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इतिहास के पन्नों से–किसानों के देश में खोए प्रेमचंद

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) एक दौर में भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता था। तब किसानों के जीवन से जुड़ी फिल्में भी खूब बनती थी। दो बीघा जमीन और नया दौर उस किसान युग के भारत के भारत की फिल्में हैं।

पर अब तो देश मानो किसानों के जीवन पर आधारित लेखन करने वाले सबसे बड़े लेखक मुंशी प्रेमचंद को भी भूल सा गया है। बीती 31 जुलाई को उनका जन्म दिन था। कहीं उनकी चर्चा नहीं सुनी।

उनका सारा साहित्य किसान कथा को समर्पित है। उनके बाद किसान कथा की उनकी जैसी परंपरा नहीं रही। वरिष्ठ लेखक संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि रेणु और नागार्जुन में वह परंपरा नए कथ्य और शिल्प में दिखती है।

लेकिन उनके बाद? हिंदी साहित्य में संपूर्ण किसान कथाकार की परंपरा खत्म क्यों हो गई? उन्हें 'कलम के सिपाही' तो कहा गया लेकिन मुझे लगता है वास्तव में वह तो 'कलम के किसान' भी थे।

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साहित्य में प्रयोग

साहित्य में प्रयोग अपनी अलग जगह रखते हैं। लेकिन हम देश के भाग्यविधाताओं की कड़वी सचाइयों को भूल क्यों गए? आज किसान फिर जीने-मरने की कगार पर हैं इसके बावजूद किसान कथा को लेकर हममे से कौन-कौन संवेदनशील हैं?

सारे लेखक शहर की ओर भाग रहे हैं, उनके बच्चे विदेश जा रहे हैं, और गांव में रहकर लिखने वालों की कोई गिनती नहीं है। किसान कथा सामने आए तो कैसे आए? प्रेमचंद को याद करते हुए इस सवाल को पूछा जाना चाहिए।

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English summary
Varun Gandhi becomes new rebel in BJP. Shatrughan Sinha to create problems for the BJP leadership.He supported the mercy of Yakub Memon. BJP leadership is very annoyed with him.
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