेंट्री के पास घातक की एक प्लाटून जरूर होती है। घातक यह नाम प्लाटून को जनरन बिपिन चंद्र जोशी ने दिया था।
ऑपरेशन रोल
घातक का रोल ट्रूप्स के साथ दुश्मन के ठिकानों पर बटालियन की मदद के बिना हमला करना है। घातक का ऑपरेशनल रोल अमेरिका की स्काउट स्नाइपर प्लाटून, यूएस मरीन की एसटीए प्लाटून और ब्रिटिश आर्मी की पैट्रोल्स प्लाटून की तरह ही होता है।
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गहराई तक पहुंचाती है नुकसान
घातक के कमांडोज को बटालियन या फिर ब्रिगेड कमांडर की ओर से दुश्मन की खास जानकारी हासिल करना, दुश्मन के हथियार के ठिकानों, उसकी एयरफील्ड, उनके सप्लाई एरिया और हेडक्वार्ट्स को निशाना बनाना है। घातक फोर्स दुश्मन के अड्डों पर आर्टिलरी और एयर अटैक के जरिए दुश्मन को गहराई तक नुकसान पहुंचा सकती है।
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कितनी होती है संख्या
इस प्लाटून का साइज 7,000 सैनिकों का है। एक घातक प्लाटून में 20 कमांडोज होते हैं। इसमें एक कमांडिंग कैप्टन, दो नॉन कमीशंड आफिसर्स और कुछ स्पेशल टीम जैसे मार्क्समैन और स्पाटर पेयर्स, लाइट मशीन गनर्स, मेडिक और रेडियो ऑपरेटर्स होते हैं। बाकी बचे सैनिक असॉल्ट ट्रूपर्स के तौर पर होते हैं।
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कर्नाटक में ट्रेनिंग
इंफेंट्री बटालियन के शारीरिक तौर पर सबसे फिट और सबसे उत्साहित सैनिक को ही घातक प्लाटून में जगह मिलती है। इन्हें कर्नाटक के बेलगाम में ट्रेनिंग दी जाती है।
कमांडोज को यहां पर हेलीबॉर्न असॉल्ट, पहाड़ों पर चढ़ने, माउंटेन वॉरफेयर, विध्वंस, एडवांस्ड वेपंस ट्रेनिंग, करीबी मुकाबलों का सामना करने और इंफेंट्री की रणनीति सीखाई जाती है।
इस प्लाटून के सदस्यों को ऊंचाई पर स्थित वॉरफेयर स्कूल, काउंटर-इनसरजेंसी और जंगल वॉरफेयर स्कूल में भेजा जाता है।
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अब तक कौन-कौन से घातक सैनिक
ग्रेनेडियर योगेंंद्र सिंह
वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के समय 18 ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव घातक प्लाटून के कमांडो थे और टाइगर हिल पर फतह में उनका अहम योगदान रहा। योगेंद्र सिंह को देश के सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह
वर्ष 2011 में लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह भी 15 मराठा लाइट इंफेंट्री रेंजीमेंट के घातक प्लाटून कमांडर थे। 20 अगस्त 2011 को जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में 17 आतंकियों से मोर्चा लेते हुए लेफ्टिनेंट नवदीप शहीद हो गए थे। उन्हें सर्वोच्च शांति पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
कैप्टन चंदर चौधरी
कैप्टन चंदर चौधरी भी ग्रेनेडियर रेजीमेंट की घातक प्लाटून के कमांडर थे। नौ सितंबर 2002 को उधमपुर के डुबरी गांव में आतंकियों के खिलाफ सीक एंड डेस्ट्रॉय ऑपरेशन में वह शहीद हो गए थे।