जानिए इबोला का इतिहास और कैसे फैलता है यह वायरस
इबोला वायरस से जुड़े पिछले लेख में (PREVIOUS) हमने आपको इस बीमारी से जुड़े खतरनाक तथ्यों को बताया। अब हम आपको बताने जा रहे हैं इसका इतिहास। 1976 में पहली बार इस वायरस की खोज हुई थी और अफ्रीका के जंगलों के बीच गांवों से यह कैसे शहरों तक पहुंचा और पूरी दुनिया में इसका खौफ कैसे उत्पन्न हुआ यह आप आगे पढ़ेंगे।
इबोला का इतिहास
वैसे तो इबोला कई अफ्रीकी देशों में पाया जाता है, लेकिन पहली बार यह इबोला नदी के किनारे 1976 में पाया गया था। यह नदी कॉन्गो में है। कुछ ही वर्षों बाद से बीच-बीच में अफ्रीका के कई देशों में इबोला के केस पाये जाने लगे। लेकिन आज तक किसी को नहीं पता चल पाया है कि क्या इबोला वायरस इबोला नदी से ही निकल कर आया है? वैज्ञानिक मानते हैं कि यह वायरस जानवरों से आया है, उनमें भी चमगादड़ को इसका सबसे बड़ा कैरियर माना जाता है।
कॉन्गो के बाद कहां-कहां फैला इबोला
कॉन्गो के केंद्रीय इलाकों के बाद इस खतरनाक वायरस से होने वाली बीमारियों के मामले नज़ारा, सुडान, यमबूकू में देखने को मिले। फिर उसके आगे गूनिया, नाइजीरिया, सेनेगल, सेरा लियोन, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका आदि कई देशों तक फैल गया। अब भारत में पहला मरीज पाया गया है। 8 अगस्त 2014 को डब्ल्यू एच ओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतर्राष्ट्रीय चिंता के रूप में घोषित कर दिया।
ऐसा होने पर ही फैलता है यह वायरस
- अगर आपके चोट लगी हुई है और खुली चोट इबोला से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आती है तो उसके पसीने से होते हुए वायरस आपकी चोट में प्रवेश कर सकता है।
-
अगर
आप
किसी
ऐसे
पुरुष/स्त्री
के
होठ
से
होठ
मिलाकर
चुंबन
लेते
हैं,
जो
इबोला
से
ग्रसित
है,
तो
वायरस
म्यूकस
के
जरिये
आप
पर
तुरंत
हमला
कर
देगा।
-
अगर
इबोला
ग्रसित
व्यक्ति
का
पसीना
किसी
चीज़
पर
लगता
है
और
उस
चीज़
के
संपर्क
में
आप
आते
हैं,
तो
आप
पर
वायरस
का
हमला
हो
सकता
है।
-
इबोला
से
ग्रसित
व्यक्ति
का
जूठा
खाने-पीने,
उसके
साथ
सोने
या
संभोग,
मुख
मैथुन,
ओरल
सेक्स,
आदि
करने
से
भी
वायरस
फैलता
है।
-
अगर
उस
जानवर
के
संपर्क
में
आप
आते
हैं,
जो
इबोला
से
ग्रसित
है,
तो
खतरा
हो
सकता
है।
जानवरों
में
मुख्य
रूप
से
चमगादड़,
बंदर,
गोरिल्ला
शामिल
हैं।
- इबोला से ग्रसित महिला का स्तन पान करने यानी ब्रेस्ट मिल्क पीने से यह वायरस अटैक कर सकता है।
इबोला से ग्रसित डेड बॉडी
इबोला के फैलने के कारण ही हैं, जिनकी वजह से जब कोई इस बीमारी से मर जाता है, तो लोग उसकी डेड बॉडी यानी लाश को छूने तक से कतराते हैं। ऐसा हुआ भी है, अफ्रीका में कई लोगों को तो सिर्फ इसलिये इबोला की बीमारी लग गई, क्योंकि वे अपने परिवार के सदस्यों के मृत शरीर पर सिर रखकर राये थे। यही कारण है कि इबोला से ग्रसित व्यक्ति के अंतिम संस्कार में भी बहुत ज्यादा सावधानी बरती जाती है।
NEXT में पढ़ें इबोला से होने वाली बीमारी के लक्षण।