हिंदी के वो 14 शब्द जो हमारे जीवन में रखते हैं खास महत्व
नई दिल्ली। आज हिंदी दिवस की धूम पूरे भारत में है। देश-दुनिया में हिंदी को चाहने वाले लोग तरह-तरह के आयोजन कर रहे हैं। भारत की इस राजभाषा के सम्मान में वनइंडिया ने ऐसे 14 शब्द चुने हैं जिनके मायनों में हिंदुस्तान की सौंधी महक के साथ-साथ हिंदी के लिए जज्बाती लगाव भी छिपा है।
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14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया और उसके बाद से हिंदी को एक अलग पहचान मिली।
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14 सितंबर को हिन्दी दिवस
1953 में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। यूं तो हम हर रोज हिंदी के कई शब्द बोलते और लिखते हैं लेकिन आज हम आपको इन 14 खास हिंदी शब्दों के मायने सारगर्भित तरीके से बता रहे हैं।
जिसके लिए नीचे की तस्वीरों पर गौर फरमाएं...
मां
ईश्वर का दूसरा रूप है मां। मां शब्द के अहसास को शब्दों में जीवंत कर पाना एक असंभव सी बात है। मां शब्द के विस्तार का दायरा इतना वृहद है कि उसमें पूरी दुनिया ही समेटी जा सके। ‘मातृदेवो भव:' इस धरती पर सबसे बड़ी देवी है। गर्भ के धारण करने के बाद से लेकर सामर्थ होने तक माँ ही होती है जो बच्चे की सबकुछ होती है। यहां तक कि पैदा होते ही हम सभी के मुंह से निकलने वाला पहला हिंदी शब्द ही होता है मां।
जीवन
जो सतत है, निरंतर है, निश्छल है और जल की तरह साफ है, वही जीवन है। जीवन में हिंदी के महत्व की बात करें तो बिना हिंदी के जीवन टेढ़ी खीर है। एक सुलझे हुए जीवन की दरकार है कि इसे हिंदी से जोड़ा जाए।
दुलार
दुलार हिंदी का एक ऐसा शब्द है जिसके भाव में ही सकारात्मकता छिपी है। पालन-पोषण में परिपक्वता लाने की जो प्रक्रिया है, दुलार उसका एक अहम पड़ाव है। इस दुलार में मां की ममता, पिता का पितृत्व सबकुछ शामिल है।
बचपन
बचपन एक ऐसी स्मृति है जो हमें गुजरते वक्त के साथ भावनाओं के पक्के धागे में मजबूती से बांधता रहता है। हर किसी को अपना बचपन याद आता है। हम सबने अपने बचपन को जीया है। शायद ही कोई होगा, जिसे अपना बचपन याद न आता हो। बचपन की अपनी मधुर यादों में माता-पिता, भाई-बहन, यार-दोस्त, स्कूल के दिन, आम के पेड़ पर चढ़कर 'चोरी से' आम खाना, खेत से गन्ना उखाड़कर चूसना और खेत मालिक के आने पर 'नौ दो ग्यारह' हो जाना हर किसी को याद है।
स्नेह
आपसी सम्भाव को बनाए रखने के लिए आत्मीयता का एक अहम पहलू है स्नेह। दो लोगों के गले मिल जाने से स्नेह परिलक्षित नहीं होता। जब तक दो दिलों का मिलन नहीं होता, वहां स्नेह की गुंजाइश करना भी बेइमानी है। हिंदी हमें भाषाओं से स्नेह करना सिखाती है।
जवानी
जीवन के बदलते रंगों में एक अहम रंग है जवानी। बचपन के बाद यौवन की सीढ़ी पर कदम रखते ही हम जवानी के साथ हो लेते हैं। बतौर भाषा, हिंदी भी हमें जवान होना सिखाती है। यह सिखाती है कि हम विचारों से जवान हों। हमारी सोच जवान हो। हिंदी के इसी जवान भाव से हमें यह सीख मिलती है कि यह कभी बूढ़ी नहीं होगी।
प्यार
प्यार
एक
गहरा
और
खुशनुमा
एहसास
है।
प्यार
भावनाओं
का,
रवैयों
का
एक
ऐसा
अथाह
सागर
है
जहां
पारस्परिक
स्नेह
से
भीगी
नदियां
मिलती
हैं।
हिंदी
से
प्यार
होते
ही
हमें
सकारात्मकता
का
वह
पहलू
देखने
को
मिलता
है
जिसकी
लालसा
हमें
हमेशा
ही
रहती
है।
हिंदी
आपसी
प्यार
को
सुदृढ़
करने
वाली
भाषा
के
रूप
में
बनकर
उभरी
है।
अभिलाषा
मन का यह भाव कि अमुख काम या बात इस रूप में हो जाए अथवा अमुक वस्तु हमें प्राप्त हो जाए, उसे अभिलाषा कह सकते हैं।
स्पर्श
हमारी मान्यताओं के मुताबिक, जब आप किसी का स्पर्श करते हैं तो अहंकार समाप्त होता है और हृदय में समर्पण एवं विनम्रता का भाव जागृत होता है। आपके शरीर की उर्जा स्पर्श करने वाले व्यक्ति में पहुंचती है। हिंदी में भी यही भाव छिपा है।
क्रोध
क्रोध उसे कहेंगे, जो अहंकार सहित हो। गुस्सा और अहंकार दोनों मिले, तब क्रोध कहलाता हैं और बेटे के साथ बाप गुस्सा करे, वह क्रोध नहीं कहलाता। उस क्रोध में अहंकार नहीं होता, इसलिए वह गुस्सा कहलाता है। हिंदी हमें क्रोधित होने से दूर रखने वाली भाषा है।
अपमान
अपमान करना बात, व्यवहार अथवा भंगिमा द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को ठेस पहुँचाने अथवा उसके सम्मान में कमी लाने के कृत्य को कहा जाता है। हिंदी को अपनाने से हमारे अंदर अपमानित करने की भावना लगभग समाप्त हो जाती है।
अलगाव
प्रेम भरे किसी भी रिश्ते में अलगाव का कोई एक कारण नहीं होता। छोटी-छोटी बहस या तकरार का रोज का किस्सा बन जाना, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का एकदम भिन्न होना, धैर्य खो देना, शक करना तथा प्रेम की कमी महसूस करना। हिंदी में कुछ ऐसा जादू है कि एक बार इससे जुड़ जाने वाला कभी इससे अलग नहीं हो पाता।
मौत
मौत किसी जीवन की प्रक्रिया करने की शक्ति को समाप्त करने की क्रिया को कहते हैं। यह शब्द दो विभिन्न विधियों का उल्लेख करता है, जीवन प्रारम्भ और जीवन समाप्ति। हिंदी में मौत शब्द का इस्तेमाल तभी होता है जब सकारात्मकता का एक सु:खद अंत होता है।
मिट्टी
हिंदी और माटी का एक अनमोल रिश्ता है। हिंदी में भारतीय मिट्टी की खुशबू आती है जिसकी महक से हमारे संवाद की दुनिया में अपनापन महसूस होता है। यह मिट्टी ही है कि जो हमें हिंदी से जुड़े रहने की याद दिलाती है, फिर चाहे हम भारत के किसी भी कोने में ही क्यों न रह रहे हों।