भारी साइबर ख़तरा, कैसे बचाएं कंप्यूटर और डेटा
रैनसमवेयर हमले के बाद दुनियाभर में कंप्यूटर ख़तरे में हैं और सरकारें चिंतित हैं.
दुनिया भर में हुए साइबर अटैक के बाद विशेषज्ञ ये चेतावनी दे रहे हैं कि इस हफ्ते रैनसमवेयर के और मामले सामने आ सकते हैं.
कई लोग ये पूछ रहे हैं कि आखिर हो क्या हो रहा है और संगठन, संस्थाएं, कंपनियां और आम लोग कैसे इन हमलों से अपने कम्प्यूटरों का बचाव करेंगे?
इन हमलों के पैमाने को लेकर भी दुनिया भर में बात हो रही है.
रैनसमवेयर एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर की किसी फ़ाइल को लॉक कर देता है और फिर बिना फ़िरौती अदा किए मुश्किल दूर नहीं होती.
यूरोपियन यूनियन की पुलिस यूरोपोल के मुताबिक रैनसमवेयर नई चीज़ नहीं है, लेकिन 'वानाक्राइ' वायरस का ये हमला 'अभूतपूर्व' है.
रविवार को ये कहा गया कि 150 देशों में इस वायरस ने दो लाख से ज्यादा शिकार किए हैं.
माना जा रहा है कि हफ्ते की शुरुआत में जब लोग बड़ी तादाद में अपने कम्प्यूटर लॉग-इन करेंगे तो ये आंकड़ें बढ़ सकते हैं.
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फ़िरौती वाला वायरस
रैनसमवेयर वायरस के कई प्रकार हैं और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इन सब के बीच उन्हें भी नई ज़िंदगी मिलती हुई दिख रही है.
ब्रिटेन में नेशनल हेल्थ सर्विस को बड़ा हमला झेलना पड़ा था, लेकिन शनिवार सेवेरे तक ब्रिटेन में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े ट्रस्टों की मशीनें वापस काम करने लगीं.
हालांकि एनएचएस ने अभी तक ये जानकारी नहीं दी है कि इसे वापस पटरी पर कैसे लाया गया.
इस वायरस को बनाने वाले लोग अभी तक ज्यादा मुनाफ़ा नहीं कमा सके हैं.
बीबीसी की पड़ताल में पाया गया कि फ़िरौती की रकम वसूलने के लिए जो ई-वॉलेट बनाया गया है, उसमें वर्चुअल करेंसी में 30,000 डॉलर की रकम अभी तक जमा हो पाई है.
हर शिकार कम्प्यूटर के लिए वायरस के ज़रिए लोगों से वर्चुअल करेंसी बिटक्वॉयन में 300 डॉलर की रकम मांगी जा रही है.
इससे पता चलता है कि रैनसमवेयर के शिकार हुए ज़्यादातर लोगों ने फ़िरौती की रकम नहीं चुकाई है.
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कितने ख़तरे में आपका कम्प्यूटर?
'वानाक्राइ' वायरस केवल उन्हीं कम्प्यूटरों को अपना शिकार बनाता है जो विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं.
अगर आप अपना विंडोज़ अपडेट नहीं करते, ई-मेल खोलते या पढ़ते वक्त एहतियात नहीं बरतते तो आप को ख़तरा हो सकता है.
हालांकि घरेलू कामों में यूज़ किए जाने वाले कम्प्यूटरों पर अपेक्षाकृत कम ख़तरे की बात कही जा रही है.
आप अपना सिस्टम अपडेट करके, फा़ारवॉल और एंटीवायरस का इस्तेमाल करके ख़ुद को महफ़ूज़ रख सकते हैं.
ईमेल पढ़ते वक्त अलर्ट रहने की ज्यादा ज़रूरत है. अपने डेटा का बैकअप नियमित रूप से मेनटेन रखें.
रैनसमवेयर के शिकार हुए लोगों को ये समझना चाहिए कि फ़िरौती की रकम चुका देने पर भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपकी फ़ाइल अनलॉक हो जाएगी.
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हमला इतनी तेज़ी से कैसे फैला?
दोषी वायरस का नाम वानाक्राइ है. इसे वॉर्म नाम के एक कम्प्यूटर वायरस के ज़रिए फैलाया गया लगता है.
दूसरे कम्प्यूटर वायरसों के उलट वानाक्राइ ख़ुदबखुद किसी नेटवर्क में फैलता है.
दूसरे लोग वायरस फैलाने के मामले में इंसानों पर ज़्यादा भरोसा करते हैं. इसमें किसी मेल के ज़रिए लोगों को एक लिंक पर क्लिक करने के लिए उकसाया जाता है.
एक बार वानाक्राइ आपके किसी नेटवर्क के सिस्टम में दाखिल हो गया तो वो शिकार बनाए जा सकने वाली मशीनों की तलाश शुरू कर देता है.
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हमले के पीछे कौन लोग हैं?
फ़िलहाल इसके बारे में पक्की बात मालूम नहीं है. लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि ये कोई बेहद जटिल सॉफ्टवेयर नहीं है.
साइबर चोरों के लिए रैनसमवेयर एक पसंदीदा हथियार है. इसके ज़रिए वे अपने मुनाफ़े को तेज़ी से ठिकाने लगा सकते हैं.
वर्चुअल करेंसी बिटक्वॉयन के ज़रिए सुरक्षा एजेंसियों का उनतक पहुंचना मुश्किल होता है.
हालांकि ये बात थोड़ी असामान्य ज़रूर लगती है कि जानकार अपराधियों का एक गिरोह फ़िरौती उगाहने के लिए बिटक्वॉयन का इस्तेमाल कर रहा है.