जानिए पूरी प्रक्रिया.. कैसे बनते हैं संत?
नई दिल्ली। अपने पवित्र कार्यों और निस्वार्थ सेवा के कारण 20वीं सदी के मानवीय जगत और ईसाई समुदाय में काफी ऊंचा मुकाम हासिल करने वाली मदर टेरेसा रविवार को संत घोषित की जाएंगी।
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अक्सर
संत
के
बारे
में
कहा
जाता
है
कि
ये
ऐसे
लोग
होते
हैं
जो
कि
किसी
चमत्कार
के
जरिये
हमारे
पास
आते
हैं,
इनके
पास
कुछ
अद्धभुुत
शक्ति
होती
है
जिसके
जरिये
ये
हर
असंभव
चीजों
को
संभव
कर
देते
हैं।
लेकिन
ऐसा
कुछ
नहीं
होता,
ये
लोग
भी
वैसे
ही
हाड़-मांस
के
लोग
होते
हैं
जैसे
कि
हम-आप
हैं।
क्या
होता
है
संत
का
अर्थ?
- काम,क्रोध,लोभ,मोह से मुक्त होकर जो निस्वार्थ भाव से अपना जीवन भगवान के बताए रास्ते पर चलते हुए मानव सेवा में अर्पण कर दे उसे संत कहा जाता है।
- मदर टेरेसा ने भी अपना जीवन मानव सेवा को अर्पण किया था, उन्होंने सिर्फ और सिर्फ समाज को दिया इस कारण आज उन्हें आज संत की उपाधि दी जा रही है।
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कैसे बनते हैं संत?
संत बनने की कुछ विशेष तरीके हैं, जिनके तहत कुछ औपचारिकताएं पूरी करके व्यक्ति विशेष को संत की उपाधि से नवाजा जाता है। जैसे कि रोमन कैथोलिक चर्च में इस औपचारिक प्रक्रिया को संतघोषण (कैनॅनाइजाशन) कहते हैं । कभी-कभी इस प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है। मदर टरेसा के भी साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। उनके 'कैनॅनाइजाशन' में भी लंबा वक्त लगा है।
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स्वयं संत नहीं हो सकते
अधिकांश मामलों में जो संत घोषित करने की औपचारिक अथवा अनौपचारिक प्रक्रिया का संचालन करने वाले स्वयं संत नहीं हो सकते है।
लोकप्रियता के आधार पर
कुछ व्यक्तियों के लोकप्रिय काम उन्हें जनता की ओर से संत की उपाधि से नवाज दिये जाते हैं लेकिन इसका कोई धार्मिक आधार नहीं होता है लेकिन मदर टरेसा के साथ ऐसा हुुआ है जो कि अपने आप में काफी अनोखी बात हैं, पहलेे वो अपने कामों से लोकप्रिय हुईं और अब उन्हें संत की उपाधि मिली है।
धर्म के आधार पर उपाधि
धर्म के आधार पर ही उपाधि दी जाती है, जैसे कोई हिंदू है तो उसे हिंदू धर्म ही संत की उपाधि देगा और कोई कैथोलिक है तो उसे कैथोलिक ही संत से परिभाषित करेगा।
सिद्धि के आधार पर
कहीं-कहीं कुछ व्यक्ति सिद्धि के आधार पर संत घोषित हो जाते हैं और लोग उनके बताये रास्तों पर चलने लगते हैं।
मदर टेरेसा अब बनेंगी संत
मानवीय जगत और ईसाई समुदाय में काफी ऊंचा मुकाम हासिल करने वाली मदर टेरेसा अब संत घोषित की जाएंगी।
कैथोलिक धर्म
कैथोलिक धर्म में कुछ भक्तों को औपचारिक रूप से संतों का दर्जा दिया जाता है और कैथोलिकों को अनुमति है कि वे इनकी पूजा कर सकें।
गैर-ईसाई रिवाजों का एक छुपा रूप
जबकि प्रोटेस्टैंट ग्रुप अक्सर संत-प्रथा को यूरोप की प्राचीन गैर-ईसाई रिवाजों का एक छुपा रूप माना जाता है जिसमें बहुत से देवी-देवताओं हुआ करते थे।