निबंध- भारत में ग्रामीण पर्यटन से रुक सकता है गांवों से पलायन
भारत वास्तव में गांवों की धरती के रूप में विख्यात है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार देश के साढ़े पाँच लाख गांवों में 77 करोड़ से भी अधिक लोग रहते हैं। ग्रामीण भारत का राष्ट्रीय आय में (2006-07 के दौरान) 18 दशमलव 5 प्रतिशत योगदान रहा जो कि 1950 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। देश की 85 प्रतिशत से भी अधिक आबादी आज भी गांवों में रहती है जो कि कृषि पर निर्भर है। ग्रामीण भारत 58 प्रतिशत रोजगार प्रदान करने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है। वास्तविक भारत की असल तस्वीर अगर देखनी है तो हमें गांवों को भीतर तक देखना होगा। वो भी ग्रामीण पर्यटन के जरिये।
ग्रामीण पर्यटन देश के लिए कई अर्थों में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा जिससे वहां के लोगों का जीवनस्तर भी बढ़ेगा। विदेशी मुद्रा अर्जन में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में पर्यटकों की संख्या और उससे होने वाली विदेशी मुद्रा आय में लगातार वृद्धि हो रही है।
वास्तविक भारत को भारत के गांवों को देखकर ही समझा, जाना और पहचाना जा सकता है। ग्रामीण पर्यटन इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण साबित हो सकता है जिससे विश्व पर्यटन बाजार में भारत को अलग पहचान मिल सकती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों का और अधिक विकास होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा शहरों की और बढ़ते हुए पलायन को रोकने में मदद मिलेगी।
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गांवों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ता है यह
गांव के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने तथा उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल कर गांधी के सपनों के भारत को साकार किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प, दस्तकारी की वस्तुओं के अलावा अनेक स्थानीय उत्पाद भी होते हैं। ग्रामीण पर्यटन से बुनकरों और कारीगरों की कला का हुनर देश-विदेश में पहुंचेगा। मांग बढ़ेगी तो उससे इन ग्रामीण कलाओं तथा उत्पादों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा अन्यथा ग्रामीण हस्तशिल्प और दस्तकारी धीरे-धीरे विलुप्त होते चले जायेंगे।
ग्रामीण पर्यटन से जुड़े मुख्य तथ्य
-
पर्यटन
मंत्रालय
‘हुनर
से
रोजगार'
प्रोत्साहन
योजना
चलाता
है,
जिसमें
युवाओं
को
प्रशिक्षण
दिया
जाता
है।
-
खाद्यान
उत्पादन
एवं
खाद्य
व
ब्रेवरीज
सेवाओं
से
जुड़े
कौशल
के
लिए
इसमें
हाउस
कीपिंग
यूटिलिटी
एवं
बेकरी
आदि
से
संबधित
पाठ्यक्रम
चलाये
जाते
हैं।
-
युवाओं
को
इंस्टीट्यूट
ऑफ
होटल
मैनेजमैंट,
फूड
क्राफ्ट
इंस्टीट्यूट,
राज्य
सरकारों
के
चुने
हुए
इंस्टीट्यूट
और
कुछ
पाँच
तारा
होटलों
तथा
आईटीडीसी
द्वारा
चलाया
जाता
है।
-
भारत
में
सन्
2016
तक
पहले
चरण
में
35
पर्यटन
सर्किट/स्थल/नगरों
को
शामिल
करने
की
योजना
बनायी
गयी
है।
-
इन
स्थलों
की
पहचान
कर
इन्हें
सरकारी-निजी
भागीदारी-पीपीपी
के
आधार
पर
विकसित
किया
जा
रहा
है।
-
भारत
के
ग्रामीण
क्षेत्रों
में
कृषि
एवं
कपड़ा
तथा
कुछ
हद
तक
ढांचागत
अर्थव्यवस्था
से
रोजगार
मिलता
है।
- हर राज्य की अलग विशिष्टताओं तथा जरूरतों को ध्यान में रखकर देश में पर्यटन की योजना बनायी जाती है।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विरासत, कला एवं संस्कृति, धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन, साहसिक एवं प्राकृतिक पर्यटन तथा परंपरागत पर्यटन आदि के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। अगर ग्रामीण पर्यटन को विकसित कर ग्रामीण क्षेत्र का विकास किया जाये तो रोजगार के व्यापक अवसर मिल सकते हैं। रोजगार की खोज में ग्रामीण क्षेत्रों से तेजी से पलायन लगातार बढ़ रहा है जिसे वहां पर्यटन को बढ़ावा देकर रोका जा सकता है।
ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऐसी रणनीति अपनायी जानी चाहिए जिससे वहां उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके। ग्रामीण पर्यटन का वर्गीकरण उस क्षेत्र विशेष के धार्मिक एवं प्राकृतिक स्थलों, समृद्ध विरासत, कला-संस्कृति से जुड़े स्थलों, ग्रामीण एवं कृषि परंपराओं, वैकल्पिक औषधि एवं आध्यात्मिक हीलिंग आदि से जोड़ा जा सकता है। इससे हर क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर लाने तथा पर्यटक पैकेज बनाकर पर्यटकों को उनकी रुचि के अनुसार आकर्षित किया जा सकता हे। इसके लिए विपणन अनुसंधान, योजना एवं नेटवर्क विकास की जरूरत है जिससे घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों को अपने पसंद के स्थलों की पहचान में आसानी हो।
नोट- इस लेख में इनपुट स्वतंत्र पत्रकार देवेन्द्र उपाध्याय के पीआईबी के लिये लिखे गये लेख से लिये गये हैं।