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हिन्दी सिनेमा के बे सिर पैर वाले डायलॉग

हिन्दी फ़िल्मों के ऐसे डायलॉग जिन्हें समझने के लिए आपको काफ़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.

By BBC News हिन्दी
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हिंदी सिनेमा के कुछ डायलॉग इतने धारदार हैं कि वो यादगार बन गए. कुछ ऐसे डायलॉग भी हैं जिनका कोई सिर-पैर नहीं, मगर वो बार-बार सुनाई देते रहे, और दर्शक उन्हें अजूबे की तरह सुनते रहे.

cinema

1) फ़िल्म- हीरोपंति

टाइगर श्रॉफ की पहली फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छी कमाई की. इसके एक डायलॉग ने लोगों का ध्यान खींचा. टाइगर श्रॉफ का किरदार कहता है- "हीरोपंति...सबको आती नहीं, मेरी जाती नहीं."

2) फ़िल्म - क्शन जैकसन

2014 की 'एक्शन जैकसन' में अजय देवगन का किरदार कहता है- "इट्स माई वे और स्काइ वे". अब तक ज़्यादातर लोगों ने सुना था- 'इट्स माई वे और हाइवे'. क्रिएटिव लिबर्टी भी कोई चीज़ होती है!

3) फ़िल्म - गुंडा

1998 की इस फ़िल्म में एक नहीं बीस डायलॉग हैं जिनको सुनकर आप मतलब नहीं समझ पाएँगे लेकिन आपको ताज्जुब ज़रूर होगा. इस फ़िल्म में हैं मिथुन चक्रवर्ती , मुकेश ऋषि और शक्ति कपूर. इस फ़िल्म में हर किरदार ऐसे माफ़िया अंदाज़ में डायलॉग बोलता है- "मेरा नाम इबू हटेला , मेरी मां चुड़ैल की बेटी, मेरा बाप शैतान का चेला."

4) फ़िल्म- प्रेम अगन

1998 की 'प्रेम अगन' फ़रदीन ख़ान की पहली फ़िल्म थी जिसके निर्देशक उनके पिता फिरोज़ ख़ान थे. ना फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर करिश्मा किया ना इसके डायलॉग ने. फ़िल्म में एक विलन का किरदार फ़रदीन को पीटते हुए कहता है- "मेरा मुंह छोटा है और खोपड़ी बड़ी, इसलिए कम बोलता हूँ और ज़्यादा मारता हूँ."

5) फ़िल्म - सिलसिला है प्यार का

1999 की 'सिलसिला है प्यार का' में जब चंद्रचूड़ के किरदार को करिश्मा कपूर के किरदार से प्यार हो जाता है तो वो अपने पिताजी से कहता है- "पिताजी ये छिपकली नहीं , छिपी हुई कली है."

6) 1992 की 'तहलका' में नज़र आए मुकेश खन्ना , धर्मेंद्र , नसीरूद्दीन शाह और जावेद जाफ़री. इसमें अमरीश पुरी का किरदार जब भी आता, कहता- "डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं होता", या फिर कहता है - "शोम शोम शामो शा शा ."

जो डायलॉग इससे भी बढ़कर है वो है मुकेश खन्ना का डायलॉग - "बदलने वाली हम चीज़ नहीं, अरे हम मर्द हैं कमीज़ नहीं."

7) 1960 की 'जिस देश में गंगा बहती है' में राज कपूर का किरदार कहता है, "मेरे मन में एक बात आई है. एक दिन फूल सा लल्ला होगा मेरा. कम्मोजी आप मेरे उस लल्ले की मां बनेंगी? आप फ़िकर ना कीजिए एक लल्ले की बात सुनके . कृपा रही तो लल्लों की लाइन लगा दूँगा ."

BBC Hindi
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English summary
funny and meaningless dialogue in Hindi films
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